मंत्री सिंहदेव ने गृहमंत्री के जवाब और विपक्ष के हंगामे के बीच कहा ” जब तक सरकार स्पष्ट नहीं करती मेरी भुमिका तब तक इस पवित्र सदन में मेरी उपस्थिति नही होनी चाहिए.. मैं आपसे अनुमति लेकर जा रहा हूँ”…. सिंहदेव छोड़ गए सदन… 

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रायपुर। विधायक बृहस्पति सिंह के मंत्री सिंहदेव पर लगाए आरोप पर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने सदन में व्यक्तव्य दिया और घटना का वह ब्यौरा दिया जिसका ज़िक्र FIR में है। इस पर विपक्ष ने यह कहते हुए विरोध किया कि यह व्यक्तव्य उस मुद्दे पर नहीं है जिसकी चर्चा सदन में हुई थी।
विपक्ष ने जिसमें धर्मजीत सिंह, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर शिवरतन शर्मा शामिल थे। सवाल उठाया कि मसला तो यह था कि विधायक बृहस्पति सिंह ने अंबिकापुर से बिलासपुर आकर मंत्री सिंहदेव पर हत्या के षड़यंत्र का आरोप लगा दिया। आख़िर ऐसा क्या हुआ कि यह आरोप लग गया। विपक्ष ने कहा
” झूठ कहा तो क्यों कहा किसने कहा.. प्रेस कॉंफ़्रेंस में 22 विधायक मौजुद थे.. साफ़ दिखा संगठन के दो लोग इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस को आयोजित करने में शामिल थे.. यह व्यक्तव्य उस पर कुछ नहीं कहता.. मज़ाक़ बना दिया आपने”
इस पर आसंदी से डॉ महंत ने स्पष्ट किया
”मैने टीव्ही पर देखा तो 24 की रात दोनों नंबर पर फ़ोन लगाया, कोई बात नहीं हुई .. 25 को मेरे पास कोई नहीं आया.. 26 से सदन में हूँ यहाँ भी विधायक ने कुछ नहीं कहा.. मैंने आप लोगों के कहने पर मुख्यमंत्री को कहा और अब गृहमंत्री का व्यक्तव्य आ गया है”
यह बात संवाद हो ही रहा था कि अचानक स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव खड़े हुए और उन्होंने रुँधे कंठ से यह कहते हुए सदन छोड़ दिया-
”अब बहुत हुआ..बहुत हो गया.. मेरे बारे में मेरे माता पिता के बारे में आप सब जानते हैं.. मेरे बारे में कुछ ऐसा बताने की कोशिश हुई जो नहीं जानते.. जब तक सरकार अपना पक्ष स्पष्ट नहीं करती.. मेरी भुमिका को लेकर नहीं कहती.. तब तक इस उच्च स्तरीय सदन और उसके मानदंडों के यह अनुरुप होगा कि मैं इस सदन में ना रहूं.. अध्यक्ष जी आपकी अनुमति से यह सदन तत्काल छोड़ रहा हूँ”
यह इतना अप्रत्याशित हुआ कि किसी को भी कुछ समझ नहीं आया। मंत्री सिंहदेव ने यह कहा और जब तक कि लोग रोक पाते वे सदन से बाहर चले गए। इस पर तेज हंगामा हुआ और विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित कर दी।

मंत्री सिंहदेव ने यह कहा- मैं भी एक इंसान हूँ मेरे चरित्र के बारे में सब जानते हैं. शायद कुछ छिपा हुआ है जिसे अब सामने लाने की कोशिश की जा रही है. मैं नहीं समझता हूँ कि मेरी स्थिति ऐसी है कि जब तक शासन की ओर से इस पर स्पष्ट जवाब ना आ जाए मैं इस पवित्र सदन में रहना उचित नहीं समझता.

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