पीपीई किट में बाघों की तीमारदारी: जंगल सफारी में ऐसी बरती जा रही सावधानी, बाघों को बचाने विटामिन की चार गोलियां

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रायपुर : देशभर में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं। इससे इंसानाें में तो सावधानी और सुरक्षा के भाव दिख ही रहे हैं, लेकिन वन्यजीव भी तीसरी लहर की आशंका से अछूते नहीं हैं। इसकी बानगी अब जंगल सफारी में देखने मिल रही है, जहां बाघों को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने खासतौर पर इंतजाम किए गए हैं। यहां कर्मचारी पीपीई किट पहनकर बाघों को भोजन दे रहे हैं। इतना ही नहीं, बाघों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए उन्हें महीने में 15 दिन चार अलग अलग प्रकार की विटामिन भी दी जा रही है। दरअसल बाघों की इतनी तिमारदारी इसलिए की जा रही है, क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हैदराबाद में एक बाघिन के संक्रमित होने का मामला सामने आया था। इससे सबक लेते हुए जंगल सफारी में कई बदलाव किए गए हैं। जंगल सफारी की डायरेक्टर एम. मर्सीबेला के मुताबिक जंगल सफारी में बाघ सहित सभी प्रजाति के वन्यजीवों की बेतर तरीके से देखभाल की जा रही है। अब तक टाइगर का कोरोना टेस्ट नहीं कराया गया है, लेकिन संक्रमण की हल्की सी भी आशंका हुई तो इसके लिए सभी इंतजाम किए गए हैं। कोई भी सिम्टम्स नजर आने पर टेस्ट कराया जाएगा। डायरेक्टर के मुताबिक कोरोना की तीसरी लहर से वन्यजीवों खासकर बाघों को बचाने विशेष देखभाल की जा रही है। जंगल सफारी जू में वर्तमान में सात बाघ और 11 शेर हैं।

हैदराबाद में इसलिए संक्रमित हुई बाघिन

जानकारों के अनुसार हैदराबाद स्थित जू आबादी वाले क्षेत्र में है। शेरों में कोरोना संक्रमण की बात सामने आई तब तक वहां जू संचालित था। इस वजह से वहां लोगों की आवाजाही भी निरंतर जारी रही। इसी वजह से वहां एक बाघिन के संक्रमित होने का मामला सामने आया। इसके विपरित छत्तीसगढ़ में मार्च महीने में कोरोना संक्रमण बढ़ने लगा था। राज्य सरकार ने सभी सार्वजनिक स्थानों के साथ जू भी में लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस लिहाज से राज्य के अलग-अलग जू में रह रहे टाइगर सुरक्षित रहे।

इम्युनिटी पाॅवर बढ़ाने दवा

वन्यजीवों स्वास्थ्य परीक्षण करने वाले वन्यजीव चिकित्सक डॉ. रश्मीलता राकेश के मुताबिक जू के एनिमल को कोरोना सहित किसी भी तरह के संक्रमण से बचाने पीपीई किट पहन कर उन्हें भोजन परोसा जाता है। साथ ही एनिमल को महीने में सात दिन विटामिन सी के साथ मल्टी विटामिन दिया जाता है। इसके साथ ही सात दिन कैल्शियम के साथ लीवर मजबूत करने की दवा भोजन में मिलाकर दिया जाता है। सीरप होने पर पानी में मिलाकर दिया जाता है।

बाहर जाने की अनुमति नहीं था

जंगल सफारी डायरेक्टर के मुताबिक राज्य में जब कोरोना संक्रमण चरम पर था, उस समय जू में वन्यजीवों की देखरेख करने वाले जू कीपर्स की 15-15 दिनों की शिफ्ट में ड्यूटी लगाई जा रही थी। जिनकी जू में ड्यूटी लगाई जा रही थी, उनका कोरोना टेस्ट भी कराया जा रहा था। साथ ही जू के अंदर जाने वाले अफसरों के साथ वहां काम करने वाले कर्मियों को तब से लेकर अब तक सेनेटाइज किया जाता है, उसके बाद ही उन्हें वन्यजीवों के बाड़े के पास जाने की अनुमति है।

गाइडलाइन के अनुसार देखरेख

जंगल सफारी में टाइगरों में किसी प्रकार के कोरोना के लक्षण नहीं मिलने की वजह से कोरोना टेस्ट नहीं कराया गया। सीजेडए के दिशा निर्देशों के मुताबिक वन्यजीवों के देखभाल की जा रही है। तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए बाघों के संबंध में खासतौर पर सतर्कता बरती जा रही है।

-एम. मर्सीबेला. डायरेक्टर जंगल सफारी

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