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ठेकेदार ने अपने गुणवत्ता हीन निर्माण कार्य को छुपाने विभाग को लिखा पत्र

The contractor wrote a letter to the department to hide his inferior construction work

–कमीशन तो दूर अधिकारी-ठेकेदारो की मिलीभगत पूरी सड़क को ही निगल जाने में लगे हैं–

रामकुमार भारद्वाज

फरसगांव :- लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़क निर्माण कार्य में ठेकेदार व अधिकारियों द्वारा जमकर भ्रष्टाचार किया जाना आजकल आम बात है। कमीशन तो दूर अधिकारी-ठेकेदारो की मिलीभगत पूरी सड़क को ही निगल जाने में पीछे नहीं हैं। बावजूद राज्य में गांव-गांव में सड़क की जाल बिछाने की ढिंढोरा पीटकर भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों को लूट की खुली छूट दी जा रही है। सड़कें चंद महीनों में दम तोड़ रही हैं और मेंटनेंस पर भी सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।
फरसगांव से बड़ेडोंगर होते हुए छेरीबेड़ा चियानार सड़क 34.800 किमी बीटी सड़क का हाल पहली बारिश में ही साफ नजर आ रहा है। सड़क को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि इसके निर्माण में कितनी लापरवाही की गई। इस सड़क की गुणवत्ता पर समाचार पत्रो में कई बार खबर उठने के बाद ठेकेदार द्वारा अपनी काली करतूत छुपाने विभाग को पत्र लिखकर ओवरलोड वाहन की आवाजाही पर सड़क खराब होने की बात कही।

–एनएच को छोड़कर इस गांव के सड़क पर भारी वाहनों की आवाजाही पर सवाल ही नहीं उठता–

ठेकेदार ने विभाग को पत्र लिखा कि 16 टन क्षमता वाले सड़क पर 40 टन की वाहन दौड़ने से सड़क खराब होने की बात कही गई। वही स्थानीय जनप्रतिनिधि हेमचंद देवांगन, प्रशांत पात्र, महेंद्र सलाम सहित अन्य ने कहा कि यह सड़क ग्रामीण क्षेत्र से होते हुए गुजरती है। राष्ट्रीय राजमार्ग को छोड़कर इस छोटे सड़क पर भारी वाहनों का आवाजाही का सवाल ही पैदा नहीं होता। इस सड़क पर छोटे वाहनों और एक मिनी बस का अक्सर आना जाना है। सड़क गुणवत्ता हीन बना इसीलिए प्रथम बारिश में ही सड़क की गुणवत्ता की पोल खोल कर रख दी। खबर लगने पर दो-तीन दिन अंतराल में ठेकेदार द्वारा भारी वाहन निषेध सूचना बोर्ड भी लगाया गया। अगर भारी वाहन का आवाजाही उक्त सड़क से हो रही है तो विभाग उन पर कार्यवाही क्यों नहीं कर रही है।

–ठेकेदारों पर नहीं हो रही है कार्रवाई–

भेंट-मुलाकात के दौरान लोगों की समस्या सुन रहे सीएम गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों पर लगातार कार्रवाई कर रहे हैं लेकिन सड़कों के गुणवत्ताहीन निर्माण को लेकर अब तक एक भी अधिकारी-कर्मचारी पर कार्रवाई नहीं हुई। विभागीय मंत्री और उच्चाधिकारी भी नींद में हैं। गुणवत्ताहीन सड़क निर्माण से कुछ महीनों में ही सड़कों पर दरारें आ रहीं हैं और जगह-जगह धंसने भी लगी हैं। योजना के तहत बनी सड़कों का कमोबेश पूरे जिले में एक जैसा हाल है। अधिकारियों ने इस योजना को तिजोरी भरने का माध्यम बनाकर ठेकेदारों को घटिया निर्माण करने का लाइसेंस दे दिया है। जो सड़कें वर्तमान में बन रही हैं उसकी गुणवत्ता निर्माण स्थलों का निरीक्षण कर जांचा जा सकता है वहीं कुछ साल बनी सड़कों की दुर्दशा घटिया निर्माण की कहानी खुद ही बयां कर रही हैं। पांच साल तक सड़कों के मेंटनेंस की जिम्मेदारी भी ठेकेदार पूरा नहीं कर रहे हैं। राज्य निर्माण के साथ ही जब से योजना शुरू हुई है अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदारों ने जमकर कमाई की है। राज्य सरकार और लोक निर्माण विभाग भ्रष्टाचार की शिकायतों को संज्ञान में लेने की जगह ठेकेदारों और कमीशन खोर अधिकारियों को उपकृत कर रहा है। सड़क घोटालों को छुपाने के लिए राज्य सरकार मरम्मत के लिए भी टेंडर जारी कर उन्हें कमाई का मौका देती है जिससे करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है।

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