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SPACE DOCKING EXPERMENT : ISRO ने रचा इतिहास, SpaDeX सैटेलाइट्स की डी-डॉकिंग सफल

SPACE DOCKING EXPERMENT : ISRO creates history, de-docking of SpaDeX satellites successful

बेंगलुरु, 14 मार्च 2025। SPACE DOCKING EXPERMENT भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने SpaDeX (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक अलग (de-dock) कर एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। यह तकनीक भारत के चंद्रमा मिशनों, मानव अंतरिक्ष यात्रा और अपने अंतरिक्ष स्टेशन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। इस सफलता की जानकारी केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर दी।

SPACE DOCKING EXPERMENT SpaDeX मिशन की ऐतिहासिक सफलता

SpaDeX मिशन को 30 दिसंबर 2024 को लॉन्च किया गया था, जिसमें दो सैटेलाइट्स (SDX01 और SDX02) को कक्षा में स्थापित किया गया। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में डॉकिंग (जुड़ने) और फिर अलग होने (डी-डॉकिंग) की तकनीक का परीक्षण करना था।

16 जनवरी 2025 को इन सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक डॉक किया गया था।

13 मार्च 2025 को सुबह 9:20 बजे, पहली ही कोशिश में डी-डॉकिंग (अलग करने) की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई।

SPACE DOCKING EXPERMENT, ISRO के लिए बड़ा कदम

इस मिशन की सफलता पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, “SpaDeX सैटेलाइट्स की अविश्वसनीय डी-डॉकिंग पूरी हुई। यह भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antriksha Station), चंद्रयान-4 और गगनयान जैसे भविष्य के मिशनों के लिए रास्ता साफ करता है। ISRO टीम को बधाई, यह हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है।”

SPACE DOCKING EXPERMENT अब आगे क्या?

ISRO ने बताया कि सैटेलाइट्स अब स्वतंत्र रूप से अपनी कक्षा में घूम रहे हैं और उनकी स्थिति सामान्य है। आने वाले दिनों में इन पर और भी महत्वपूर्ण प्रयोग किए जाएंगे।

यह पूरा ऑपरेशन बेंगलुरु, लखनऊ और मॉरीशस स्थित ग्राउंड स्टेशनों से नियंत्रित किया गया।

SPACE DOCKING EXPERMENT क्यों खास है यह उपलब्धि?

– मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए जरूरी तकनीक: SpaDeX की सफलता गगनयान मिशन और भविष्य में चंद्रमा पर स्पेस स्टेशन बनाने में मदद करेगी।
– किफायती मिशन: ISRO ने कम लागत में इस जटिल तकनीक को सफलतापूर्वक विकसित किया है।
– स्वदेशी क्षमता का प्रदर्शन: भारत अब अंतरिक्ष में डॉकिंग और डी-डॉकिंग की तकनीक में सक्षम देशों में शामिल हो गया है।

ISRO की यह सफलता भारत के अंतरिक्ष मिशनों को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी और भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण की राह आसान करेगी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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