SUPREME COURT VERDICT MARRIAGE RAPE : सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, शादी का वादा टूटने का मतलब रेप नहीं

SUPREME COURT VERDICT MARRIAGE RAPE : Important decision of the Supreme Court, breaking the promise of marriage does not mean rape
नई दिल्ली। SUPREME COURT VERDICT MARRIAGE RAPE बलात्कार से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि शादी का वादा टूटने मात्र से रेप का आरोप साबित नहीं होता। शीर्ष अदालत ने इस आधार पर दर्ज एक व्यक्ति के खिलाफ रेप केस को खत्म कर दिया।
दरअसल, इस मामले में एक व्यक्ति पर शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने का आरोप था। मद्रास हाईकोर्ट ने आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 376 और 420 के तहत दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
कोर्ट ने क्या कहा?
SUPREME COURT VERDICT MARRIAGE RAPE जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि महिला तीन बार आरोपी के साथ होटल में गई थी, लेकिन यह साबित नहीं हो सका कि सहमति देने के समय उसे किसी धोखे में रखा गया था।
अदालत ने कहा, “पीड़िता के बयानों और दर्ज एफआईआर को पढ़ने के बाद हम नहीं मान सकते कि शारीरिक संबंध उसकी सहमति के बिना बनाए गए। पीड़िता ने खुद स्वीकार किया कि वह आरोपी के साथ रिलेशनशिप में थी।”
पीड़िता के आरोप और कोर्ट की प्रतिक्रिया
SUPREME COURT VERDICT MARRIAGE RAPE पीड़िता ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने शादी का झूठा वादा कर तीन बार उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। उसने यह भी कहा कि पहली घटना के बाद आरोपी ने शादी का वादा किया, लेकिन बाद में मुकर गया।
कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हर घटना के बाद मानसिक तनाव का दावा करने के बावजूद पीड़िता दोबारा अपनी मर्जी से आरोपी के साथ होटल के कमरे में गई। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि यह जबरदस्ती के आरोपों के विपरीत आचरण है।
पृथ्वीराज बनाम राज्य केस का हवाला
SUPREME COURT VERDICT MARRIAGE RAPE कोर्ट ने अपने फैसले में पृथ्वीराज बनाम राज्य मामले का जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि अगर कोई व्यक्ति केवल यौन संबंध बनाने के लिए शादी का झूठा वादा करता है और उसका मकसद शुरू से ही इसे पूरा करने का नहीं होता, तभी रेप का मामला बनता है।