RECORD : दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बना भारत

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RECORD: India becomes the world’s second largest mobile phone manufacturer

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बन गया है. भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक मोबाइल फोन का निर्यात इस साल 11 अरब अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 90 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा हुआ जो रिकॉर्ड है. इसकी सबसे बड़ी वजह प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम है जो अप्रैल, 2020 में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जों को बढ़ावा देने के लिए लॉन्च की गई.

प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम की वजह से दुनिया की बड़ी स्मार्टफोन कंपनियों जैसे फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन ने अपने आपूर्तिकर्ताओं को भारत शिफ्ट कर दिया है. इसकी वजह से भारत में हाई-एंड फोन का निर्माण तेज़ी से बढ़ रहा है.

सैमसंग से लेकर नथिंग तक मेड इन इंडिया हैं स्मार्टफोन

मालूम हो कि भारत में स्मार्टफोन निर्माण का दौर बहुत पहले शुरू हो गया था. देश ने स्मार्टफोन निर्माण का एक लंबा सफर तय कर लिया है. पॉपुलर स्मार्टफोन कंपनियां सैमसंग, एपल, शाओमी, ओप्पो, नथिंग के स्मार्टफोन भारत में बनाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में काउंटरप्वाइंट रिसर्च की एक नई रिपोर्ट सामने आई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अब फोन निर्माण का यह आंकड़ा 2 बिलियन यानी 200 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुका है. रिपोर्ट के मुताबिक शिपमेंट ने 23% सीएजीआर दर्ज किया है.

काउंटरप्वाइंट रिसर्च की इस रिपोर्ट में सरकार की मेक इन इंडिया, प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं का जिक्र किया गया है. इस सेक्टर में विदेशी निवेश बढ़ने से ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम से भारत जुड़ गया है, और इससे भारत एक ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बन रहा है.

इस योजना में पांच साल तक भारत में manufacture होने वाले मोबाइल फ़ोन्स और इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स की incremental sales पर 3% से 6% तक इंसेंटिव देने का प्रावधान है. मिनिस्ट्री ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी के मुताबिक इस योजना की अवधि के दौरान कुल 7,000 करोड़ का निवेश, 8,12,550 करोड़ तक प्रोडक्शन, 4,87,530 करोड़ रुपये तक एक्सपोर्ट और दो लाख रोज़गार के अवसर पैदा होने का अनुमान है.

मेक इन इंडिया के बदौलत टेक्नोलॉजी के क्षेत्र को मिली नई राह

देश में मेक इन इंडिया पहल की ही बात करें तो सरकार ने इस पहल में मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम को चरणबद्ध तरीके से स्थापित किया. सरकार ने देश के बाहर से बने यूनिट पर इम्पोर्ट ड्यूटी को बढ़ाकर लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया.

 

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