सुकमा। छत्तीसगढ़ में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की बटालियन 150 माओवादियों से जूझ रही है। सुकमा जिले में चल रही इस लड़ाई के तनाव से छुटकारा दिला रहा है सीआरपीएफ का एक खास दोस्त। इस खास दोस्त के बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। यह दोस्त कोई और नहीं, बल्कि एक बकरा है, जिसका नाम है चामुंडा। वह करीब 10 साल से बटालियन के साथ ही रहता है। बटालियन जहां कहीं भी जाती है, उसे अपने साथ लेकर जाती है। इस तरह वह पोस्ट टू पोस्ट सीआरपीएफ जवानों के साथ मूव करता रहता है।
गुरुवार को नक्सलियों के साथ मुठभेड़ के बाद चामुंडा वहां बैठा आराम से पेड़ से पत्तियां खाता और कैंप में घूमता-फिरता नजर आया। एक रिपोर्ट के मुताबिक चामुंडा बकरे के सीआरपीएफ बटालियन से जुड़ने की कहानी भी बेहद खास है। साल 2014 में बटालियन सुकमा जिले के कांकेरलांका गांव में तैनात थी। इसी दौरान एक जवान को यह बकरा मिला थ। तब यह मात्र 45 दिन का था और बीमार था। इसके मालिक ने इसे कैंप के पास छोड़ दिया था। वह चल भी नहीं पा रहा था। इसके बाद बटालियन के लोगों ने इसकी देखरेख की और यह फिर से स्वस्थ हो गया। अब यह कैंप के परिवार के सदस्य की तरह हो गया है। अगर वह बीमार पड़ता है तो जवान उसके लिए दवा लेने रायपुर तक चले जाते हैं।बटालियन के एक जवान ने इसके नामकरण की कहानी बताई। उन्होंने कहाकि जब हम किसी मिशन पर निकलते हैं या वापस आते हैं तो चामुंडा माता की जय का नारा लगाते हैं। उन्होंने बताया कि उस दिन भी हमने चामुंडा मां का नाम लिया और बकरे को मलेरिया का टैबलेट दिया। इस टैबलेट को खाने के बाद वह ठीक हो गया और हमारे ही कैंप में रहने लगा। बता दें कि इस बटालियन का राजस्थान के अजमेर स्थित चामुंडा देवी मंदिर से बेहद खास रिश्ता है। जब बटालियन अपने स्पेशल वाहन से एक कैंप से दूसरे कैंप में जाती है तब भी यह बकरा उनके खास वाहन में सवार होकर आता-जाता है।