
From Mahant to Chief Minister, Yogi @53
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज 53 वर्ष के हो गए। ‘महंत से मुख्यमंत्री’ तक का उनका सफर केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुशासन और जनसेवा की अद्भुत मिसाल है। गोरखनाथ मठ के पीठाधीश्वर से लेकर सबसे बड़े राज्य के निर्विवाद नेता बनने तक, योगी का जीवन वैराग्य, तप और संकल्प की कहानी है।
23 वर्ष की आयु में सन्यास लेने वाले योगी आदित्यनाथ ने 1998 में मात्र 26 वर्ष की उम्र में संसद में पदार्पण किया। गोरखपुर से 5 बार सांसद रहने के बाद जब 2017 में उत्तर प्रदेश की सत्ता उनके हाथों में आई, तो एक सन्यासी मुख्यमंत्री बन गया -एक ऐसा दृश्य, जो भारतीय लोकतंत्र में विरल है।
आज, उनके जन्मदिन पर अयोध्या से लेकर काशी और गोरखपुर तक समर्थकों ने विशेष पूजा-अर्चना की। अयोध्या में रामलला को 53 दीप अर्पित किए गए, वहीं वाराणसी में गंगा आरती योगी के जन्मदिवस को समर्पित की गई।
योगी सरकार को आज 7 वर्ष हो चुके हैं। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश को माफिया राज से मुक्त करने, निवेश और कानून-व्यवस्था को सशक्त बनाने, और धार्मिक पर्यटन को विश्व मंच पर लाने जैसे कई साहसिक कार्य किए हैं। अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण उनके कार्यकाल का ऐतिहासिक प्रतीक बन चुका है।
मुख्यमंत्री का जीवन दर्शन –
योगी आदित्यनाथ का मानना है कि “राजनीति सेवा का माध्यम है, न कि स्वार्थ का साधन।” यही कारण है कि उनका जीवन अभी भी मठ की सादगी में रमा है, चाहे मुख्यमंत्री आवास हो या अयोध्या का रामलला दरबार, हर स्थान पर एक सन्यासी की छवि दिखाई देती है।
अब सबसे बड़ा सवाल…
जब उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ का नेतृत्व विकास और धर्म दोनों का संतुलन बना रहा है -तो क्या आने वाले वर्षों में देश को योगी का आध्यात्मिक नेतृत्व मिलेगा? क्या भारत की राजनीति फिर से धर्म, राष्ट्रवाद और अनुशासन के त्रिकोण पर खड़ी होगी?