सीएम भूपेश बघेल सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में अड़ंगेबाजी को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते हैं। चर्चा है कि इन्हीं वजहों से डायरेक्टर हेल्थ के पद से भीम सिंह की छुट्टी हो गई।
बताते हैं कि सीएम विशेष सहायता योजना का करीब 4 सौ केस पेंडिंग था राशि के बाद भी अटकी पड़ी थी।अस्पताल इलाज के एवज की राशि के लिए चक्कर काट रहे थे।डायरेक्टर ने योजना का प्रभार भी बदलकर किसी दूसरे चिकित्सक को दे दिया, जो प्रशासनिक कार्यों में अपेक्षाकृत दक्ष नहीं रहे हैं। और जब सीएम की नाराजगी सामने आई, तो आनन-फानन में जारी की गई। तब तक सीएम ने उन्हें डायरेक्टर हेल्थ के दायित्व से मुक्त करने का कड़ा फैसला ले लिया।
कौन उठाएगा खर्चा?
कांग्रेस में विधानसभा स्तरीय प्रशिक्षण शिविर चल रहा है। शिविर के लिए खर्चों को लेकर जिला संगठन में किचकिच भी चल रही है। बताते हैं कि रायपुर की एक सीट में शिविर की तैयारियों का खाका तैयार किया गया। कार्यकर्ताओं के खाने-पीने से लेकर तमाम व्यवस्थाओं पर कुल 10 लाख रुपए खर्च का अनुमान लगाया गया।
चर्चा है कि निगम के दो पदाधिकारी ने क्रमशः तीन और दो लाख सहयोग राशि देने के लिए सहमति दे दी। एक ब्लॉक अध्यक्ष तो पूरा खर्च उठाने के लिए तैयार थे, इसके लिए वो टिकट की गारंटी चाहते थे। अब कांग्रेस की टिकट और मौत का कोई भरोसा नहीं होता है। ऐसे में उन्हें हाथ जोड़कर मना करना पड़ा।
दिग्गजों का जमावड़ा
कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं का एक बार फिर रायपुर में जमावड़ा होगा। ये नेता किसी सम्मेलन के लिए नहीं, बल्कि प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी सचिव रहे भक्तचरण दास के बेटे की शादी के रिसेप्शन में शामिल होने आ रहे हैं। रिसेप्शन नवा रायपुर के होटल मे-फेयर में 25 तारीख को होगा। इसमें सीएम और तमाम मंत्रियों के शिरकत होने की उम्मीद है।
नान और खान की महिमा..
छत्तीसगढ़ की हर सरकार में दो निगम अध्यक्षों की खास चलती है।सरकार बदल जाती है लेकिन खान व नान (खनिज निगम व नागरिक आपूर्ति निगम) अध्यक्षों की महिमा नहीं बदलती है। दोनों ही निगमों में हमेशा से सीएम के करीबी ही अध्यक्ष रहे हैं। खासकर राजनीति और फंड की वजह से दोनों निगमों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। भाजपा के 15 साल में इन दोनों निगमों अध्यक्ष रहे नेता, सरकार जाने के बावजूद भी अभी तक प्रभावशाली हैं। वर्तमान सरकार में नान व खान के अध्यक्ष प्रभावशाली हैं। इस पद को पाने हर पार्टी के नेता जोर आजमाईश में लगे रहते हैं। विडंबना यह रही है कि दोनों निगमों के अध्यक्ष जनता के बीच पकड़ कम बना पाते हैं, लेकिन सरकार में किसी मंत्री से ज्यादा हैसियत रहती है।
पटवारियों से सचिव भी हलाकान..
पिछले दिनों पटवारियों के हड़ताल के दौरान राजस्व विभाग सचिव नीलम एक्का ने चर्चा करने आये पटवारियों को जबरदस्त फटकार लगाई और उनकी लापरवाहियोंं के कई किस्से सुनाए। आम जनता ही नहीं राजस्व सचिव एक्का भी छात्र जीवन के दिनों में प्रमाण पत्र बनवाने अपने गांव से अम्बिकापुर तक सायकिल में आते थे और पटवारी तारीख पर तारीख देकर घुमाते थे। पटवारियों के प्रति सहानुभूति नहीं होने के कारण पुराने दिशा निर्देशो को उलट पुलट कर हड़ताल खत्म करवाई गयी। पटवारियों का साहस देखिए, बिना किसी जिम्मेदार नेता और अफसर से चर्चा के आंदोलन में उतर गये थे । सीमांकन व बंटाकन के समय हड़ताल में जाने के कारण सरकार ने बीच का रास्ता निकालकर अधिकार में कटौती की फाईल दौड़ा दी थी।
जनक पाठक का कद बढ़ा..
प्रमोटी आईएएस अधिकारी जनक पाठक का कद शासन में लगातार बढ़ता जा रहा है। काम की समझ रखने वाले पाठक को आवास व पर्यावरण विभाग का स्वंतत्र प्रभार का सचिव बनाया गया और अब आबकारी आयुक्त पद पर नियुक्ति के बाद अन्य सीधी भर्ती वाले आईएएस अधिकारी समीकरणों को समझने में लगे हैं। आबकारी विभाग इस समय ईडी के डर के साये में काम कर रहा हैं, ऐसे में जनक पाठक की नियुक्ति चुनौती पूर्ण मानी जा रही है। यहाँ जीएडी से एक चूक हो गई, उनके बैचमेट यशवंत कुमार को उसके नीचे निगम में पदस्थ कर दिया गया है। अब त्रुटि सुधार की प्रक्रिया चल रही है।
जमीन को लेकर मंत्री से भिड़े कांग्रेसी …
अम्बिकापुर के बेहद कीमती व विवादित जमीन को खरीदने के लिए कांग्रेसी नेता ही आपस में भिड़ गए हैं। राजधानी रायपुर व अम्बिकापुर के कांग्रेसी नेता वर्षो से जमीन का व्यवसाय कर रहे हैं। उसके बगल की कीमती जमीन को खरीदने का प्रयास काफी लंबे समय से कांग्रेसी नेता कर रहे थे लेकिन सौदा पट नहीं रहा था। इसी बीच एक प्रभावशाली मंत्री की एंट्री हो गई । चर्चा है कि मंत्रीजी के कुछ खास धन्ना सेठों ने जमीन खरीद ली। इसमें मंत्रीजी की हिस्सेदारी की खबर से नाराज कांग्रेसी नेताओं ने मोर्चा खोल दिए हैं।
इस पूरे मामले पर कांग्रेसी नेता उच्च स्तर पर शिकायत की तैयारी में लगे हैं। मगर मंत्री कार्यकर्ताओं के लिए कुछ छोड़ऩे के लिए तैयार नहीं है।
भाजपा में गुटनिरपेक्ष दफ़्तर
छत्तीसगढ़ भाजपा में आधा दर्जन प्रभारियों और संगठन मंत्रियों की मौजूदगी के बावज़ूद गुटबाज़ी ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही है।यह सब तब हो रहा है, जब सत्ता और संगठन पर क़ाबिज़ सभी पुराने नेता किनारे लगा दिए गए हैं । जिन नए चेहरों को सामने रखा गया है, उनमें भी आपस में नहीं बन रही है। नतीजे देने की कोशिश में जुटे प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव गुटबाज़ी में उलझकर रह गए हैं। हालत यह है कि उनके कार्यक्रमों का समन्वय भी ठीक ढंग से नहीं हो पाता। इन सब से परेशान होकर उन्होंने अपना अलग कार्यालय बना लिया है। दफ़्तर की कमान एबीवीपी के ज़माने से उनके साथी रहे बालोद के यशवंत जैन को सौंपी गई है। अब यह दफ़्तर सभी गुटों से समन्वय स्थापित करेगा। यानी गुटनिरपेक्ष दफ्तर। पूरे देश मैं पार्टी संगठन से इतर अपना कार्यालय बनाने का यह पहला प्रयोग है। देखना है साव अब कैसे नतीजे दे पाते हैं।
सेहत के जासूस
कांग्रेस में क़रीब एक दर्जन विधायक और टिकट के दावेदारों की सेहत की जासूसी हो रही है। उनकी बीमारी, जाँच, उपचार, आपरेशन आदि के रिकॉर्ड जुटाए जा रहे हैं। यह सब काम उनके प्रतिद्वंद्वी कर रहे हैं ताकि ख़राब सेहत का हवाला देकर उनकी टिकट कटवाई जा सके और अपनी दावेदारी मज़बूत की जा सके। बीमार नेता अपनी संतानों के नाम आगे करने की तैयारी में हैं। इसमें इक्का-दुक्का नेताओं को ही सफलता मिल सकती है। वहीं भाजपा में ख़राब सेहत के चलते दो विधायकों के टिकट कटना तय है। जोगी कांग्रेस में डा. रेणु जोगी और धर्मजीत सिंह भी सेहत ठीक रही तो चुनाव मैदान में नज़र आयेंगे।