मणीपुर। पूर्वोत्तर का हराभरा खूबूसरत प्रदेश मणिपुर हिंसा और नफरत की आग में सुलग रहा है और ये आग थमने का नाम नहीं ले रही है। बीते 3 मई से ही वहां मैतेई और कुकी समुदाय आरक्षण के मुद्दे पर आमने-सामने हैं. कुकी समुदाय, पहाड़ी क्षेत्रों में रहता है, जबकि मैतेई समुदाय, पहाड़ की तलहटी वाले क्षेत्र में बसा हुआ है। दोनों समुदायों के बीच अनुसूचित जनजाति में शामिल करने या ना करने को लेकर विवाद चल रहा है। कुकी समुदाय का मानना है कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। मणिपुर के चुराचांदपुर में इस मुद्दे पर 3 मई को एक प्रदर्शन हुआ था, जिसके बाद हिंसा का जो दौर शुरू हुआ, वो अभी तक जारी है।
मणिपुर में क्यों नहीं थम रही हिंसा?
बता दें कि 3 मई के बाद से अब तक राज्य में 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं जबकि 50 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। प्रदेश के ज्यादातर जिलों में कर्फ्यू लागू है और हिंसा रोकने के लिए वहां सेना और असम राइफल्स के 10 हजार से ज्यादा जवान तैनात किए गए हैं। जबकि सीआरपीएफ और बीएसएफ के भी 7 हजार से ज़्यादा सैनिक मणिपुर में तैनात हैं। इसके अलावा सीआरपीएफ की 52 कंपनी, रैपिड एक्शन फोर्स की 10 कंपनी, बीएसएफ की 43 कंपनी,आईटीबीपी की 4 और एसएसबी की पांच कंपनियां तैनात की गई हैं ताकि लॉ एंड ऑर्डर बना रहे।
उग्रवादी संगठनों की एंट्री का दावा
लेकिन इसके बाद न तो हिंसा रुक रही है और न ही मौतों की संख्या, दो दिन पहले ही वहां एक गांव में संदिग्ध उद्रवादियों के हमले में 9 लोगों की जान चली गई जबकि 10 से ज्यादा लोग घायल हो गए. दो कॉम्युनिटीज के बीच इस विवाद में अब उग्रवादी संगठनों की एंट्री का भी दावा किया जा रहा है. प्रदेश सरकार की मानें तो करीब 300 हथियार बंद उग्रवादी म्यामांर से मणिपुर के विष्णुपुर में दाखिल हो चुके हैं और वो कुकी आबादी वाले चुराचांदपुर की तरफ बढ़ रहे हैं।
क्या है सेना का रुख?
राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह भी हिंसा के लिए इन घुसपैठियों और उग्रवादियों को जिम्मेदार बता रहे हैं, उनके अनुसार हिंसा, कुकी उग्रवादियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई लड़ाई का नतीजा है। हालांकि इस मुद्दे पर सेना का रुख उनके ठीक उलट है, क्योंकि सेना पहले ही कह चुकी है कि मणिपुर में मौजूदा हिंसा का उग्रवाद से कोई लेना-देना नहीं है और ये दो जातियों के बीच संघर्ष है।
ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आई ये बात
लेकिन ज़ी मीडिया जब इन दावों को DECODE करने के लिए ग्राउंड पर पहुंचा तो एहसास हुआ कि कुकी और मैतेई बुरी तरह बंट चुके हैं और उनके बीच नफरत की दीवार हर दिन और बड़ी होती जा रही है. हालात इतने तनावपूर्ण है कि कुकी, मैतेई बहुल इंफाल में आने से डर रहे हैं, जबकि मैतेई समुदाय के लोग कुकी इलाके में जाने से बच रहे हैं. यहां तक कि पुलिस और सेना पर भी पक्षपात का आरोप लग रहा है. एक तरफ जहां कुकी समुदाय के लोग मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और उनकी पुलिस पर सवाल उठा रहे हैं तो वहीं मैतेई समुदाय के लोग असम राइफल्स पर आरोप लगा रहे हैं.