विशेष : ‘मुख्यमंत्री बाल उदय योजना’ से हो रहा लाभ, जीवन-यापन के लिए किया जा रहा स्वावलंबी बनाने का प्रयास, 600 से अधिक लोगों को विकास और शिक्षा के लिए दिए जा रहे 4 हजार रु. प्रतिमाह

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Special: Benefit from ‘Chief Minister Bal Uday Yojana’, efforts are being made to make self-supporting for living, more than 600 people are being given 4 thousand rupees for development and education. every month

रायपुर. जो लोग बाल सुधर गृह से अपनी सजा काट कर, बाहर आते हैं, उनके सामने बहुत सी समस्याएं खड़ी हो जाती है। इन समस्याओं का समाधान ना मिलने से वे लोग दोबारा गलत रास्तों का चयन कर लेते हैं या नशा करने लग जाते हैं। वे इन गलत रास्तों का इस्तेमाल न करे, इसके लिए राज्य सरकार ने इस कल्याणकारी योजना की शुरुवात की है ताकि उनकी समस्याओं का निदान हो सके।

छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. भूपेश बघेल लगातार जनता के हित में कार्य कर रहें हैं। वे हर की जनता को लाभ पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि प्रदेश के लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार हो सके। इसके लिए वे कई तरह की योजनाएं ला रहे हैं, जिससे जनता को लाभ हो सके। इसी कड़ी में वे बाल सुधार गृह से बाहर आने वाले बच्चों के लिए भी एक योजना लेकर आए हैं, जिससे बाल सुधार गृह से रिहा होने के बाद, वे अपने जीवन की नई शुरुवात कर सके। इस योजना का नाम ‘मुख्यमंत्री बाल उदय योजना’ है। इस योजना के तहत बाल सुधार गृह से बाहर निकलने वाले बच्चों को भावी जीवन के लिए सही राह दिखाकर, कौशल रोजगार और स्वरोजगार प्राप्त कराया जायेगा। वहीं, इस योजना के लिए मुख्यमंत्री डॉ. भूपेश बघेल ने बजट में एक करोड़ रु. का प्रावधान भी किया है।

दरअसल, जो लोग बाल सुधर गृह से अपनी सजा काट कर, बाहर आते हैं, उनके सामने बहुत सी समस्याएं खड़ी हो जाती है। जैसे कि, रहने के लिए आवास की समस्या, खाने-पीने, जीवन यापन करने के लिए रोजगार की समस्या, शिक्षा प्राप्त करने के लिए पढ़ाई की समस्या, इन सभी समस्याओं से वे लोग दोबारा गलत रास्तों का चयन कर लेते हैं या नशा करने लग जाते हैं। वे इन गलत रास्तों का इस्तेमाल न करे, इसके लिए राज्य सरकार ने इस कल्याणकारी योजना की शुरुवात की है ताकि उनकी समस्याओं का निदान हो सके।

जानिए क्या है मुख्यमंत्री बाल उदय योजना

मुख्यमंत्री डॉ. भूपेश बघेल ने प्रदेश में संचालित बाल देख-रेख संस्थाओं से बाहर जाने वाले बच्चों के पुनर्वास के लिए बड़ा निर्णय लेते हुए, उनके लिए मुख्यमंत्री बाल उदय योजना प्रारंभ करने की घोषणा की है। यह योजना प्रदेश के बाल गृहों से बाहर जाने वाले बच्चों के भावी जीवन के लिए सही राह दिखाकर उन्हें स्वावलंबन में मदद करेगी। इसके लिए बजट में 01 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। साथ ही बाल संप्रेक्षण गृह से बाहर जाने की आयु 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करते हुये पुनर्वास योजना बनाई गई है। इस योजना के तहत बाल देख-रेख संस्थाओं से बाहर जाने वाले 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को पुनर्वासित और पुनर्स्थापित करने के लिए राज्य सरकार सहयोग देगी।

क्या है इस योजना का उद्देश्य


दरअसल पहले पुनर्वास केंद्र से बाहर जाने वाले कई बच्चों के सामने आवास, रोजगार सहित समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर आगे बढ़ने में कई तरह की दिक्कतें आती थी। इन परिस्थितियों में कई बार बच्चे अपराध की ओर भी अपने कदम बढ़ा लेते हैं। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. भूपेश बघेल ने इन बच्चों के लिए एक संवेदनशील पहल की है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री अनिला भेंड़िया के नेतृत्व में बाल गृह से बाहर जाने वाले बालक-बालिकाओं को पुनर्वासित और पुनर्स्थापित करने के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है। वहीं, इस योजना के तहत इन बच्चों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त कराए जा रहे हैं। इसके अलावा उनके अपराध की आदत को छुड़ाने के लिए भी इस योजना की घोषणा की गई। इसके जरिए उन्हें आर्थिक सहायता, स्वरोजगार जैसी मदद भी प्राप्त कराई जाएगी। जिससे उनके परिवार को किसी तरह की कोई समस्या ना हो। इसी उद्देश्य के साथ सरकार ने इस योजना को शुरू किया है।

कार्यशाला का हुआ आयोजन

वहीं, हाल ही में इस योजना के तहत महिला और बाल विकास विभाग द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से राजधानी रायपुर के लाभांडी में राज्य स्तर पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान इस योजना के बारे में विस्तृत जानकारी देने के साथ उसके क्रियान्वयन की प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की गई।वहीं, इस कार्यशाला का शुभारंभ छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने किया। इस दौरान उन्होंने योजना के बारे में बताते हुए कहा कि, मुख्यमंत्री बाल उदय योजना छत्तीसगढ़ की अनूठी योजना है, जो बच्चों को अपराधी बनने से रोक कर एक सुनहरे भविष्य की ओर आगे बढ़ाती है। योजना के तहत बच्चों की परवरिश समुचित रूप से होने से वे एक जिम्मेदार नागरिक बनेंगे और भविष्य में छत्तीसगढ़ के विकास में भी सहयोग करेंगे। उन्होंने हायर सेकेण्डरी स्कूलों और कॉलेजों में प्री-मैरिज कॉउंसलिंग की व्यवस्था शुरू करने का प्रस्ताव भी दिया, जिससे परिवारों में आ रहे बिखराव को कम किया जा सके।

उम्मीद और उमंग एवं उदय कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं

इस दौरान योजना की विभागीय संचालक दिव्या मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि, बाल देखरेख संस्थाओं में निवासरत बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए राज्य द्वारा उल्लास, उजियार, उम्मीद और उमंग एवं उदय कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसे आगे बढ़ाते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया के मार्गदर्शन में उदय अर्थात मुख्यमंत्री बाल उदय योजना एक अप्रैल 2023 से शुरू की गई है। यह बाल देखरेख संस्थाओं से बाहर जाने वाले बालकों के भविष्य के उदय का सूचक है। मिशन वात्सल्य के अंतर्गत बच्चों के आफ्टर केयर के लिए 4 हजार रूपए के आर्थिक सहयोग का प्रावधान है। राज्य के 12 बच्चे पोषण देखरेख कार्यक्रम अंतर्गत परिवारों को दिए गए हैं। राज्य के गैर-संस्थागत देखरेख के 600 से अधिक बच्चों को विकास और शिक्षा के लिए प्रतिमाह 4 हजार रु. प्रवर्तकता कार्यक्रम अंतर्गत दिए जा रहे है।

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