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कवर्धा कांड पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार को ठहराया दोषी, पूछे ये पांच सवाल

रायपुर। लोहारीडीह मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज तथा पूर्व मंत्री धनेन्द्र साहू ने विष्णुदेव सरकार को कटघरे में खड़ा किया। इस मुद्दे को लेकर आयोजित प्रेस वार्ता में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोहारीडीह की घटना में सरकार को दोषी बताते हुये सरकार से पांच सवाल पूछे, जो इस प्रकार हैं :-

पुलिस के अनुसार शिवप्रसाद उर्फ कचरू साहू ने आत्महत्या की. परिवार वालों व ग्रामीणों का कहना है कि यह हत्या का मामला है। शव का पोस्टमॉर्टम मध्यप्रदेश में हुआ। बिना परिजनों को बुलाए 9 साल के बेटे की उपस्थिति में आनन-फानन में अंतिम संस्कार कर दिया गया। कचरू साहू की बेटी ने फिर से पोस्टमॉर्टम करने का छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री, गृह सचिव, डीजीपी और संबंधित जिले के एसपी को पत्र लिखा है। मैंने भी इसी आधार पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।

सवाल यह है कि क्यों इस संबंध में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारें और पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है? अगर यह मामला मध्यप्रदेश से जुड़ा हुआ है तो क्या छत्तीसगढ़ पुलिस ने मध्यप्रदेश सरकार से इस संबंध में कोई पहल की है?

15 सितंबर 2024 को ग्रामीणों ने कथित रूप से एक मकान को आग लगा दी और उसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने 69 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें से पांच तो कचरू साहू का पोस्टमार्टम करवाने गए थे। कुछ लोग हैदराबाद से लौटे थे और कुछ लोग बाहर के रहने वाले हैं और घटना वाले दिन गांव में थे ही नहीं।

सवाल यह है कि पुलिस मे बिना विवेचना किए लोगों को किस आधार पर गिरफ्तार किया और गिरफ्तार किए गए लोगों पर धाराएं किस आधार पर लगाई गईं?

गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या 69 थी, जिनमें से एक की अभिरक्षा में मौत हो चुकी है, लेकिन मामला 169 लोगों के खिलाफ है. सुना है कि कुल पांच मामले दर्ज किए गए हैं।

सवाल यह है कि जिन लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं, उनकी सूची अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं की गई है? जिन लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं, उन पर कौन सी धाराएं लगाई गई हैं?

छत्तीसगढ़ सरकार ने घटना को लेकर बढ़ते आक्रोश के बाद दंडाधिकारी जांच के आदेश दिए हैं।
सवाल यह है कि यदि जांच के आदेश दे दिए गए हैं तो जांच के बिंदु क्या तय किए गए हैं? क्या इसमें पुलिस हिरासत में प्रशांत साहू की मौत के अलावा बाकी लोगों की बर्बरतापूर्ण पिटाई की भी जांच होगी?

जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनके साथ पुलिस ने बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया है। महिलाओं को भी बुरी तरह से पीटा गया है। कुछ लोगों की हड्डियां टूटने की भी सूचना है। इसी प्रताड़ना की वजह से प्रशांत साहू की मौत हो गई।

सवाल यह है कि प्रशांत साहू की मौत के लिए कितने पुलिस कर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है? क्या इसमें तत्कालीन पुलिस अधीक्षक और जिलाधीश का नाम है? अगर मामला दर्ज हुआ है तो क्या वह हत्या का मामला है? अगर नहीं है तो क्यों नहीं है?

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