chhattisagrhTrending Now

CG POLITICAL: एक साल बाद एक साथ नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव, साय सरकार की परीक्षा

CG POLITICAL ( गजानंद पांडे ) : राज्य में पहली बार नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। 15 फरवरी को नगरीय निकायों में चुनाव संपन्न होने के एक दिन बाद ही तीन चरणों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए मतदान होंगे। दोनों चुनाव के एक साथ होने की वजह से पूरे राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। राज्य में भाजपा सरकार के एक वर्ष पूरे होने के बाद यह चुनाव पार्टी व सरकार दोनों को एक बार फिर से साबित करने की चुनौती होगी वहीं कांग्रेस पिछले परिणामों को दोहरा पाती है या नहीं यह देखने वाली बात होगी।

भाजपा ने संभागीय स्तर तैयारी शुरू की

CG POLITICAL: साय सरकार के लिए निकाय चुनाव व पंचायत चुनाव अग्नि परीक्षा साबित होने वाली है। क्योंकि साय सरकार को एक साल पूरा हो चुका है। हालांकि ग्राम पंचायत चुनाव पार्टी चिन्ह पर चुनाव नहीं होता लेकिन जनपद व जिला पंचायतों में अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होना सरकार के लिए चुनौती होगी। जबकि शहरों में प्रत्यक्ष चुनाव सीधे जनता के बीच सरकार के कामकाज को लेकर आम जनता के मूड का पता चलेगा। हालांकि स्थानीय निकाय के चुनाव में पार्टी व सरकार की छवि से अधिक उम्मीदवार महत्वपूर्ण होता है इसलिए भाजपा को उम्मीदवार को चुनने में सतर्कता बरतनी पड़ेगी। एक तरफ शहरों में विकास और पीएससी परीक्षा घोटाले में दोषियों की कार्रवाई का असर इस चुनाव में देखने को मिलेगा वहीं धान खरीदी के मामले में ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की छवि दांव पर होगी। इसके अलावा जिस तरह से कांग्रेस ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर लगातार बैठक व आंदोलन की बात कर रही है इसको लेकर चुनाव में क्या असर होता है यह देखने वाली बात होगी।

चुनाव तैयारी को लेकर कांग्रेस पिछड़ी

CG POLITICAL: निकाय चुनाव को लेकर एक तरह से कांग्रेस पिछड़ते दिख रही है। क्योंकि भाजपा राज्य स्तर पर तैयारियां पूरी कर अब संभागीय बैठकों में तैयारी को अंतिम रूप दे रही है। जबकि कांग्रेस आज राज्य स्तरीय बैठक कर चुनाव तैयारी शुरू की है। देखने वाली बात टिकटों के बंटवारे को लेकर है। जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए सशक्त उम्मीदवार घोषित करना दोनों ही पार्टियों के लिए चुनौती है। इसके साथ ही ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस के रुख पर भी चुनाव का असर होगा। इधर कांग्रेस के लिए पिछला चुनाव परिणाम को दोहराना चुनौती है क्योंकि पिछले चुनाव में कांग्रेस सरकार होने की वजह से नगरीय क्षेत्रों में महापौर व अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से नहीं होने के कारण इन पदों पर कांग्रेस का बोलबाला था। इस बार चुनाव सीधे जनता द्वारा होने से परिणाम को लेकर काफी कौतूहल होगी। राज्य सरकार की छवि पर असर होगा। कही न कहीं इस बात को लेकर साय सरकार व सत्तारूढ़ पार्टी इस बात को लेकर पूरी तरह से सतर्क होगी। जबकि कांग्रेस के लिए इस चुनाव में सफलता एक तरह से संजीवनी का काम करेगा। क्योंकि 15 साल बाद 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद एक साल पहले कांग्रेस सरकार की वापसी नहीं हो पाई थी जो पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए बड़ा निराशा का कारण बना था। पार्टी में एकजुटता के लिए अब कांग्रेस के पास यह चुनाव कितना महत्वपूर्ण है यह समझा जा सकता है।

मैदानी इलाकों में सरकार की साख दांव पर

CG POLITICAL: विधानसभा चुनाव में बस्तर व सरगुजा में भाजपा को अच्छी सफलता मिली थी। लेकिन कांग्रेस को अधिक सीटें मैदानी इलाकों में मिली थी। अब देखने वाली बात यह है कि मैदानी इलाकों में कांग्रेस का प्रदर्शन जिला व जनपद के चुनाव में किस तरह से रहता है। दूसरी तरफ भाजपा सरकार का फोकस मैदानी इलाकों रहेगा। धान खरीदी के मुद्दे पर सरकार अभी भी बोनस एकमुश्त नहीं दे पाई है। ऐसे में इसका असर पंचायत चुनाव में दिख सकता है। हालांकि अगले माह ही धान खरीदी की बकाया राशि देने की बात साय सरकार ने कही है।

2025__03
2025__01
2025__02
advt_dec2024
Share This: