BJP POLITICAL DRAMA : शाह के दौरे के बीच रायपुर में सियासी बवाल, ननकीराम कंवर हाउस अरेस्ट पर उठे सवाल

BJP POLITICAL DRAMA : Political turmoil erupts in Raipur amid Shah’s visit, questions raised over Nankiram Kanwar’s house arrest
रायपुर, 5 अक्टूबर 2025। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शनिवार को पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर को हाउस अरेस्ट किए जाने के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। यह विवाद उस वक्त भड़का, जब देश के गृह मंत्री अमित शाह खुद प्रदेश दौरे पर थे। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या शासन-प्रशासन इस सियासी बवाल को समय रहते रोकने में नाकाम रहा, या इसके पीछे कोई गहरी सियासी चाल छिपी हुई है?
दरअसल, 4 अक्टूबर को राजधानी में हुए हाईवोल्टेज सियासी ड्रामे ने पूरे प्रदेश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। बीजेपी सरकार के ही वरिष्ठ आदिवासी नेता और पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर को धरना देने से पहले ही हाउस अरेस्ट कर लिया गया। यह सब उस वक्त हुआ जब शाह का दौरा जारी था, जिससे घटना और भी संवेदनशील बन गई।
जानकारी के अनुसार, कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत और कंवर के बीच लंबे समय से टकराव चल रहा था। इसकी जानकारी राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर थी, बावजूद इसके सरकार और अफसरशाही ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर समय रहते स्थिति संभाल ली जाती, तो यह मामला शांत कराया जा सकता था। लेकिन न तो डिप्टी सीएम अरुण साव (कोरबा प्रभारी मंत्री) और न ही मंत्री लखनलाल देवांगन, जो कोरबा से ही विधायक हैं, ने कोई ठोस पहल की।
इंटेलिजेंस विभाग की नाकामी भी इस विवाद की बड़ी वजह मानी जा रही है। यदि सूचनाएं समय पर साझा की जातीं, तो पूर्व मंत्री को हाउस अरेस्ट करने जैसी स्थिति नहीं बनती। विपक्ष ने अब इसे “आदिवासी अपमान” का मुद्दा बनाते हुए सरकार पर तीखा हमला बोलना शुरू कर दिया है।
देर शाम प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव ने ननकीराम कंवर से मुलाकात कर मामले को शांत किया, और कार्रवाई का भरोसा दिलाया। सूत्रों के मुताबिक, आगामी कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस के बाद कोरबा कलेक्टर का तबादला संभव है।
हालांकि, अब सवाल यह है कि
क्या इस घटनाक्रम ने बीजेपी सरकार की छवि को धक्का नहीं पहुंचाया?
क्या इस विवाद को पहले ही सुलझाया जा सकता था?
या फिर यह सब किसी बड़ी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा था?
फिलहाल, ननकीराम प्रकरण छत्तीसगढ़ की सियासत में नया भूचाल लेकर आया है, जिसने सरकार, प्रशासन और पार्टी नेतृत्व तीनों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।