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EXCLUSIVE : भूपेश ही होंगे छत्तीसगढ़ कांग्रेस का चेहरा, बाबा का चेप्टर क्लोज?

 

रायपुर। क्या सीएम भूपेश बघेल की अगुवाई में कांग्रेस विधानसभा का चुनाव लड़ेगी, यह सवाल राजनीतिक हल्कों में चर्चा का विषय है। हाईकमान के करीबी सूत्रों का दावा है कि ढ़ाई-ढ़ाई साल के कार्यकाल का चेप्टर क्लोज हो गया है और भूपेश बघेल ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा होंगे। इन चर्चाओं के बीच स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने मंगलवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ बैठक की है।

दिल्ली में वेणुगोपाल और सिंहदेव की बैठक का ब्यौरा तो नहीं मिल पाया है लेकिन कहा जा रहा है कि सिंहदेव ने नेतृत्व परिवर्तन के मसले पर अपना पक्ष रखा है। दूसरी तरफ, प्रदेश के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू का बयान भी चर्चा में है जिसमें उन्होंने कहा है कि एक बार सीएम बन जाता है, वह पूरे पांच साल रहता है।

ताम्रध्वज साहू भी सीएम पद के दौड़ में थे और वो हाईकमान के काफी नजदीक भी रहे हैं। ताम्रध्वज साहू पिछले दिनों दिल्ली में थे और उनकी कई बड़े नेताओं के साथ चर्चा हुई है। ऐसे में ताम्रध्वज का भूपेश बघेल के खुलकर समर्थन में आने के मायने भी है। इन चर्चाओं के बीच लखीमपुर खीरी और फिर बनारस में भूपेश बघेल पूरी तरह प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ रहे। उनकी पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ लंबी चर्चा हुई थी। सूत्र बताते है कि जिस तरह लखनऊ एयरपोर्ट में भूपेश ने तेवर दिखाए थे उसे पार्टी हाईकमान ने काफी पसंद किया है।

यह तय है कि उत्तर प्रदेश चुनाव में पूरा प्रबंधन भूपेश बघेल और उनकी टीम के पास रहेगा। भूपेश के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी सचिव भी हैं। राहुल और प्रियंका की करीबी और यूपी की विधायक आराधना मिश्रा की कुछ समय पहले भूपेश बघेल के साथ लंबी चर्चा हुई थी। हाईकमान के करीबी सूत्रों ने यह साफ कर दिया है कि उत्तर प्रदेश चुनाव तक छत्तीसगढ़ में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा। कांग्रेस विधायकों का भूपेश बघेल के पक्ष में एकजुट होना और पिछड़े वर्ग से तालुक रखना उनके पक्ष में गया है। ऐसे में किसी तरह परिवर्तन कर हाईकमान कोई जोखिम नहीं लेना चाह रही है। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी पीएल पुनिया 14 तारीख को रायपुर में पीसीसी की बैठक लेने पहुंच रहे है। वे विधायक दल की बैठक भी ले सकते हैं। पुनिया इन बैठकों में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चल रहे चर्चाओं पर पूर्ण विराम लगा सकते हैं। ऐसे में पुनिया की बैठकों पर निगाहें टिकी हुई है।

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