शिकारी डेरा में शिक्षा से दूर होते बच्चे, समाज और प्रशासन से ठोस कदम की दरकार

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नीरज शर्मा संवाददाता दैनिक छत्तीसगढ़ वॉच शिवरीनारायण ✍️

शिवरीनारायण। नगर के वार्ड नंबर-01 जनकपुरी (शिकारी डेरा) की सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति लंबे समय से चिंता का विषय बनी हुई है। इस क्षेत्र में मुख्यतः आदिवासी एवं पिछड़े वर्ग के लोग निवास करते हैं, जिनका आजीविका का मुख्य साधन कबाड़ इकठ्ठा करना और बेचने तक सीमित रहा है। धीरे-धीरे यहाँ शिक्षा से दूरी और सामाजिक पिछड़ापन बढ़ता जा रहा है।

स्थानीय स्तर पर यह देखा गया है कि कुछ परिवार चोरी, लूटपाट जैसी आपराधिक गतिविधियों में भी संलिप्त हो रहे हैं। इससे भी अधिक चिंताजनक यह है कि कुछ अभिभावक अपने बच्चों को भीख मांगने, कबाड़ बीनने और छोटे-मोटे श्रम कार्यों में लगाकर उनके भविष्य को अंधकार की ओर धकेल रहे हैं। शिक्षा से दूरी और बालश्रम की यह स्थिति समाज के लिए गहरी चिंता का विषय है।

विद्यालय प्रशासन के प्रयास

शिकारी डेरा स्थित शासकीय विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती विद्या साहू ने इस दिशा में सराहनीय प्रयास किए हैं। उन्होंने प्रभावित परिवारों से कई बार व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित किया। उनके प्रयासों से कुछ बच्चे शिक्षा से जुड़ भी पाए हैं। साथ ही उन्होंने अभिभावकों को अनाथ एवं जरूरतमंद बच्चों के लिए उपलब्ध सरकारी योजनाओं की जानकारी देकर शिक्षा की ओर बढ़ने हेतु प्रोत्साहित किया है।

अब आवश्यक है ठोस हस्तक्षेप

इन प्रयासों के बावजूद स्थिति में उल्लेखनीय सुधार नहीं हो सका है। विशेषज्ञों का मानना है कि अब इस क्षेत्र में व्यापक जागरूकता अभियान, सामाजिक सुधार कार्य और सख्त प्रशासनिक पहल की आवश्यकता है।

स्थानीय नागरिकों का भी कहना है कि यदि नगरीय प्रशासन, जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठन मिलकर ठोस कदम उठाएँ, तो शिकारी डेरा के बच्चों को मुख्यधारा में जोड़ा जा सकता है।

बदलाव की राह पर उम्मीद की किरण

समाज सुधार, शिक्षा प्रसार और भविष्य निर्माण की दिशा में शीघ्र कार्रवाई की अपेक्षा के साथ शिकारी डेरा के लोग अब बदलाव की उम्मीद लगाए हुए हैं।

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