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Navratri 6th Day: मातारानी के छठे स्वरुप मां कात्यायनी की ऐसे करें पूजा, मिलेगी परेशानियों से मुक्ति

Navratri 6th Day: नौ दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार नवरात्रि की जोरों शोरों से तैयारियां चलती है। देशभर में नवरात्रि को लेकर अलग ही उत्साह और उल्लास देखने को मिलता है। नवरात्रि भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है और लाखों भक्तों के दिलों में इसका एक विशेष स्थान रहता है। हर साल पूरे देश में नवरात्रि बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा व अर्चना की जाती है। इसके अलावा भक्तजनों के द्वारा व्रत भी रखा जाता है। इसके चलते आज हम आपको इस लेख के द्वारा बताएंगे की नवरात्रि के छठवें दिन का क्या महत्व है, किस विधि विधान से पूजा करनी चाहिए और माता कात्यायनी को भोग में क्या लगाना चाहिए, तो चलिए जानते हैं।

नवरात्रि के छठवें दिन का महत्व

साल 2023 की नवरात्रि 15 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है। देवी कात्यायनी मां दुर्गा का छठा स्वरूप है। जिनकी पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है। नवरात्रि की शुरुआत मां शैलपुत्री की पूजा से होती है इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा और स्कंदमाता जैसे अन्य अवतारों की पूजा की जाती है।

नवरात्रि के छठे दिन माता रानी के कात्यायनी रूप की पूजा व अर्चना की जाती है। मां कात्यायनी के बारे में ऐसा कहा गया है की मां कात्यायनी की पूजा करने से विवाह संबंधी परेशानियां दूर हो जाती है। जैसे विवाह नहीं होना, विवाह में बाधाओं का आना आदि। जिन लोगों की शादी ना हो रही हो या उसमें बाधा आ रही हो, उन्हें नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की आराधना करनी चाहिए। इसके अलावा दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करना चाहिए।

मां कात्यायनी पूजा विधि

नवरात्रि के छठे दिन माता के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करने के लिए सुबह नहाने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। माता रानी को पीला रंग बेहद प्रिय है। इसलिए पीले रंग का वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। मां को अक्षत, रोली, कुमकुम, पीले पुष्प और भोग चढ़ाएं माता की आरती और मंत्रों का जाप करें।

माता कात्यायनी को लगाएं ये भोग

माता कात्यायनी को शहद और पीले रंग का भोग अत्यंत प्रिय हैं। इसलिए माता को शहद से बनाया हुआ हलवे का भोग जरूर लगाना चाहिए। भोग बनाने के लिए कढ़ाई में गाय का शुद्ध घी गर्म करें और उसमें सूजी अच्छी तरह से भूनें। दूसरे बर्तन में एक कप पानी चढ़ाएं और उसमें कटे हुए काजू, किशमिश, बादाम और चिरौंजी डालें। पानी के उबलने पर उसमें भुनी हुई सूजी मिला दें और चीनी की जगह शहद का उपयोग करें। जब हलवा अच्छे से गाढ़ा हो जाए। तब आंच को बंद करें और इलायची पाउडर मिला दें।

मां कात्यायनी की पूजा के लिए इस मंत्र का करें जाप

मां कात्यायनी की पूजा के समय इस मंत्र का जाप करेंया देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। पूजा समाप्त होने के बाद इस मंत्र का 108 बार जाप करें

मां कात्यायनी का स्वरूप

मां कात्यायनी स्वरूप में शेर पर सवार, उनके सर पर मुकुट सुशोभित है। माता की चार भुजाएं है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार कात्या नाम के एक महान ऋषि थे। उनकी कोई संतान नहीं थी उन्होंने मां भगवती को पुत्री के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए। कात्यायन ऋषि ने माता को अपनी मंशा बताई। देवी भगवती ने वचन दिया कि वह उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लेंगी। जब तीनों लोक पर महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार बढ़ गया और देवी देवता उसके कृत्य से परेशान हो गए। तब ब्रह्मा, विष्णु भगवान शिव के गुस्सा बढ़ गया। तब माता ने महर्षि कात्यायन के घर जन्म लिया। इसलिए माता के इस स्वरूप को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। माता के जन्म के बाद कात्यायन ऋषि ने सप्तमी, अष्टमी और नवमी तीन दिनों तक मां कात्यायनी की विधिवत पूजा अर्चना की। इसके बाद मां कात्यायनी ने दशमी के दिन महिषासुर का वध कर तीनों लोक को उसके अत्याचार से बचाया।

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