
KHABAR CHALISA SPECIAL Sneak peek: Mann-Manouvwal continues
सरगुजा में भाजपा प्रत्याशी चिंतामणि महाराज से स्थानीय नेता अभी भी नाखुश चल रहे हैं। विशेषकर गोंड समाज के नेता सक्रिय हैं।पार्टी के रणनीतिकारों को इसका अंदाजा भी है और किसी तरह का नुक़सान न हो, इसके लिए कोशिशें चल रही है।
पार्टी ने रविवार को केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को बुलाया है और वे समाज के नेताओं के साथ बैठक करेंगे। यही नहीं, पार्टीसंगठन ने मंत्री रामविचार नेताम और भुवन सिंह मरावी को भी विशेष ध्यान देने के लिए कहा है। इसका कितना असर होता है, यह चुनावनतीजे आने के बाद ही पता चलेगा।
कार्यकर्ता निराश
रायपुर लोकसभा के भाजपा प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल से पार्टी के कार्यकर्ता हमेशा से खुश रहे हैं और उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने के बादसे काफी उत्साहित थे लेकिन अब मतदान के करीब आते ही निराश दिख रहे हैं।
बताते हैं कि लोकसभा के सभी बूथों के लिए 20-20 हजार फिक्स कर दिया, जिसे वो काफी कम मान रहे हैं। जबकि कार्यकर्ताविधानसभा चुनाव जैसे खर्च की उम्मीद पाले हुए थे। अब कार्यकताओं को कौन समझाए कि जब मुकाबला आसान है, तो बेवजह खर्चकरने की जरूरत क्या है।
राधिका केस से किरकिरी
राधिका खेरा केस की वजह से कांग्रेस की खूब किरकिरी हो रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि सुशील आनंद शुक्ला ने खेद प्रकटकर दिया होता, तो उसी समय मामला खत्म हो गया होता।
बताते हैं कि सुशील ने राधिका के साथ विवाद के बाद सीनियर नेताओं को कह गए, कि या तो मैं काम करूंगा या फिर राधिका। बाद मेंकुछ ने उलटे राधिका को दिल्ली लौटने की सलाह दे दी। इसके बाद मामला बिगड़ गया। यह साफ हो गया है कि दोनों में किसी एक कोअपनी कुर्सी छोड़नी पड़ेगी। फिलहाल तो सुशील आनंद शुक्ला बैकफुट पर आ गए हैं।
चंद्राकर का गुस्सा
सोशल मीडिया पर अपनी उटपटांग टिप्पणियों के लिए चर्चा में रहने वाले भाजपा नेता अनूप मसंद महाभारत को चुनाव कार्यालय में बुरी तरह फटकार सहनी पड़ी।
हुआ यूं कि पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर रायपुर लोकसभा क्षेत्र के विधायकों की बैठक ले रहे थे। इस बैठक में अनूप भी पहुंच गए। उन्हें देखकर अजय चंद्राकर ने परिचय पूछ लिया।इस पर मसंद ने अपना नाम अनूप महाभारत बताया। इससे चंद्राकर बिफर पड़े और उन्हें तत्काल बाहर निकलने कहा।
बैठक में में मौजूद एक नेता ने कहा कि ये सोशल मीडिया में काफी कुछ लिखते हैं, तो चंद्राकर ने बाहर जा चुके मसंद को बुलवाया और कहा मेरे बारे में जो चाहे लिख लेना। यह भी कह दिया कि भविष्य में बिना अनुमति बैठक आने हिमाकत नहीं करना।
छोटे दलों के वोट बैंक पर नजर..
छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव के दौरान इस बार सबसे बड़ा मुद्दा कौन सा है इसकी खोजबीन में राजनीतिज्ञ पंडित माथा पच्ची कर रहे हैं।हालांकि छत्तीसगढ़ में जातिवाद नहीं चलता , लेकिन कांग्रेस ने जोरदार तरीके से जाति समीकरण को साधने का फार्मूला तैयार करदिया है। कौशल्या माता की जन्मभूमि छत्तीसगढ़ में राम का मुद्दा प्रभावकारी है। राम और हिन्दूत्व को मुद्दा बनाने की राजनीतिक कोशिशभी कई क्षेत्रों में चल रही है। छत्तीसगढ़िया वाद का मुद्दा भी कई लोकसभा क्षेत्र में बनाने की कोशिश विधानसभा की तरह चल रही है।सबसे ज्यादा बसपा और गोड़वाना गणतंत्र पार्टी की वोट बैंक को साधने की कोशिश में दोनों पार्टियां लग रही है। तीसरे मोर्चे का प्रभावछत्तीसगढ़ में नहीं रहता है परंतु वोटों के समीकरण में बड़े राजनीतिक दलों को थका दिया है। कई जगहों में चौकन्ने वाले परिणाम आसकते हैं।
विधायकों से परेशानी…
भूपेश सरकार के समय कांग्रेस के नव निर्वाचित विधायकों ने ढाई –ढाई साल के फार्मूले का खूब फायदा उठाया था। पार्टी की छविखराब हुई थी। सरकार में भ्रष्टाचार की शिकायतें बढ़ी थी। इस तरह की गतिविधि भाजपा सरकार में कुछ विधायक भी चलाने कीकोशिश में लगे हैं। कई विधायकों के गतिविधियों से पार्टी के कार्यकर्ता भी नाराज हैं। इस पर संगठन की पैनी नजर है। लोकसभा चुनावके बाद इस तरह के मामले में और कसावट आ सकती है। कार्यकर्ताओं ने और जन प्रतिनिधियों का सामंजस्य एक बड़ा मुद्दा बन सकताहै।