तिरछी नजर : नेताजी घेरे में

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चर्चा है कि छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ दल के एक बड़े नेता का फोन इंटरसेप्ट हुआ है। बताते हैं कि फोन इंटरसेप्ट केन्द्र की जांच एजेंसी ने किया है। आम तौर पर जांच एजेंसियां इससे जुड़ी जानकारियां गैर सरकारी लोगों को साझा नहीं करती है। यह बेहद संवेदनशील होता है, लेकिन नेताजी के फोन इंटरसेप्ट होने के बाद कुछ जानकारियां विपक्ष के एक-दो प्रमुख लोगों तक पहुंची है। इससे भाजपाई दिग्गजों की बांछे खिली हुई है। और देर सवेर इससे बड़े राजनीतिक फायदे की उम्मीद जताई गई है। अगर सचमुच ऐसा है तो कम से कम एक आरोप तो सच होता है कि प्रतिष्ठित जांच एजेंसियां भी राजनीतिक दबाव में काम करती है।

मुंबई दौड़ का राज

भाजपा सरकार में पॉवरफुल रहे एक नेता के अक्सर मुंबई प्रवास को लेकर पार्टी के भीतर काफी चर्चा हो रही है। बताते हैं कि नेताजी ने अपने आका का काफी माल एक बिल्डर के यहां लगाया था। बिल्डर भी पार्टी से जुड़े हैं। एक ही समाज के होने की वजह से भरोसा भी था। अब सत्ता में नहीं है तो आका को माल की जरूरत आ पड़ी। नेताजी से माल वापस मांगा है। यही से अब समस्याएं शुरू हो गई है। बिल्डर बिजनेस कम होने की वजह से माल वापस करने में आना कानी कर रहा है। बस, यही छोटी सी बात है जो कि नेताजी को बार-बार मुंबई जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

संघ की रणनीति

छत्तीसगढ़ में कमजोर पड़ी भाजपा को सहारा संघ का मिलने लगा है। शंकराचार्य का क्षेत्र कवर्धा जिले में सफल प्रयोग के बाद कांकेर, बस्तर और जशपुर में संघ ने अपनी रणनीति भाजपा से अलग तैयार कर ली है। भूपेश बघेल के ग्रामीण अर्थ व्यवस्था व स्वाभिमान का जवाब कट्टर हिन्दुत्व के नारे से देने का प्लान कई महीना पहले ही संघ ने तैयार कर लिया है। 15 साल सत्ता का स्वाद चखे भाजपाईयों पर ज्यादा भरोसा संघ को नहीं है। कई जिलों में संघ ने चुनाव के हिसाब से अभी से रणनीति तैयार कर ली है। भाजपा के पास प्रदेश स्तर पर भूपेश के मुकाबले का चेहरा नहीं होने के कारण तुकड़ों-तुकड़ों में प्लान बनाकर कांग्रेस को घेरने की रणनीति बन गई है।

 

पिछड़े वर्ग को साधने की मुहिम

भाजपा में पिछड़े वर्ग के किस नेता को भविष्य का चेहरा बनाया जाए इसको लेकर मंथन चल रहा है। पार्टी नेताओं ने सर्वे भी कराया है। पिछड़ा वर्ग भाजपा का प्रमुख वोट बैंक रहा है। इसमें साहू समाज ने हर समय भाजपा का साथ दिया है। इसलिए साहू समाज के नेताओं पर जाकर ज्यादातर लोगों की निगाहें टिकी है। राष्ट्रीय कार्यकारणी में साहू व कुर्मी समाज को तवज्जों मिलने के बाद पूर्व आईएएस अफसर ओपी चौधरी बढ़ी तेजी से केन्द्र सरकार के अलग-अलग संगठन व एनजीओ के साथ जुड़कर काम कर रहें हैं। ओपी चौधरी को पद देने की सिफारीश कई स्तर से भी की गई है।

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