कवर्धा/रायपुर। छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में प्रमोशन की प्रक्रिया पिछले डेढ़ साल से ठप पड़ी हुई है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में प्रमोशन के लिए तैयार की गई SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) को हाईकोर्ट ने यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि इसे न तो राज्यपाल की स्वीकृति मिली थी और न ही राजपत्र (गजट) में प्रकाशित किया गया था। कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि पुलिस विभाग नई SOP बनाकर प्रमोशन प्रक्रिया शुरू करे, लेकिन आदेश के एक से डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी विभाग नई SOP तैयार नहीं कर सका है
हवलदार और ASI प्रमोशन पूरी तरह रुका
सूत्रों के अनुसार, SOP निरस्त होने के बाद से पुलिस विभाग में सिपाही से हवलदार और हवलदार से ASI के प्रमोशन एक भी बार नहीं हो पाए हैं। इससे हजारों जवानों का करियर प्रभावित हो रहा है। कई पुलिसकर्मी सेवा के 10–15 वर्ष पार कर चुके हैं, लेकिन प्रमोशन न मिलने से वे उसी पद पर अटके हुए हैं।
जानबूझकर लटकाने के आरोप
जवानों का आरोप है कि विभाग इस प्रक्रिया को जानबूझकर लटका रहा है, ताकि पिछले डेढ़ साल में भी किसी तरह का प्रमोशन न हो सके। हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी फाइलें विभागीय स्तर पर अटकी पड़ी हैं, जबकि प्रमोशन पुलिस बल के मनोबल और दक्षता से सीधे जुड़ा अहम मुद्दा है।
फायर, हवलदार और अन्य शाखाओं में भी ठहराव
फायर विभाग हो या जिला पुलिस—सभी शाखाओं में हवलदार पदोन्नति लंबे समय से रुकी हुई है। जवानों का कहना है कि जब तक नई SOP जारी नहीं होती, तब तक कोई प्रमोशन संभव नहीं है, और विभाग इस पर गंभीरता नहीं दिखा रहा।
जवानों में आक्रोश, सरकार-प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग
लगातार देरी के कारण जवानों में भारी नाराजगी है। उनका कहना है कि—
> “हम 24 घंटे ड्यूटी देते हैं, जोखिम उठाते हैं, लेकिन वर्षों से प्रमोशन का इंतज़ार ही कर रहे हैं। कोर्ट का आदेश होने के बावजूद कार्रवाई न होना अन्याय है।”
जवानों ने मांग की है कि राज्य सरकार और पुलिस मुख्यालय जल्द से जल्द नई SOP को अंतिम रूप देकर प्रमोशन प्रक्रिया शुरू करे, ताकि रुकी फाइलें आगे बढ़ सकें और पुलिस बल में मनोबल कायम रहे।
पत्रकार दीपक तिवारी
