KHABAR CHALISA SPECIAL Sneak peek: Big appointment in BJP organization?
भाजपा के उपेक्षित एक गुट लगभग 6 माह से पार्टी के मुख्य धारा में शामिल होने के लिये छटपटा रहा है। अपना संदेश संघ और संगठन के बड़े नेताओं तक पहुंचा रहा है। इसमें पार्टी में लिये गये फैसलों की समीक्षा करते हुए यह कहा जा रहा है कि इससे भविष्य में पार्टी को फायदा नहीं होगा। यह गुट फिर से सत्ता और संगठन में अपना प्रभाव चाहता है। इस असंतुलन को संतुलित करने भाजपा संगठन में एक और नियुक्ति हो सकती है।
चर्चा है कि संगठन को मजबूत करने के लिए एक संगठन मंत्री की नियुक्ति होने जा रही है। इसके लिए जिन दो नामों पर विचार हो रहा है, उनमें नागालैंड के महामंत्री (संगठन) अभय कुमार गिरी और उत्तराखंड के महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार हैं। अजेय कुमार को उत्तराखंड में पांच साल हो चुके हैं। इसके अलावा वो पश्चिमी उत्तरप्रदेश में भी काम कर चुके हैं। अजेय कुमार पार्टी के राष्ट्रीय सह महामंत्री (संगठन) शिवप्रकाश के करीबी माने जाते हैं।
बताते हैं कि इन नियुक्तियों पर 31 अक्टूबर को ग्वालियर में हुई देशभर के संगठन मंत्रियों की बैठक में अनौपचारिक चर्चा भी हो चुकी है।
बाहरी हस्तक्षेप
वन विभाग में किसी आरएन सिंह के दखल से आईएफएस अफसरों में नाराजगी है। यह शख्स वन मंत्री के आफिसियल स्टाफ में नहीं है लेकिन ट्रांसफर-पोस्टिंग, सप्लाई और खरीदी में उनकी सिफारिशों को तवÓजो दी जाती है। ऐसा नहीं है कि वन विभाग में पहली बार किसी बाहरी व्यक्ति का दबदबा है।
कांग्रेस सरकार में भी वन विभाग में आर एन सिंह की तरह राजा कुट्टी की खूब चलती थी। मगर कुट्टी की दखल कुछ कामों तक ही सीमित रहा है। मगर वर्तमान में आर एन सिंह की दखल हर क्षेत्र में हैं। उनकी वजह से तो वन मंत्री की निजी पद-स्थापना में चार अफसर-कर्मी बदले जा चुके हैं। वन विभाग में गड़बडिय़ों की शिकायत शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच चुकी है। अब आगे क्या होता है, इस पर नजरें टिकीं हुई है।
दीवाली का नजराना
दीवाली त्यौहार के मौके पर इस बार मीडिया कर्मियों में कहीं खुशी, तो कहीं गम का नजारा देखने को मिला। त्यौहार से पहले कुछ मीडिया कर्मी अडानी समूह के सौजन्य से गुजरात सैर-सपाटे से हो आए ,तो उनसे चिढ़े लोग सोशल मीडिया पर अब भी काफी कुछ लिख रहे हैं।
इन सबके बीच त्यौहार में मंत्रियों-नेताओं की तरफ से कई मीडिया कर्मी नजराने की उम्मीद पाले हुए थे मगर कईयों को निराशा हाथ लगी। भटगांव के मीडिया कर्मियों ने मंत्री का नजराना सिर्फ इसलिए लौटा दिया कि उनका सम्मान अंबिकापुर के मीडिया कर्मियों के मुकाबले आधा ही था।
रायपुर का हाल भी कुछ अलग नहीं था।यहां हमेशा की तरह मीडिया कर्मियों को मोहन भैया से काफ़ी उम्मीदें थीं। इसकी वजह यह भी थी कि उनके अपने विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हो रहा है। यानी पार्टी और मोहन भैया, दोनों की तरफ से अलग-अलग नजराने की उम्मीद पाले हुए थे। मगर मोहन भैया ने इस बार निराश कर दिया। उन्होंने अपने को पार्टी में समाहित कर दिया।
मीडिया कर्मियों को एक ही जगह से नजराना हो पाया। ये अलग बात है कि इसमें मोहन भैया के सारे नामों को भी शामिल किया गया। मोहन भैया का वित्तीय अनुशासन देखकर मीडिया कर्मी हैरान परेशान हैं। चर्चा है कि उपचुनाव के लिए एकत्र चंदा अब तक के सारे रिकॉर्ड पार कर गया है। मगर मीडिया कर्मियों को कौन समझाए कि मोहन भैया और संगठन एक हो चुके हैं और मिलजुल कर काम कर रहे हैं।
हां, जिन दो नवयुवकों पर नजराना भेंट करने की? जिम्मेदारी थी उनकी अपनी पसंद-नापसंद भी थी जिनकी वजह से भी कई वंचित रह गए। अब नाराज लोग चुनाव में सबक सिखाने पर भी उतारू दिख रहे हैं। वाकई ऐसा होगा, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।
होर्डिंग किंग का प्रभाव
राजधानी रायपुर सहित प्रदेशभर में कुछ होर्डिंग एजेंसियों के बीच गला काट प्रतिस्पर्धा चल रही है। कुछ लोगों का सत्ता के गलियारों में धमाकेदार प्रवेश हो चुका है। कुछ लोग प्रभाव जमाने जोड़ तोड़ में लगे है। होर्डिग एजेंसियां अपना प्रभाव बनाने धीरे-धीरे पत्रकारिता में प्रवेश कर रहे है। पिछले दिनों पर्यावरण विभाग के जनसंपर्क अधिकारी के निलंबन की कहानी में भी होर्डिंग वालों की बड़ी भूमिका है। कुछ विभागों में और कुछ मंत्रियों से होर्डिग वाले मनचाहा आर्डर करवा ले रहे है। पर्यावरण विभाग के जनसंपर्क अधिकारी के निलंबन के बाद शीर्ष अधिकारी भी घेरे में आ रहे है। पर्यावरण विभाग दूषित हवा कम करने से ज्यादा दूसरे कामों में व्यस्त है।
मैनेजमेंट
पीडब्ल्यूडी अफसरों दीवाली के दिन बड़ा तोहफा मिला। कईयों का प्रमोशन हुआ, तो कईयों को मनचाही पोस्टिंग मिल गई। मगर जिस बड़े फेरबदल बदल की उम्मीद थी वो नहीं हो पाया।
बताते हैं कि पीडब्ल्यूडी के ईएनसी पिपरी की जगह नए के लिए फाइल चल चुकी है। सारा हिसाब किताब भी हो चुका था। विभाग के लोगों ने नए को बधाई देना भी शुरू कर दिया था। मगर पता नहीं फाइल कहां अटक गई, पोस्टिंग आर्डर जारी नहीं हो पाया। अब लोग पिपरी साब के मैनेजमेंट की दाद देने लगे हैं।