तिरछी नजर : बयान देकर फंसे सीएम के सलाहकार

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माननीयों से सरकार की किरकिरी

छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्रियों के कामकाज के कारण सरकार की कभी भी किरकरी हो सकती है। एक माननीय ने तो 15 हजार से वर्गफीट सरकारी जमीन को अपने नाम करवा लिया है। जबकि नजूल की सरकारी जमीन का आवंटन कब्जाधारियों को दिया जाता है, लेकिन माननीय ने अपने पद और प्रभाव का उपयोग करते हुए नियम-कानून का धता बताते हुए जमीन हथिया लिया है। इसी तरह एक और माननीय के कारनामों की खूब चर्चा है। उन्होंने अपने चहेतों को काम दिलाने के लिए टेंडर प्रक्रिया का ही पालन नहीं दिया है। चहेतों के लिए लाखों-करोड़ों की खरीद कागजों में हुई और पूरा पैसा अंदर हो गया। इन दोनों मामलों से अधिकारी भी सकते हैं। जांच हुई तो अफसर भी नपेंगे। ऐसे में अफसर इन मामलों को खुद सामने ला रहे हैं, ताकि जांच पड़ताल हुई तो उन पर कोई दाग न लगे।

बयान देकर फंसे सीएम के सलाहकार

सीएम के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी ने प्रियंका गांधी वाड्रा को यूपी में कांग्रेस का सीएम चेहरा बताकर हाईकमान की नाराजगी मोल ले ली है। तिवारी यूपी कांग्रेस के प्रभारी सचिव हैं और अति उत्साह में उन्होंने प्रियंका को सीएम का चेहरा बता दिया। दरअसल, सीएम का चेहरा एआईसीसी घोषित करती है। और एआईसीसी ने यूपी को लेकर ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है। तिवारी का बयान मीडिया में आने के बाद से एआईसीसी के सीनियर नेता उनसे खफा हैं। बताते हैं कि प्रियंका गांधी ने भी इस बयान पर नाराजगी जताई है। चर्चा है कि पार्टी के एक सीनियर नेता ने राजेश तिवारी को फटकार भी लगाई है।

मुकेश गुप्ता की वापसी की चर्चा

निलंबित एडीजी मुकेश गुप्ता फिर सक्रिय हैं। उनके रिटायरमेंट में कुछ ही महीने बाकी हैं। मुकेश गुप्ता के करीबियों का मानना है कि अब सब कुछ ठीक हो रहा है। चर्चा तो यह भी है कि जीपी सिंह को निपटाने में मुकेश गुप्ता की अहम भूमिका रही है। बताते हैं कि सरकार के एक मंत्री के करीबी डीएसपी के जरिए मुकेश गुप्ता ने जीपी सिंह को लेकर काफी कुछ जानकारी उपलब्ध कराई थी। फिर नेताजी ने ऊपर तक जानकारी पहुंचाई। इसके बाद मुकेश की जानकारी से सरकार के कान खड़े हो गए थे। इसके बाद जीपी की निगरानी होने लगी। जीपी गड़बड़ तो थे ही, निपट गए। जीपी के खिलाफ कार्रवाई के बाद मुकेश गुप्ता यहां अपने शुभचिंतक उद्योगपतियों और पुलिस अफसरों के नियमित संपर्क में हैं। वे शासन-प्रशासन और अपने महकमे की नियमित खोज खबर लेते हैं। उनके करीबी लोगों के बीच चर्चा है कि रिटायरमेंट के पहले सब कुछ ठीक हो जाएगा। चर्चा है कि मुकेश गुप्ता के लिए प्रदेश कांग्रेस प्रभारी ने भी एप्रोच किया था मगर बात नहीं बन पाई। क्या वाकई सब कुछ ठीक हो गया है? यह तो आने वाले समय में पता लगेगा।

बीजेपी प्रभारी से नजदीकी

प्रदेश भाजपा प्रभारी डी पुरंदेश्वरी से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश में पार्टी के कई नेता लगे हैं। ऐसे ही दुर्ग के एक युवा नेता ने केन्द्रीय राज्य मंत्री के जरिए पुरंदेश्वरी को एप्रोच किया। पुरंदेश्वरी यहां आई, तो युवा नेता को महत्व भी दिया। लेकिन जैसे ही युवा नेता बाहर निकले पार्टी के पुराने पदाधिकारी ने पुरंदेश्वरी को बता दिया कि ये दलाल है…इससे दूर रहना चाहिए। यह सुनकर पुरंदेश्वरी हैरान रह गई।

कैप्टन की दूरदृष्टि

छत्तीसगढ़ सरकार के चीफ पायलट रहे कैप्टन डीएस मिश्रा यहां राजनीतिक, प्रशासनिक और मीडिया के लोगों के बीच काफी लोकप्रिय रहे हैं। वे अपने गृह प्रदेश ओडिशा चले गए और वहां राजनीति में सक्रिय हो गए। वर्तमान में वे ओडिशा सरकार में गृह और ऊर्जा मंत्री हैं। ओडिशा में व्यस्तता के बावजूद मिश्रा छत्तीसगढ़ के लोगों के संपर्क में रहते हैं। और ओडिशा में दौरे में हेलीकॉप्टर खुद ही उड़ाकर जाते हैं। सीएम नवीन पटनायक भी जब भी प्रदेश के दौरे में कैप्टन मिश्रा के साथ होते हैं तो मिश्रा उनके सारथी के रूप में रहते हैं। ऐसा इसलिए भी करते हैं कि पायलट के लाइसेंस के लिए निर्धारित कुछ हजार घंटे उड़ान का अनुभव जरूरी है। तभी लाइसेंस रिनिवल हो सकेगा। राजनीति में अस्थिरता रहती है। ऐसे में पायलट का लाइसेंस रहेगा तो राजनीति में सफल नहीं हुए तो हेलीकॉप्टर तो उड़ा सकते हैं। फिलहाल तो कैप्टन मिश्रा सफल उड़ान भर रहे हैं।

अवैध प्लाटिंग में दिग्गज छूटे

राजधानी में अवैध प्लाटिंग के खिलाफ कार्यवाही कागजी या नोट छापने की मशीन बनकर रह गई है। भाजपा शासनकाल में सत्ता शीर्ष में रहकर बेधड़क काम धंधा करने वाले नेताओं के रिश्तेदार व पुत्र नई राजधानी से लेकर रायपुर तक में जमकर अवैध प्लाटिंग कर रहे है। एक नेता पुत्र ने पहले 150 एकड़ फिर 250 एकड़ में अवैध प्लाटिंग किया है। इनकी नौकरशाह में भी पकड़ अच्छी है। भाजपा के कुछ परिवारों के दोनों हाथ में लड्डू है। सरकार जाने के बाद भी हर काम दमदारी से कर करोड़ों का वारा-न्यारा कर रहे है। उनका कोई काम भी नहीं रूक रहा है वहीं भाजपा के कार्यकर्ताओं को विचारधारा के नाम पर कांग्रेस से सड़क में लडऩे आव्हान किया जा रहा है। प्रबंधन गुरू समझे जाने वाले दिग्गज नेताओं के लिए यह कहावत सही चरितार्थ हो रहा सइया भैया कोतवाल तो डर काहे का।

छत्तीसगढ़ के एक और अफसर दिल्ली जाएंगे

 

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