SC ON POLLUTION : 2. प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, पुलिस कमिश्नर से मांगा हलफनामा

SC ON POLLUTION: 2. Supreme Court strict on pollution, sought affidavit from Police Commissioner
नई दिल्ली। हवा में एक बार फिर प्रदूषण का जहर घुल गया है। राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है। वहीं प्रदूषण बढ़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर से नाराजगी जाहिर की है। खासकर तब जब दिवाली पर दिल्ली में पटाखों के बैन के आदेश पर पूरी तरह से अमल नहीं हुआ। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की लापरवाही को कड़े शब्दों में जिम्मेदार ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई करते हुए कहा कि, दिल्ली पुलिस ने पटाखों के बैन पर अमल करने को लेकर गंभीरता से काम नहीं किया। जिसके चलते आज हालत यह है कि, लोग खराब हवा में सांस लेने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
दिल्ली पुलिस कमिश्नर से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को एक व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है और कहा कि, पटाखों पर बैन सुनिश्चित करने के लिए उनकी ओर से उठाए गए कदमों को रिकॉर्ड में दर्ज़ कराया जाये। वो हलफनामा दाखिल कर ये बताएं कि पटाखों पर बैन सुनिश्चित करने के लिए उनकी ओर से क्या कदम उठाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसा लगता है कि पटाखों पर बैन सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली पुलिस ने अपनी ओर से कोई गम्भीर प्रयास नहीं किए। दिल्ली पुलिस को सभी लाइसेंस धारकों और अवैध बिक्रेताओं को सख्ती से सूचित करना चाहिए था कि वे पटाखों की बिक्री तुरंत बंद कर दें।
पटाखों के बैन के लिए स्पेशल सेल का गठन हो
हलफनामा दाखिल करने के साथ ही दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पटाखों के बैन को पूरी तरह से प्रभावी करने के लिए एक स्पेशल सेल के गठन का निर्देश दिया गया है। कोर्ट का कहना है कि, बैन पर अमल को लेकर अलग-अलग इलाकों में स्थानीय SHO की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। स्थानीय SHO की यह ज़िम्मेदारी होनी चाहिए कि वह अपने इलाके में पटाखों की बिक्री को तुरंत प्रभाव से रोके।
सुप्रीम कोर्ट का दिल्ली सरकार को ये निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी निर्देश दिया है कि वह 25 नवंबर से पहले पटाखों पर सालभर स्थायी प्रतिबंध लगाने का फैसला करे। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा है कि दिल्ली में सालभर पटाखा बैन पर 25 नवंबर से पहले फैसला कर लिया जाए। दरअसल, अभी पटाखों को बनाने, स्टोरेज और चलाने पर 14 अक्टूबर से 1 जनवरी तक दिल्ली सरकार की ओर से प्रतिबंध लगाया गया है।
वहीं कोर्ट ने NCR के अंतर्गत आने वाले राज्यों को भी पटाखो पर बैन को लेकर 25 नवंबर तक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी NCR राज्यों को निर्देश दिया कि वे उसके सामने आएं और प्रदूषण को न्यूनतम रखने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में सूचित करें।
कोई भी धर्म प्रदूषण फैलाने को बढ़ावा नहीं देता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा मानना है कि कोई भी धर्म प्रदूषण फैलाने वाली किसी भी गतिविधि को बढ़ावा नहीं देता है और न ही लोगों के स्वास्थ्य के साथ समझौता करता है। आर्टिकल 21 के तहत ये लोगों का मौलिक अधिकार है कि लोगों को जीने के लिए प्रदूषण मुक्त वातावरण मिले। उन्हें शुद्ध और साफ हवा नसीब हो। लेकिन अगर इस तरह से पटाखे जलाए जाते हैं, तो इससे नागरिकों के स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार पर असर पड़ता है।