नक्सल प्रभावित क्षेत्र में महिला वोटर्स का रहेगा दबदबा! जानें मतदाता प्रतिशत बढ़ने के कारण

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बस्तर। लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो गया है। पहले चरण का चुनाव 19 अप्रैल को होना है। पहले चरण में ही छत्तीसगढ़ के बस्तर लोकसभा सीट में भी मतदान होगा। इस लोकसभा सीट के अंतर्गत आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं।

 

बता दें बस्तर लोकसभा सीट का एक महत्व यह भी है कि यहां शुरू से ही महिला वोटर का दबदबा रहा है। महिलाओं का वोट निर्णायक होता है और उनके मतों का ध्यान रखा जाता है।

ऐसे में यह कयास लगाया जा सकता है कि इस बार के चुनाव में, महिलाओं का अंश और उनका भागदान और अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है। बता दें प्रदेश के इस सीट पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच महत्वपूर्ण दंगल होता रहा है। साल 1952 से लेकर अब तक की रिपोर्ट के अनुसार, यहां के वोटर्स ने कभी नीडल, कभी क्षेत्रीय दलों को और कभी राष्ट्रीय पार्टियों को भी समर्थन दिया है।वहीं 1971 से लेकर 2019 तक हुए लोकसभा चुनाव की रिपोर्ट में देखा जाए तो नक्सल प्रभावित बस्तर में माओवादियों की धमकी के बावजूद वोटरों में उत्साह दिखा है। हर बार मतदाताओं की संख्या बढ़ रही है।

साल पुरुष मतदाता महिला मतदाता मतदाता लिंग अनुपात
1971 235262 243787 1036
1977 243581 251924 1034
1980 249145 256671 1030
1984 288776 301754 1045
1989 372029 379267 1019
1991 376975 383930 1018
1996 456828 466580 1021
1998 458946 472422 1029
1999 472755 481650 1019
2004 507521 531921 1048
2009 583406 609710 1045
2014 632842 665241 1051
2019 663409 715672 1079

संभाग में कुल मतदाता

इस बार बस्तर लोकसभा सीट में महिला और पुरुष मतदाताओं की बात करें तो यहां आठ विधानसभा सीटें आती हैं। बस्तर में कुल मतदाताओं की संख्या 14 लाख 66 हजार 337 मतदाता हैं। इसके अलावा साल 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले बस्तर सीट में 1 लाख 54 हजार नए मतदाताओं को जोड़ा गया है। बस्तर सीट से महिला और पुरुष मतदाताओं की बात करें तो बस्तर में महिला मतदाताओं की संख्या 7 लाख 68 हजार 88 है। वहीं पुरुष मतदाताओं की संख्या 6 लाख 98 हजार 197 है। इसके अलावा इस बार थर्ड जेंडर के 52 मतदाता शामिल हैं।

बस्तर में वोट प्रतिशत बढ़ने के कारण

पहले की अपेक्षा देखें तो वोटिंग का प्रतिशत बढ़ा है। दरअसल प्रशासन ने बस्तर में मतदाताओं को मतदान करने जागरूक करने स्वीप कार्यक्रम चलाया। मतदाता जागरूकता कार्यक्रम का ही असर माना जा रहा है कि इस बार मतदान का प्रतिशत बढ़ा है। वहीं यह भी कयास लगाया जा रहा है कि जिले में मतदाता केंद्र बढ़ने की वजह से भी मतदान का प्रतिशत बढ़ रहे है।

बता दें मतदाता केंद्र दूर होने की वजह से नक्सलियों के डर से आम नागरिक वोट डालने नहीं जा पाते थे। जिन्हें मतदाता केंद्र बढ़ने के कारण मतदान करने में सविधा हो रही है।

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