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MURDER CASE : उलझती जा रही ओडिशा के मंत्री की मर्डर मिस्ट्री, पुरानी खुन्नस या बाइपोलर डिसऑर्डर ? पढिए यह खबर

MURDER CASE: Murder mystery of Odisha minister getting entangled, chronic cough or bipolar disorder? read this news

एक राज्य के मंत्री सरकारी दौरे पर थे. जिस इलाके में उनका कार्यक्रम था, वहां का चौकी इंचार्ज भी उनकी सुरक्षा के इंतजामों को लेकर मुस्तैद था. तभी अचानक वहां गोली चलने की आवाज़ आती है. गोली मंत्री जी को लगती है, गोली चलानेवाला भी सामने मौजूद था. सरकारी पिस्टल हाथ में लिए वो वही पुलिसवाला था, जिस पर मंत्री के सुरक्षा इंतजाम की जिम्मेदारी थी. यानी उस इलाके का चौकी इंचार्ज. एक पुलिसवाले के हाथों मंत्री की हत्या हो चुकी थी. मगर सवाल ये था कि उस पुलिसवाले ने मंत्री को क्यों मारा?

29 जनवरी 2023, दोपहर 12.15 बजे, झारसुगुड़ा, ओडिशा –

बीजू जनता दल यानी बीजेडी से जुड़े सूबे के सबसे अमीर नेताओं में से एक और ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री नब किशोर दास एक प्रोग्राम में भाग लेने अपने चुनाव छेत्र झारसुगुडा पहुंचे थे. प्रोग्राम शहर के ब्रजराजनगर इलाके के गांधीनगर में था. अपने समर्थकों और सुरक्षाकर्मियों से घिरे दास जैसे ही कार से नीचे उतरे, अचानक भीड़ को चीरता हुआ एक पुलिसकर्मी उनके पास पहुंचा और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, पुलिसकर्मी ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से बिल्कुल प्वाइंट ब्लैंक रेंज से दास को गोली मार दी. गोली मंत्री के सीने में बाईं तरफ लगी और वो तुरंत ही बेहोश होकर नीचे गिरने लगे. हालांकि आस-पास मौजूद लोगों ने उन्हें संभाल लिया और उन्हीं की कार में झारसुगुडा के जिला अस्पताल लेकर गए.

खाकी वर्दी पहने था हमलावर –

उधर, गांधीनगर में मंत्री को निशाना बनाए जाने से की इस भयानक वारदात के चलते मौके पर अफरातफरी के हालात पैदा हो गए. कुछ देर के लिए लोगों को समझ ही नहीं आया कि गोली चलानेवाला वाकई कोई पुलिसकर्मी था या फिर खाकी वर्दी में कोई और हमलावर? हालांकि आनन-फानन में लोगों ने मंत्री पर गोली चलानेवाले पुलिसकर्मी को दबोचने की कोशिश की और पकड़े जाने से बचने के लिए तब उस शख्स ने भी एक-एक कर दो और गोलियां चलाईं. दोबारा हुई इस फायरिंग में जीवनलाल नायक नाम के शख्स को गोली लगी और लोगों ने उसे भी इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया. देखते ही देखते इस वारदात ने सिर्फ झारसुगुडा और ओडिशा ही नहीं पूरे देश को सकते में डाल दिया. किसी मंत्री को इस तरह ‘पब्लिक व्यूह’ के बीच गोली का निशाना बनाए जाने की ये हाल के सालों की इकलौती वारदात थी.

हरमुमकिन कोशिश के बावजूद नहीं बचे मंत्री –

हमले के बाद पहले नब किशोर दास को झारसुगुडा के सरकारी अस्पताल में ले जाया गया था, लेकिन उनकी हालत को देखते हुए उन्हें कुछ ही देर बाद एयरलिफ्ट कर राजधानी भुवनेश्वर के अपोलो अस्पताल में ले जाया गया. जहां एक्सपर्ट्स डॉक्टरों की टीम ने उन्हें बचाने की हरमुमकिन कोशिश, लेकिन शाम होते-होते उनकी जान चली गई. उनका इलाज करनेवाले डॉक्टरों का कहना था कि उन्हें सीने में एक गोली लगी थी, जो उनके दिल और फेफड़े को जख्मी करती हुई बाहर निकल गई. फौरन ऑपरेशन के जरिए उनके जख्मी अंगों को ठीक करने की कोशिश हुई, उन्हें आईसीयू केयर में भी रखा गया, लेकिन तेजी से खून बहने की वजह से उन्हें बचाया नहीं जा सका.

पुलिस का ASI निकला हमलावर –

उधर, शुरुआती जांच में ही ये साफ हो गया कि हमलावर एक पुलिसकर्मी ही था, जिसकी ड्यूटी ब्रजराजनगर के गांधीनगर पुलिस पोस्ट पर ही थी. उसकी पहचान असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर गोपाल कृष्ण दास के तौर पर हुई. मौके पर ही मंत्री के आगमन के मदेदनजर गोपाल दास की ड्यूटी ट्रैफिक क्लीयरेंस की थी. आनन-फानन में पूरे मामले की जांच के लिए डीजीपी ने सात मेंबर की क्राइम ब्रांच की एक एसआईटी का गठन कर दिया और एडीजी अरुण बोथरा खुद तफ्तीश का सुपरविजन करने के लिए झाड़सुगुड़ा पहुंच गए. पुलिस ने मौके से पकड़े गए पुलिसकर्मी गोपाल दास को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ शुरू कर दी.

मंत्री की हत्या को लेकर उठे कई सवाल –

लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर एक पुलिसकर्मी ने इतनी बड़ी वारदात को क्यों अंजाम दिया? क्यों एक एएसआई ने सूबे के एक मंत्री की गोली मार कर जान ले ली? क्या इसके पीछे कोई निजी दुश्मनी थी? मंत्री नब किशोर दास और हमलावर गोपाल दास का कोई वैचारिक मतभेद? एएसआई की जिंदगी में चल रही कोई निजी परेशानी? किसी पारिवारिक कलह का नतीजा? छुट्टियों का कोई मसला? या फि कुछ और?

पुरानी खुन्नस या बाइपोलर डिसआर्डर का असर? –

फिलहाल, इस मामले की जांच में पुलिस तमाम पहलुओं को ध्यान में रख कर चल रही है, लेकिन क़त्ल का मकसद अब तक साफ नहीं है. हां, कुछ सूत्रों का ये जरूर कहना था कि हमलावर पुलिसकर्मी गोपाल दास पहले झारसुगुडा से ही विधायक रहे नब किशोर दास का पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर यानी पीएसओ रह चुका है और गोपाल को पिछले 7-8 सालों से बाइपोलर डिसआर्डर (मैनिक डिप्रेशन) नाम की मानसिक बीमारी भी रही है. लेकिन फिर सवाल वही है कि क्या इस हमले और कत्ल के पीछे गोपाल दास की मंत्री से उनके पीएसओ रहने के दौरान की कोई पुरानी खुन्नस है या फिर बाइपोलर डिसआर्डर का नतीजा?

पिछले कई साल से चल रहा था ASI का इलाज –

हमलावर पुलिसकर्मी गोपाल दास का इलाज करनेवाले डॉक्टर ने उसे बाइपोलर डिसआर्डर (मैनिक डिप्रेशन) जैसी मानसिक बीमारी होने की खबर की पुष्टि की. उन्होंने बताया कि पिछले 7-8 साल पहले उन्होंने इस बीमारी के चलते गोपाल दास का इलाज किया था और तब नियमित रूप से दवाएं लेने की वजह से उसकी तबीयत काफी हद तक ठीक हो गई थी. तब गोपाल का इलाज बरहामपुर के एमकेसीजी अस्पताल में चल रहा था. डॉक्टर का कहना है कि नियमित रूप से दवाएं लेने से ही वो ठीक रह सकता था लेकिन इन दिनों वो अपनी दवाएं नियमित रूप से खा रहा था या नहीं, ये तभी साफ हो सकेगा ये झाड़सुगुडा में उसके साथ रहनेवाला कोई शख्स ही बता सकता है.

हमले से पहले बेटी से वीडियो कॉल पर की थी बात –

हालांकि हमलावर गोपाल कृष्ण के घरवालों से हुई बातचीत के बाद भी ये कहानी पूरी तरह साफ नहीं हो सकी है. गोपाल का परिवार झाड़सुगुडा से दूर गंजाम इलाके में रहता है. घर में और लोगों के साथ-साथ उसकी बीवी और बेटी भी है. 29 जनवरी यानी हमलेवाले रोज़ गोपाल ने सुबह वीडियो कॉल कर अपनी बेटी से बात की थी. लेकिन इससे पहले कि उसकी अपनी बीवी से बात हो पाती, फोन डिस्कनेक्ट हो गया. पूछताछ के दौरान गोपाल की बीवी ने बताया है कि वो अपनी दवाएं झाड़सुगुडा में नियमित रूप से ले रहे थे या नहीं, इसके बारे में वो पक्के तौर पर नहीं बता सकती. क्योंकि वो परिवार से दूर काम के लिए वहां अलग रहते हैं. गोपाल की पत्नी जयंती दास की मानें तो गोपाल करीब 5-6 महीने पहले छुट्टियों पर घर आए थे.

आरोपी ASI की तैनाती पर भी सवाल –

वैसे अब हमलावर गोपाल दास को मानसिक बीमारी होने की बात सामने आने के बाद एक बड़ा सवाल ये भी खड़ा हो गया है कि आखिर ऐसे किसी पुलिसकर्मी की इतने संवेदनशील जगह पर तैनाती क्यों और किसके ईशारे पर हुई? और उससे भी अहम ये कि मानसिक बीमारी के शिकार पुलिसकर्मी को सर्विस रिवाल्वर रखने की इजाजत क्यों दी गई? जाहिर है एक पुलिसकर्मी के हमले से सूबे के मंत्री की मौत के बाद ये सवाल भी फिजाओं में तैरने लगा है.

उड़ीसा के सबसे अमीर मंत्री थे नब किशोर दास –

हमले में मारे गए मंत्री नब किशोर दास की गिनती ओडिशा के सबसे अमीर और ताकतवर मंत्रियों में होती थी. खुद सूबे के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ उनके बेहद नजदीकी रिश्ते थे. वो कोयले की खुदाई, ट्रांसपोर्ट और हॉस्पिटैलिटी के कारोबार से जुड़े थे और ओडिशा कैबिनेट के सबसे अमीर मंत्री थे. उन्होंने साल 2022 में अपनी संपत्ति 34 करोड़ रुपये की बताई थी और ये भी बताया था कि उनके पास 80 गाड़ियां हैं. दास के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा एक बेटा और एक बेटी है. नब किशोर दास की पत्नी के पास भी 30 करोड़ रुपये से ज्यादा की प्रॉपर्टी होने की बात कही गई है. हाल ही में वो महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में एक किलो सात सौ ग्राम वजन का सोने का कलश चढ़ा कर चर्चे में आ गए थे. इसके अलावा उन्होंने मंदिर में 5 किलोग्राम चांदी से बने कलश भी दान में दिए थे.

तीन बार से लगातार विधायक थे नब किशोर दास –

नबकिशोर दास की गिनती झारसुगुड़ा के प्रभावशाली नेताओं में होती थी. वो पहले कांग्रेस पार्टी में थे लेकिन बाद में उन्होंने कांग्रेस छोड़ कर बीजू जनता दल का दामन थाम लिया था. चूंकि वो सीएम नवीन पटनायक की गुड बुक में थे, मुख्यमंत्री ने भी उन्हें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण जैसा अहम मंत्रालय दे रखा था. दास ने पहली बार साल 2004 में झारसुगुड़ा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद कांग्रेस के टिकट पर ही वो 2009 में दोबारा चुनाव लड़े और जीत गए. 2014 में भी कांग्रेस के टिकट पर उनकी जीत हुई. लेकिन इसके बाद 2019 में उन्होंने बीजू जनता दल में शामिल होने का फैसला किया और लगातार तीसरी बार इस सीट से चुनाव जीत कर विधायक चुने गए. तभी सीएम नवीन पटनायक ने उन्हें अपनी कैबिनेट में शामिल कर लिया था.

क्या है बाइपोलर डिसआर्डर –

अब बात करते हैं बाइपोलर डिसआर्डर (मैनिक डिप्रेशन) की. इस मानसिक बीमारी से पीड़ित होने वाले लोग ऐसी अजीबोगरीब हरकतें करने लगते हैं, जिसे देख कर ये अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है कि उसके दिमाग में चल क्या रहा है? ओडिशा के मंत्री नब किशोर दास की हत्या के इल्जाम में पुलिस ने जिस असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर को गिरफ्तार किया है, उसे भी बाइपोलर डिसआर्डर होने की बात कही गई है. हालांकि इस कत्ल के पीछे उसकी बीमारी ही वजह है या फिर इसके पीछे कोई और कहानी है, ये बात फिलहाल साफ नहीं हो सकी है. कहने का मतलब ये है कि मंत्री नब किशोर दास की कत्ल का मकसद अब तक साफ नहीं है.

बाइपोलर डिसआर्डर से पीड़ित हैं कई लोग –

बाइपोलर डिसआर्डर (मैनिक डिप्रेशन) कोई बहुत दुर्भल मानसिक बीमारी नहीं है, बल्कि दुनिया के दूसरे देशों के साथ-साथ भारत में भी इसके मरीजों की संख्या अच्छी खासी है. आप इस बीमारी का शिकार होनेवाले लोगों की तादाद का अंदाजा बस इसी बात से लगा सकते हैं कि भारत में हर डेढ सौ लोगों में से एक शख्स इस बीमारी का शिकार है. लेकिन दिक्कत ये है कि इन बीमार लोगों में से 70 फीसदी लोगों का इलाज नहीं हो पाता है.

पीड़िता को पड़ते हैं 2 तरह के दौरे –

हेल्थ से जुड़ी एक लीडिंग वेबसाइट हेल्थलाइन के मुताबिक इंसान के शरीर में डोपामाइन नाम के हार्मोन की तादाद गड़बड़ा जाने की वजह से ये बीमारी होती है. इससे इंसान के स्वभाव में बदलाव आ जाता है. इंसान बहुत तेज मूड स्विंग का शिकार हो जाता है और कई मामलों में डिप्रेशन के दौरे भी पड़ने लगे हैं. ये दौरे भी दो तरीके के होते हैं. एक में इंसान बेहद फुर्तिला महसूस करता है, जबकि दूसरे में बेहद शांत और सुस्त. इन्हें हाइपरमेनिया और हाइपोमेनिया के नाम से जाना जाता है.

क्या है हाइपरमेनिया? –

हाइपरमेनिया का शिकार बनने वाले शख्स का मूड हाई रहता है. उसके मन में बड़ी बेचैनी रहती है. वो हकीकत की दुनिया से दूर बहकी-बहकी और अतार्किक बातें करने लगता है. यहां तक कि वो बहुत ज्यादा मेहनत करने लगता है. खूब काम करता है. उसे थकान महसूस नहीं होती. नींद भी नहीं आती. यहां तक कि बड़े से बड़े फैसलों से पहले भी वो बिल्कुल नहीं सोचता. इस बीमारी के दूसरे लक्षणों में सेक्स की तरफ उसकी रुचि बढ़ना, शराब और ड्रग्स लेने की कोशिश करना, अचानक और अप्रत्याशित फैसले करना और पैसे खर्च कर देना जैसे लक्षण भी शामिल हैं.

बच्चे भी होते हैं इस बीमारी का शिकार –

डॉक्टरों की मानें तो बाइपोलर डिसऑर्डर की बीमारी किसी भी उम्र के शख्स को हो सकती है. लेकिन बीस से तीस साल की उम्र वाले लोगों में इस बीमारी की तादाद सबसे ज्यादा है. कई बच्चे भी इस बीमारी का शिकार होते हैं, लेकिन उनकी पहचान कर पाना मुश्किल होता है. ऐसे बच्चे अटेंशन सीकर, एक्टिव और मूड स्विंग वाले होते हैं. लेकिन अक्सर घरवालों को लगता है कि ये उसका स्वभाव है. उन्हें अंदाजा ही नहीं होता कि उसे कोई बीमारी भी है.

क्या है हाइपोमेनिया? –

बाइपोलर डिसऑर्डर में जो इंसान हाइपोमेनिया का शिकार बनता है, वो बेहद उदास रहता है. शांत हो जाता है. बातें कम करता है. कई बार बिना वजह रोता रहता है और उसका किसी काम में मन नहीं लगता. वो अकेला रहने लगता है. इसके दूसरे लक्षणों में उसे बहुत ज्यादा या बहुत कम नींद आना शामिल है. ऐसे लोगों को महसूस होता है कि वो अपनी अहमियत खो रहे हैं. वो फैसले नहीं कर पाते. उन्हें भूख कम लगती है. वजन कम होने लगता है और कई बार हाइपोमेनिया का शिकार होनेवाला इंसान खुदकुशी करने के बारे में भी सोचने लगता है या कर लेता है.

काबू की जा सकती है ये बीमारी –

डॉक्टर बताते हैं कि बाइपोलर डिसऑर्डर एक ऐसी बीमारी है, जो पूरी तरह जड़ से खत्म तो नहीं होती, लेकिन इसे नियमित जीवन शैली और दवाओं से काफी हद तक कम किया जा सकता है. काबू में रखा जा सकता है. इस बीमारी के इलाज के थैरेपी बेहद जरूरी है. असल में बीमारी का इलाज करनेवाले डॉक्टर मरीज के हार्मोन के असंतुलन को दूर करने की कोशिश करते हैं. इसलिए सलाह ये भी दी जाती है कि अगर किसी में ये लक्षण दिखे, तो उसे तुरंत डॉक्टर या थैरेपिस्ट के पास ले जाना चाहिए. घरवालों को भी उसे समझना और उसकी मदद करना चाहिए. वो कोई बड़ा, भयानक और अप्रत्याशित कदम ना उठा ले, इसके लिए उस पर नजर रखना और उसे एक अच्छी जिंदगी जीने के लिए प्रेरित करना भी उतना ही जरूरी है.

ओडिशा के मंत्री नब किशोर दास की हत्या के बाद बाइपोलर डिसऑर्डर की अचानक चर्चा होने लगी है, क्योंकि हमलावर एएसआई पर इसी बीमारी का शिकार होने की बात सामने आई है.

 

 

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