ED CHARGESHEET : Major ED action against Reliance Power
नई दिल्ली। एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने रिलायंस पावर लिमिटेड और उससे जुड़ी कई कंपनियों व अधिकारियों के खिलाफ 68 करोड़ रुपये की कथित फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में बड़ी कार्रवाई की है। एजेंसी ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में PMLA के तहत विस्तृत चार्जशीट दाखिल कर दी है। यह मामला सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) का टेंडर हासिल करने के लिए कथित रूप से नकली बैंक गारंटी देने से जुड़ा है।
किनके नाम चार्जशीट में?
ED की चार्जशीट में कई बड़े नाम शामिल हैं –
रिलायंस पावर के पूर्व CFO अशोक कुमार पाल
रिलायंस NU BESS लिमिटेड
रोज़ा पावर सप्लाई कंपनी लिमिटेड
रिलायंस ग्रुप के एग्जीक्यूटिव पुनीत नरेंद्र गर्ग
फाइनेंस कंसल्टेंट अमर नाथ दत्ता
बायोथेन केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड और इसके डायरेक्टर रविंदर पाल सिंह चड्ढा एवं मनोज पोंगडे
इससे पहले पहली चार्जशीट में बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड और उसके MD पाठा सारथी बिस्वाल को नामजद किया गया था। आरोप है कि यह नेटवर्क कमीशन लेकर फर्जी बैंक गारंटी तैयार करता था।
ED की जांच में क्या सामने आया?
ED का कहना है कि रिलायंस NU BESS लिमिटेड ने SECI को जो बैंक गारंटी दी, वह असली नहीं थी। जांच में सामने आया कि –
SBI जैसी दिखने वाली फर्जी ईमेल ID बनाकर SECI को जाली कागज भेजे गए।
SECI के शक जताने के बाद IDBI बैंक से असली गारंटी लाने की कोशिश की गई, लेकिन देर होने पर SECI ने इसे मानने से इनकार कर दिया।
दूसरी बार कोलकाता SBI ब्रांच के नाम पर फर्जी विदेशी बैंक गारंटी बनाई गई।
इसके लिए s-bi.co.in नाम की नकली वेबसाइट बनाई गई, जो SBI की असली वेबसाइट जैसी दिखती थी।
जांच में पता चला कि रोज़ा पावर ने बिस्वाल ट्रेडलिंक को “ट्रांसपोर्टेशन सर्विस” के नाम पर 6.33 करोड़ रुपये दिए थे, जिसका उपयोग फर्जी गारंटी बनाने में हुआ।
अब तक ED इस केस में लगभग 1000 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच कर चुकी है। लगभग 5.15 करोड़ रुपये की ठगी के प्रमाण भी मिले हैं।
गिरफ्तारियां और कंपनी का बयान
इस मामले में पाठा सारथी बिस्वाल, अशोक कुमार पाल और अमर नाथ दत्ता को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। तीनों न्यायिक हिरासत में हैं।
रिलायंस पावर ने अपनी तरफ से कहा है कि –
“कंपनी और उसके कर्मचारी पूरी तरह निर्दोष हैं। यह फ्रॉड किसी थर्ड पार्टी द्वारा किया गया है। ED की जांच उसी FIR पर आधारित है, जो रिलायंस पावर ने खुद दर्ज कराई थी। आरोपों की कानूनी पुष्टि अभी नहीं हुई है।”
