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तिरछी नजर 👀 : सरकार बैकफुट पर…✒️✒️

राज्य सेवा परीक्षा के नतीजे आने के बाद गड़बड़ी के आरोपों से सरकार बैकफुट पर आ गई है। पीएससी ने अभ्यर्थियों के प्राप्तांक सार्वजनिक कर दिया है, लेकिन लोग संतुष्ट नहीं है। इस सवाल का कोई जवाब पीएससी की तरफ से नहीं आया है कि टामन सिंह सोनवानी ने दत्तक पुत्र का सरनेम अंतिम नतीजे में गायब क्यों हो गया? जबकि इससे पहले हर जगह उनका सरनेम लिखा हुआ हैं।
सोनवानी का प्रशासनिक कैरियर दागदार रहा है। इसलिए गड़बड़ी के आरोप वजनदार दिख रहे हैं। इन सब वजहों से वो अभ्यार्थी भी शक के घेरे में आ गए हैं, जो अपने मेहनत के दम पर सलेक्ट हुए हैं। कुल मिलाकर चुनावी साल में भाजपा को बैठे बिठाए बड़ा मुद्दा मिल गया है, जो बाकी मुद्दों से ज्यादा प्रभावी नजर आ रहा है। इसने हर वर्ग के युवा खफा दिख रहे हैं।

संतुष्ट रखने की चुनौती

बलरामपुर के नए एसपी लाल उम्मेद सिंह को स्थानीय विधायक बृहस्पति सिंह और दिग्गज भाजपा नेता रामविचार नेताम, दोनों को संतुष्ट रखने की चुनौती है।
सर्वविदित है कि बृहस्पति सिंह की वजह से ही एसपी मोहित गर्ग को हटाया गया। खास बात है कि नए एसपी लाल उम्मेदसिंह के दोनों दिग्गज बृहस्पति सिंह और रामविचार नेताम से मधुर संबंध हैं।
लाल उम्मेदसिंह, रामविचार नेताम के गृहमंत्री रहते तीन साल सरगुजा में सीएसपी रह चुके हैं। तब बलरामपुर जिला अस्तित्व में नहीं था। चुनाव में पांच महीने बाकी रह गए हैं। ऐसे में दोनों धुर विरोधी नेताओं के बीच किस तरह काम कर पाते हैं, यह‌ देखना है।

सॉफ़्ट हिंदुत्व का सहारा

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा नेताओं को लगता है कि सॉफ़्ट हिंदुत्व की राह पर चलकर ही विधानसभा पहुँचा जा सकता है। यही कारण है कि हर संपन्न और सक्षम नेता इन दिनों बाबाओं और कथावाचकों के आयोजन कराने में जुटा हुआ है। सरकार ख़ुद 1 जून से रायगढ़ में रामायण मेला कराने जा रही है। वहीं अजय चंद्राकर के बाद मंत्री जयसिंह अग्रवाल जून मध्य में मशहूर कथावाचिका जयाकिशोरी का बड़ा कार्यक्रम कराने जा रहे हैं। रायपुर दक्षिण में रमेश भाई ओझा की भागवत कथा हो चुकी है, जिसके पीछे महापौर एजाज़ ढेबर की बड़ी भूमिका बतायी जाती है। अब भाजपा ने बागेश्वर धाम के चर्चित आचार्य धीरेंद्र शास्त्री का कार्यक्रम चार स्थानों पर कराने की योजना बनायी है। पार्टी नेताओं को भरोसा है कि 4 बड़े आयोजनों से आचार्य धीरेन्द्र हवा का रुख़ पलट कर रख देंगे। देखें क्या नतीजा सामने आता है।

नेता और नेतृत्व का झगड़ा

विधानसभा चुनाव को छह महीने से भी कम समय बचा है और भाजपा में नेता और नेतृत्व तय नहीं हो पाया है। पुराने और खाँटी नेता दिल से अरुण साव का नेतृत्व स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। इसके बाद सबसे प्रमुख चुनाव समिति की कमान रामविचार नेताम को देने की बात चली तो डॉक्टर रमन सिंह ने रोड़ा अटका दिया। इसी तरह कोर ग्रुप और बाक़ी समितियों में भी बदलाव का मामला अटका हुआ है। पार्टी अब जल्दबाज़ी में है और जून के पहले या दूसरे हफ़्ते में चेहरे बदलने का काम पूरा हो जाएगा। तब तक पार्टी बैठक, भोजन और विश्राम वाली रणनीति पर क़ायम रहेगी।

दिल्ली से आएगा घोषणा-पत्र

प्रदेश भाजपा में नेताओं के झगड़े इस क़दर बढ़ गए हैं कि अब दिल्ली ने पूरी चुनावी कमान अपने हाथ में ले ली है।इस बार घोषणा पत्र भी दिल्ली से आएगा और उसको जारी करने वाले नेता भी। मोटे तौर पर तय किया गया है कि धान का समर्थन मूल्य और मुफ़्त की दूसरी योजनाओं के जवाब में भाजपा भी लोक-लुभावन घोषणा पत्र जारी करेगी। 15 साल की रमन सरकार ने घोषणा पत्र के कई वादे पूरे नहीं किए थे। इस कारण पुराने चेहरों की बजाय दिल्ली से नए चेहरे लाकर घोषणा पत्र जारी करने की रणनीति बनायी गई है। औपचारिक खानापूर्ति के लिए घोषणा पत्र समिति का ऐलान अगले महीने हो जाएगा।

एक बार और सही..

फोन निकालने के जलाशय को खाली करने के मामले में निलंबित खाद्य निरीक्षक राजेश विश्वास की तड़क-भड़क जीवन शैली की चर्चा पहले भी होती रही। रिवाल्वर लेकर तस्वीर सोशल मीडिया में छाई हुई है।
विश्वास पहले भी भ्रष्टाचार के केस में सस्पेंड हो चुका है। जिले के विधायकों से उसके मधुर संबंध बताए जाते हैं। ऐसे में एक और सस्पेंशन की कार्रवाई से ज्यादा कुछ फर्क पड़ेगा, इसकी संभावना कम है।

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