RAMGARH PARVAT CONSERVATION : Centre seeks report on Ramgarh mountain, action taken on Singhdev’s letter
रायपुर। छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण रामगढ़ पर्वत के संरक्षण को लेकर बड़ा कदम उठाया गया है। पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के पत्र के आधार पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के महानिदेशक ने राज्य के वन सचिव को इस क्षेत्र की स्थिति की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
सिंहदेव ने इस कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार का आभार जताते हुए कहा कि स्थानीय समुदाय और उनकी चिंताओं को गंभीरता से समझा गया है।
खदानों से संकट में पर्वत का अस्तित्व
सिंहदेव ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि हसदेव क्षेत्र की कोयला खदानों से रामगढ़ पर्वत का अस्तित्व खतरे में है। उनके अनुसार, वन विभाग ने केते-एक्सटेंशन खदान के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी कर दिया है।
उन्होंने 2019 में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और ICRF देहरादून की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें इस क्षेत्र की जैव विविधता और पारिस्थितिकी महत्व का जिक्र था।
आपत्तियों के बावजूद NOC जारी
सिंहदेव का आरोप है कि 2023 में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद खदान के लिए जनसुनवाई कराई गई, जिसमें 1500 से अधिक आपत्तियां दर्ज की गईं। बावजूद इसके, 26 जून 2025 को सरगुजा वन विभाग ने खदान के पक्ष में NOC जारी कर दी।
उन्होंने कहा कि मौजूदा खदानों की ब्लास्टिंग से पर्वत में दरारें पड़ चुकी हैं और स्थानीय लोगों ने जांच दलों के सामने इस खतरे की पुष्टि की है।
धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व पर खतरा
रामगढ़ पर्वत को रामजानकी मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों के कारण ऐतिहासिक महत्व प्राप्त है। यह क्षेत्र लेमरू हाथी परियोजना के अंतर्गत आता है। वर्ष 2022 में विधानसभा ने सर्वसम्मति से इस क्षेत्र में नई खदानें रोकने का प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें भाजपा विधायकों के हस्ताक्षर भी थे।
सिंहदेव ने आरोप लगाया कि सत्ता परिवर्तन के बाद राज्य सरकार ने स्थानीय लोगों की भावनाओं को दरकिनार कर कॉरपोरेट हितों को प्राथमिकता दी है।
