SC ON MANIPUR VIOLENCE : सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा के लिए बनाई जांच कमेटी, IPS अधिकारी करेंगे सीबीआई जांच की निगरानी
SC ON MANIPUR VIOLENCE: Supreme Court sets up inquiry committee for Manipur violence, IPS officer to supervise CBI probe
डेस्क। मणिपुर हिंसा मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम निर्देश दिये हैं। प्रदेश में हिंसा के मामलों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के तीन पूर्व जजों की कमेटी बनाई है। तीन पूर्व न्यायाधीशों की समिति की अध्यक्षता न्यायमूर्ति गीता मित्तल करेंगी और इसमें न्यायमूर्ति शालिनी जोशी और न्यायमूर्ति आशा मेनन शामिल होंगी। जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पद से रिटायर जस्टिस गीता मित्तल, के नेतृत्व में ये तीन सदस्यीय न्यायिक जांच कमेटी महिलाओं से जुड़े अपराधों और अन्य मानवीय मामलों व सुविधा की निगरानी करेंगी।
सीबीआई की निगरानी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच के मामलों को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया है, लेकिन कानून के शासन पर विश्वास कायम करने के लिए आईपीएस अधिकारी, सीबीआई जांच की निगरानी करें। इसमें कम से कम डिप्टी एसपी रैंक के पांच अधिकारी होंगे, जिन्हें विभिन्न राज्यों से सीबीआई में लाया जाएगा।। ये अधिकारी सीबीआई के बुनियादी ढांचे और प्रशासनिक ढांचे के तहत काम करेंगे। इसके अलावा 42 एसआईटी ऐसे मामलों को देखेंगी, जो सीबीआई को हस्तांतरित नहीं किए गए हैं। इससे पिछली सुनवाई मे सीजेआई ने कहा था कि हम कमेटी का दायरा तय करेंगे, जो वहां जाकर राहत और पुनर्वास का जायजा लेगी। ये तथ्य तो स्पष्ट है कि मणिपुर में हिंसा के 6500 FIR की जांच सीबीआई को सौंपना असंभव है।
सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान मणिपुर सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अपराधों की जांच के लिए 6 जिलों के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को शामिल करते हुए 6 SIT का गठन किया है। हिंसा, अशांति और नफरत के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए महिला पुलिस अधिकारियों की टीम बनाई जा रही है। वहीं याचिकाकर्ताओं की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि आईपीसी की धारा 166ए के तहत भी कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है जो कार्रवाई न करने के लिए अधिकारियों को जवाबदेह बनाती है। वृंदा ग्रोवर ने कहा कि जिन मामलों में अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया उनमें भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।