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तिरछी नजर 👀 : कोडार के बाद ब्यूरो के हवाले दो बड़े घोटाले… ✒️✒️

ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने कोयला और शराब घोटाला मामले में एसीबी में एफआईआर दर्ज करवाकर न सिर्फ राजनीतिक भूचाल ला दिया है, बल्कि इतिहास रच दिया है। पहली बार केन्द्र की किसी जांच एजेंसी ने राज्य की जांच एजेंसी के समक्ष कोई मामला दर्ज कराया है। वह भी एक नहीं दो-दो। ये दोनों मामले पहले राज्य में चर्चित रहे हैं। इन मामलों के कुछ आरोपियों के नाम पहले ही मीडिया के सामने आ चुके हैं, लेकिन पूरी लिस्ट पहली बार सामने आई है। आरोपियों पर भ्रष्टाचार के अलावा धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया गया है। दिलचस्प यह है कि इन दोनो मामलों में राजनीतिज्ञों के अलावा, अफसरों, और कई अरबपति बिजनेसमैन लोगों को भी लपेटे में लिया गया है। दोनों मामलों को मिलाकर 105 आरोपी हैं। एसीबी और ब्यूरो के पास इतने बड़े मामले कभी जांच के लिए नहीं आए। न आरोपियों की संख्या के हिसाब से और न घोटाले की राशि के हिसाब से। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय ब्यूरो के समक्ष सबसे चर्चित और बड़ा मामला कोडार बांध मुआवजा घोटाले का आया था, जिसमें सबसे ज्यादा आरोपी और गवाह थे। मामले की ब्यूरो मे विवेचना और बाद में कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही दर्जनों गवाहों और आरोपियों की मौत हो गई थी। आरोपियों की संख्या के हिसाब से ये दोनो मामले कोडार मामले की याद दिला रहे हैं। बहरहाल एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या एसीबी के पास इतने बड़े मामले की जांच के लायक स्टाफ भी है। या बाद में इन दोनो मामलों को किसी और जांच एजेंसी के हवाले कर दिया जाएगा?

निगम-मंडलों में फ़िलहाल नियुक्ति नहीं…..

सरकारी निगम-मंडलों में नियुक्ति अब लोकसभा चुनाव के बाद होने के संकेत हैं। बताते हैं कि साय सरकार ने कुछ निगम-मंडलों में नियुक्ति की तैयारी कर ली थी। करीब आधा दर्जन निगम-मंडलों के लिए पदाधिकारियों के नाम तय कर हाईकमान को भेज भी दिए थे लेकिन हाईकमान ने मंजूरी नहीं दी। प्रदेश नेतृत्व को बता दिया गया है कि निगम-मंडलों में नियुक्ति अब लोकसभा चुनाव के बाद ही करना उचित होगा।

विधायक नहीं लड़ेंगे लोकसभा चुनाव

लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी चयन की सरगर्मी बढ़ गयी है। भारतीय जनता पार्टी में प्रत्याशी चयन का मापदंड केन्द्रीय नेतृत्व तय करेगा। किसको टिकिट मिलेगी इसकी कयास का दौर तेज हो गया है। पार्टी के भीतर फिर जोरदार तरीके से हल्ला है कि सभी 11 सीटों पर नये लोगों को मौका दिया जायेगा। साथ ही किसी भी विधायक को लोकसभा चुनाव की टिकिट नहीं दिये जाने के भी संकेत है। कुछ पराजित प्रत्याशी भी लोकसभा चुनाव लडऩे को तैयार है। जोरदार तरीके से लॉबिंग भी हो रही है।

कई अफसर छत्तीसगढ़ आने तैयार..

छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार आने के बाद दिल्ली में पदस्थ कई आईएएस और आईपीएस रायपुर आने तैयार हो रहे हैं। प्रदेश में माहौल बदलने के बाद सीनियर स्तर के इन अधिकारियों की वापसी की चर्चा अलग-अलग स्तर पर चल रही है। फरवरी अंतिम में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग जायेगी । ऐसे में ज्यादातर अफसर अप्रेल तक छत्तीसगढ़ आने का प्लान बना रहे हैं। अहम जगहों पर दिल्ली से आने वाले अफसरों की पदस्थापना की चर्चा है

कांग्रेसी दिग्गज चुनाव लडऩे से बच रहे हैं…

लोकसभा चुनाव की टिकिट सभी दिग्गज नेताओं को देने की तैयारी कांग्रेस में चल रही है। प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट सभी दिग्गज नेताओं से इस संबंध में विचार-विमर्श कर रहें है। कांग्रेस को धन व प्रत्याशी दोनों का संकट दो-तीन लोकसभा क्षेत्र में अधिक रहेगी। राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा के बाद भाजपा के पक्ष में बने माहौल को देखते हुए कई दिग्गज कांग्रेसी चुनाव लडऩे से बचने की कोशिश कर रहे हैं। कई क्षेत्रों में नये दावेदार की तलाश की जा रही है। जिन मैदानी इलाकों में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस अपने आपको ज्यादा मजबूत बता रही थी वहीं पर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी खोजने में दिक्कत आ रही है। पार्टी के आर्थिक संकटों पर पार्टी दफ्तरों में खुलकर चर्चा भी हो रही है।

अफसरों का बदला रुख

वैसे तो आईएएस अफसर संकट के मौके पर एकजुट हो जाते हैं। मगर कोल और लिकर केस में दिग्गज आईएएस अफसरों के नाम आने के बाद चौंकाने वाला रूख देखने को मिल रहा है।
गणतंत्र दिवस की शाम राजभवन में टी- पार्टी में अफसर केस की चर्चा करते हुए काफी चटकारे लेते रहे। एक-दो तो यह कहते सुने गए, जांच एजेंसियों को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। यानी साफ है कि हाल के वर्षों में अफसरों में ट्रांसफर-पोस्टिंग की वजह से काफी मनमुटाव रहा है।

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