LIVE UPDATE : ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर सर्वे शुरू, तहखाने तक तहकीकात की तैयारी …

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Survey begins inside Gyanvapi Masjid, preparations for investigation till the basement…

वाराणसी। वाराणसी के ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी कोर्ट के फैसले के बाद 14 मई यानी आज सुबह 8 बजे से सर्वे का कार्य शुरू हो चुका है. कोर्ट के निर्णय के बाद एडवोकेट कमिश्नर और वाराणसी जिलाधिकारी के बीच लंबी बैठक चली, जिसमें शनिवार को सर्वे कराने का फैसला लिया गया.

कोर्ट कमिश्नर के साथ होंगे दो और वकील –

अदालत ने 12 मई को सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को बदलने के मसले पर भी साफ इंकार कर दिया है. कोर्ट कमिश्नर के बदले जाने की भी याचिका पर मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है. ताजा फैसले में कोर्ट कमिश्नर के साथ दो और वकीलों की नियुक्‍त‍ि की गई है. मामले में 17 मई के पहले सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाएगी.

कोर्ट कमिश्नर को बदलने की मांग खारिज –

बता दें कि 56 (ग) के आधार पर मुस्लिम पक्षकारों ने कोर्ट कमिश्नर को बदलने की थी. इस मांग को सिविल जज ने खारिज कर दिया है. 61 (ग) के आधार पर मस्ज़िद के अंदर सर्वे का मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है क‍ि मस्‍ज‍िद के सर्वे के मामले में यदि कोई बाधा बन रहा है तो प्रशासन उस पर दण्‍डात्‍मक कार्रवाई करे.

विवादित स्थान को क्यों कहा जाता है ज्ञानवापी –

हिंदू पक्ष के मुताबिक, मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर के बीच 10 फीट गहरा कुआं है, जिसे ज्ञानवापी कहा गया है. स्कंद पुराण में भी इसका जिक्र मिलता है. मान्यता है कि भगवान शिव ने स्वयं लिंगाभिषेक के लिए अपने त्रिशूल से ये कुआं बनाया था. शिवजी ने यहीं अपनी पत्नी पार्वती को ज्ञान दिया था इसलिए इस जगह का नाम ज्ञानवापी या ज्ञान का कुआं पड़ा. इसे लेकर कई कहानियां किंवदंतियां इलाके में प्रचलित है. काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद अयोध्या बाबरी मस्जिद के विवाद से मिलता जुलता है.

मंदिर को तोड़कर बनाई गई ज्ञानवापी मस्जिद- हिंदू पक्ष –

यहां भी मंदिर मस्जिद दोनों बने हैं. हिंदू पक्ष का कहना है कि 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने यहां काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई थी. मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां मंदिर नहीं था और शुरुआत से ही मस्जिद बनी थी. जैसा की इतिहास में कई मुद्दों और तथ्यों को को लेकर होता है, यहां भी इतिहासकारों में मतभेद है. कुछ इतिहासकार कहते हैं कि 14वीं सदी में जौनपुर के शर्की सुल्तान ने मंदिर को तुड़वाकर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी जबकि कुछ का मानना है कि अकबर ने 1585 में नए मजहब दीन-ए-इलाही के तहत विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई.

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