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तिरछी नजर : नए राज्यपाल करेंगे नियुक्तियां

छत्तीसगढ़ में एक विश्वविद्यालय की कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। सर्च कमेटी ने अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दी है। राज्यपाल को केवल किसी एक नाम पर मुहर लगाना बस बाकी है। संभावना जताई जा रही थी कि नए कुलपति का नाम सामने आ ही जाएगा, लेकिन इस बीच राज्यपाल का तबादला हो गया। बताया जा रहा है कि राजभवन में नए कुलपति का नाम तय भी कर लिया था, लेकिन विवादों की वजह से आखिरी समय में नियुक्ति को रोकना पड़ा। इसी तरह सूचना आयुक्त के पद पर भी नियुक्ति होनी है । सरकार ने एक रिटायर्ड आईएएस के नाम की अनुशंसा कर दी है, लेकिन यह दोनों नियुक्तियां अब नए राज्यपाल के आने के बाद ही हो पाएगी।

राज्यपाल का सबसे ज्यादा असर छत्तीसगढ़ में

देशभर में राज्यपाल पद पर नियुक्ति और फेरबदल का सबसे ज्यादा असर छत्तीसगढ़ में पड़ा है। छत्तीसगढ़ राज्यपाल अनुसुईया उइके को भाजपा के नेताओं ने ही शिकायत कर अपेक्षाकृत छोटे राज्य भेज दिया। छत्तीसगढ़ में भाजपा की लाज बचाने में महामहिम अनुसुईया उइके ने अहम भूमिका निभाई। जैसी उनकी कार्यप्रणाली नहीं है उससे हटकर भी काम किया ताकि ऊपर वाले खुश हो जाएं। पर ऐसा कुछ हुआ नहीं इसका मलाल है। छत्तीसगढ़ के माटी पुत्र रमेश बैस लोकसभा चुनाव के बाद धीरे-धीरे अपना कद बढ़ाते हुए महाराष्ट्र के राज्यपाल तक पहुंच गए है। बैस के पड़ोसी राज्य के राज्यपाल बनने से भाजपाई और कांग्रेसी दोनों खुश है। सवा सौ से ज्यादा लोग शपथ ग्रहण समारोह में मुंबई पहुंचे, जिसमें ज्यादातर बड़े व्यापारी व अधिकारी थे। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह राज्यपाल बनेंगे या नहीं इसको लेकर कई तरह की अटकलें भीतरखाने में लगती रहती है। इस बार की सूची में रमन सिंह के नाम होने की प्रबल संभावनाएं विरोधीगुट तलाशते रहे।

तबादले को लेकर विवाद

हाल में हुए पुलिस विभाग के फेरबदल के बाद जिस तरीके से सूची को रद्द किया गया। कई सवाल गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के अधिकार और कार्यप्रणाली पर उठते रहे। गृहमंत्री ने भारी मशक्कत के बाद समाज के लोगों को मेन स्ट्रीम में लाने तबादला आदेश जारी की। यह आदेश कैसे बना इसकी जांच पड़ताल के बाद ऊपर के लोगों ने रद्द कर दिया। गृहमंत्री बंगले में ही कई प्रकार के समीकरण के चलते विरोधियों को भी मौका मिल गया। पुलिस मुख्यालय भी आदेश रद्द होने के बाद सकते में है। मैदान में तैनात पुलिस अधिकारी पुलिस मुख्यालय को बाईपास तो करते ही है इस घटनाक्रम के बाद गृहमंत्री के बंगला को भी बाईपास कर मैदान में डटे रहने की गणित प्रभावशाली हो गई।

मुश्किल में महासमुंद के नेता

एक जमाना था जब कांग्रेस में महासमुंद का जलवा हुआ करता था। वहां से जीतने वाले शुक्ल बंधुओं की पार्टी में तूती बोलती थी। तूती तो अब भी बोलती है, मगर दीगर कारणों से। अब महासमुंद से सूर्यकांत तिवारी और अमरजीत चावला जैसे नाम उभर रहे हैं। सूर्यकांत के तेज पर ईडी का ऐसा ग्रहण लगा कि उनके समेत पूरा कारोबारी कुनबा अस्त हो गया। टिकट से वंचित रहे ससुर को पद मिला तो वे भी ईडी के राडार में आ गए। वहीं अमरजीत हिट विकेट हो गए। लगता है महासमुंद के ग्रह-नक्षत्र अभी गर्दिश में ही रहेंगे।

पीएचई में हड़कंप

पवित्र गंगा को साफ करने के लिए बड़ी महत्वकांक्षी योजना वर्षो से चल रही है। गंगा प्रदूषण से मुक्त हो गयी और कितने सौ करोड़ खर्च हो गये यह बहस का विषय हर समय बना रहता है। इसी तरह जल-जीवन मिशन से हर घर में शुद्ध पानी देने की योजनाएं प्रदेश में चल रही है। इस योजना में बरती जा रही कथित घोटाले इस समय सुर्खियों में है। जिला से लेकर मुख्यालय तक हड़कंप मचा हुआ है। हर जिले के टेंडर की अपनी अलग-अलग कहानी है। नोटिस और निलंबन से कर्मचारियों में आक्रोश है। जल जीवन से मिलने वाले पानी की प्रशंसा करते हैं या पानी पी-पी कर कोसते है।

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