SUNITA WILLIAMS SPACEX RETURN MISSION : सुनीता विलियम्स की धरती वापसी, स्पेसएक्स के ड्रैगन से आज लौटेंगी, जानिए पूरा प्रोसेस

SUNITA WILLIAMS SPACEX RETURN MISSION : Sunita Williams will return to Earth, will return today with SpaceX’s Dragon, know the whole process
नई दिल्ली। SUNITA WILLIAMS SPACEX RETURN MISSION भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्षयात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी अंतरिक्षयात्री स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से आज धरती पर लौटने वाले हैं। भारतीय समयानुसार बुधवार तड़के सुबह 3:30 बजे उनकी स्प्लैशडाउन लैंडिंग होगी।
नासा के अनुसार, सुनीता विलियम्स और बुच विल्मर पिछले जून से अंतरिक्ष में फंसे हुए थे। अब नासा और स्पेसएक्स के प्रयास से उनकी सुरक्षित वापसी हो रही है। उनके साथ अंतरिक्षयात्री निक हेग और एलेक्जेंडर गोर्बुनोव भी लौटेंगे।
कैसे होगा अंतरिक्ष से धरती का सफर?
SUNITA WILLIAMS SPACEX RETURN MISSION सुनीता विलियम्स का धरती पर लौटने का सफर करीब 17 घंटे लंबा होगा। इसमें कई चरणों की प्रक्रिया शामिल है:
1. प्रेशर सूट और सुरक्षा जांच – अंतरिक्षयात्री स्पेसएक्स ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में बैठने से पहले प्रेशर सूट पहनेंगे और स्पेसक्राफ्ट की सीलिंग की जांच होगी।
2. अनडॉकिंग – भारतीय समयानुसार सुबह 10:35 बजे स्पेसक्राफ्ट आईएसएस (इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन) से अलग होगा। यह प्रक्रिया पूरी तरह ऑटोमैटिक होगी।
3. डीऑर्बिट बर्न – बुधवार तड़के 2:41 बजे स्पेसक्राफ्ट के इंजन फायर होंगे, जिससे यह धरती की ओर तेजी से बढ़ेगा।
4. वायुमंडल में प्रवेश – स्पेसक्राफ्ट 27,000 किमी/घंटा की रफ्तार से पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल होगा, जिससे घर्षण के कारण तेज गर्मी पैदा होगी।
5. पैराशूट खुलेंगे – 18,000 फीट की ऊंचाई पर पहले दो ड्रैग पैराशूट और फिर 6,000 फीट पर मुख्य पैराशूट खुलेंगे।
6. स्प्लैशडाउन (समुद्र में लैंडिंग) – फ्लोरिडा के तट पर भारतीय समयानुसार सुबह 3:27 बजे स्प्लैशडाउन होगा। अगर मौसम खराब हुआ तो लैंडिंग का स्थान बदला जा सकता है।
SUNITA WILLIAMS SPACEX RETURN MISSION मिशन क्यों है खास?
– सुनीता विलियम्स का यह दूसरा अंतरिक्ष मिशन है।
– स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट का यह महत्वपूर्ण रिटर्न मिशन है।
– इस मिशन से नासा और स्पेसएक्स की साझेदारी को मजबूती मिलेगी।
SUNITA WILLIAMS SPACEX RETURN MISSION अब सबकी नजरें इस ऐतिहासिक लैंडिंग पर टिकी हैं, जो अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर साबित होगी।