RAHUL GANDHI DISTRICT FORMULA : Lessons from continuous defeat! Major reshuffle in Congress organization, now district presidents will get the right to distribute tickets…
रायपुर, 15 जुलाई 2025। लोकसभा चुनाव में करारी हार और लगातार घटते जनाधार के बाद कांग्रेस पार्टी ने संगठनात्मक ढांचे में बड़ा बदलाव करने का निर्णय लिया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के स्तर पर यह योजना ‘संगठन सृजन अभियान’ के तहत लागू की जा रही है, जिसकी कमान खुद राहुल गांधी ने संभाली है।
राहुल गांधी ने खुद संभाली कमान –
देशभर में जिलों का दौरा करने और कार्यकर्ताओं की बैठकें लेने के बाद राहुल गांधी ने हाल ही में दिल्ली में सभी जिला अध्यक्षों की बैठक ली थी। इस बैठक में संकेत दिया गया कि कांग्रेस अब जिला अध्यक्षों को अधिक अधिकार और जिम्मेदारी सौंपने जा रही है। अगर छत्तीसगढ़ में संगठनात्मक स्थिति अनुकूल रही, तो यहां भी जल्द ही इस बदलाव को लागू किया जाएगा।
कांग्रेस का नया फार्मूला –
छत्तीसगढ़ की सियासी पृष्ठभूमि देखें तो कांग्रेस को वर्ष 2000 में राज्य निर्माण के बाद पहली सरकार बनाने का मौका मिला था। लेकिन 2003 से लेकर 2018 तक पार्टी विपक्ष में रही। 2018 में वापसी के बाद भूपेश बघेल की सरकार बनी, मगर 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को फिर हार मिली।
इन हारों के बाद कांग्रेस नेतृत्व अब संगठनात्मक पुनर्गठन के जरिए नया रास्ता तलाशने की कोशिश में है।
अब ज़िला अध्यक्ष तय करेंगे चुनावी टिकट
नए प्रस्तावित फॉर्मूले के तहत –
जिला अध्यक्षों को चुनावी टिकट फाइनल करने का अधिकार मिलेगा।
जीत की ज़िम्मेदारी भी उन्हीं पर होगी, यानी यदि प्रत्याशी हारता है तो जवाबदेही जिला अध्यक्ष की होगी।
इससे स्थानीय स्तर पर जवाबदेही और समर्पण की भावना मजबूत होगी।
कांग्रेस चलाएँगे ज़िला अध्यक्ष –
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी की रणनीति साफ है – अब ज़िला अध्यक्ष ही संगठन की रीढ़ होंगे:
ज़िला अध्यक्षों को टिकट के साथ-साथ संगठन संचालन का भी पूरा अधिकार दिया जाएगा।
उनकी नियुक्ति के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक रिपोर्ट तैयार करेंगे, जिसे AICC अंतिम रूप देगा।
नियुक्ति के बाद कामकाज का मूल्यांकन लगातार होगा, और असंतोषजनक प्रदर्शन पर तुरंत बदलाव किया जाएगा।
कांग्रेस का मानना है कि जवाबदेही तय करने से पार्टी में अनुशासन और बेहतर निर्णय क्षमता विकसित होगी। राहुल गांधी के नेतृत्व में केंद्रीकृत निर्णय प्रणाली की बजाय स्थानीय स्तर पर सशक्त नेतृत्व को प्राथमिकता दी जा रही है।
