चर्चा है कि मदनवाड़ा न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट पर पिछले दिनों कैबिनेट में काफी बहस हुई। बाबा ने आयोग के गठन पर सवाल खड़े किए। और कई कथित त्रुटियों का भी जिक्र किया। लेकिन दाऊजी और दो-तीन मंत्रियों का कहना था कि हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज ने रिपोर्ट तैयार की है। इसमें सवाल उठाने का कोई औचित्य नहीं था। मगर बाबा का विरोध जारी रहा। आखिर में दाऊजी ने कह दिया कि महाराज, असहमति का मतलब इस्तीफा होता है। इसके बाद आगे चर्चा थम गई। वैसे भी किसी प्रस्ताव पर असहमति जताकर कोई मंत्री कैबिनेट का हिस्सा नहीं रह सकते हैं।
मंत्री कलेक्टर विवाद
राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल और कोरबा कलेक्टर रानू साहू के बीच तलवारें खिचीं हुई हैं। जयसिंह ने कलेक्टर पर सड़क निर्माण कार्यों पर बाधा डालने का आरोप मढ़ दिया है। उन्होंने सीधे-सीधे कलेक्टर को भ्रष्ट बता दिया। डॉ. चरणदास महंत भी राजस्व मंत्री से सहमत दिखाई दिए। लेकिन कलेक्टर भी कोई कम नहीं है। उसने सड़क निर्माण कार्यों में मुआवजा वितरण में घोटाला निकाल दिया और आधा दर्जन से अधिक एफआईआर करवा दिए।
बताते हैं कि सड़क निर्माण के प्रस्ताव से पहले कई प्रभावशाली लोगों ने टुकड़े-टुकड़े में जमीन खरीद ली और चार गुना मुआवजा ले लिए। चर्चा है कि कई लोग मंत्रीजी के करीबी हैं। ऐसे में उनका गुस्सा होना तो लाजमी है। लेकिन भाजपा के लोग इस पूरे विवाद पर आश्चर्यजनक खामोशी आख्तियार कर लिए हैं। खामोशी की वजह कुछ और बताई जा रही है।
बताते हैं कि कुछ इसी तरह का घोटाला रमन सरकार में भी हुआ था। सिंचाई विभाग की 3 सौ करोड़ की सिंचाई परियोजना में 7 सौ करोड़ रूपए प्रभावितों को जमीन अधिग्रहण के मुआवजा वितरण में बट गए। ये लोग भी उस समय के ताकतवर मंत्री के करीबी लोग थे। एक तरह से इसमें पूर्व हो चुके मंत्रीजी की भी हिस्सेदारी थी। अब चर्चा होगी तो पुराना भी निकलेगा। ऐसे में चुप रहने में ही समझदारी है।
राज्यपाल की तारीफों के कसीदे
एक निजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के अध्यक्ष शिववरण शुक्ला ने राज्यपाल के तारीफों के कसीदे पढ़े। शुक्लाजी का कार्यकाल खत्म हो चुका है। जाने से पहले उन्होंने राज्यपाल को राष्ट्रपति पद के लायक बता दिया।
बताते हैं कि शुक्लाजी के संपर्कों का ही प्रतिफल था कि निजी विवि के दीक्षांत समारोह में एनएसए अजीत डोभाल ने वीडियो संदेश भेजकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। राज्यपाल ने भी शुक्लाजी का कार्यकाल खत्म होने के बाद उनका सम्मान किया। चर्चा तो यह भी है कि शुक्लाजी ने राज्यपाल को राष्ट्रपति का प्रत्याशी बनवाने में अपनी तरफ से प्रयास करने का वादा किया। लेकिन वाकई कुछ कर पाएंगे यह देखने वाली बात होगी।
रंग बदलते अफसर
यूपी में सरकार बदलने की संभावना के चलते कई नौकरशाहों ने अपने यहां के बोर्ड बदलवा दिए हैं। आयोध्या में तो भगवा रंग की जगह हरे रंग का बोर्ड लगा दिया गया। कुछ इसी तरह छत्तीसगढ़ में एक-दो नौकरशाह गिरगिट की तरह रंग बदलने लग गए हैं। चर्चा है कि एक आईएफएस अफसर ने तो भाजपा के एक सांसद पर दांव लगा दिया है। अफसर को सांसद का भविष्य उज्जवल नजर आ रहा है। इस वजह से सांसद महोदय की जरूरतें पूरी कर रहे हैं। आईएफएस पिछले कई सालों से मलाईदार प्रभार संभाल रहे हैं। दोनों की दोस्ती की नजर किसी और न लग जाए, ऐसी कामना अफसर के करीबी लोग कर रहे हैं।
धंधा होटल का.
कोरोना काल में होटल बिजनेस बुरी तरह प्रभावित हुआ है । मुख्य मार्ग पर स्थित एक आलीशान होटल के लिए बैंक 55 करोड़ रुपए न्यूनतम बोली रखी है। बताते हैं कि राज्य के एक मंत्री ने होटल खरीदने में काफी पहले दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन पार्किंग स्पेश पर्याप्त नहीं होने के कारण मंत्री जी ने इरादा बदल दिया । इसी तरह माना के पास एक बड़े होटल को किराए पर चढ़ाने की कोशिश हो रही है । बताते हैं कि होटल में एक पूर्व अफसर की हिस्सेदारी है लेकिन अफसरी जाने के रूतबा भी नहीं रह गया है, इसलिए किराएदार ढ़ूढ़ने में कठिनाई हो रही है ।