BILASPUR HIGH COURT : हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, नगर निगम को नहीं देने होंगे 4.07 करोड़ रुपये

BILASPUR HIGH COURT: Big decision of the High Court, Municipal Corporation will not have to pay Rs 4.07 crore
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कमर्शियल कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें बिलासपुर नगर निगम को सिंगापुर की मैनहार्ट कंसल्टेंट कंपनी को 4.07 करोड़ रुपये देने के लिए कहा गया था। यह मामला स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम (बारिश के पानी की निकासी व्यवस्था) परियोजना से जुड़ा है।
मामला क्या है?
2010 में बिलासपुर नगर निगम ने स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम के लिए एक कंसल्टेंट नियुक्त किया था। इस परियोजना के लिए मैनहार्ट कंपनी को योजना और डिजाइन तैयार करने का काम सौंपा गया था। समझौते के अनुसार, कंपनी को प्रोजेक्ट की कुल लागत का 1.18% फीस दी जानी थी।
कंपनी ने मांगे थे 4.07 करोड़ रुपये
मैनहार्ट कंपनी को 33.53 करोड़ रुपये की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) बनानी थी, लेकिन उसने 333.93 करोड़ रुपये की DPR तैयार कर दी और 4.07 करोड़ रुपये की मांग कर दी। नगर निगम ने इतनी बड़ी रकम देने से इनकार कर दिया।
कानूनी लड़ाई और हाईकोर्ट का फैसला
मामला मध्यस्थ (आर्बिट्रेटर) के पास गया, जहां 7 फरवरी 2018 को कंसल्टेंट के पक्ष में फैसला सुनाया गया और नगर निगम को रकम चुकाने का आदेश दिया गया। जब कमर्शियल कोर्ट में भी अपील खारिज हो गई, तो नगर निगम ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट ने नगर निगम के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि प्रोजेक्ट की अंतिम लागत को सरकार से मंजूरी नहीं मिली थी, इसलिए कंसल्टेंट कंपनी का दावा गलत था। कोर्ट ने मध्यस्थ और कमर्शियल कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया, जिससे अब नगर निगम को 4.07 करोड़ रुपये नहीं देने होंगे।