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मुख्यमंत्री बजट की तैयारियों की करेंगे समीक्षा, बेरोजगारी भत्ते पर लग सकती है मुहर…

रायपुर । गणतंत्र दिवस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मास्टर स्ट्रोक मारते हुए विपक्ष के हाथों से बड़ा मुद्दा छिन लिया और बेरोजगारों के लिए बेरोजगारी भत्ता का ऐलान किया है।

मुख्यमंत्री के बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा के साथ ही चर्चाएं इस बात की शुरू हो गयी है कि बेरोजगारी भत्ता कितना दिया जायेगा, किस तरह के बेरोजगारों को इसका लाभ मिलेगा। अभी इसका पूरा खाका तो नहीं आया है, लेकिन माना यही जा रहा है कि इसका विस्तृत ऐलान बजट भाषण में मुख्यमंत्री करेंगे। वैसे भी मुख्यमंत्री ने नये वित्तीय वर्ष से बेरोजगारी भत्ता का ऐलान किया है।

इधर, शुक्रवार से सीएम भूपेश बघेल चुनावी बजट के लिए मंत्री स्तरीय चर्चाएं शुरू कर रहे हैं। पहले ही दिन बेरोजगारी भत्ता के प्रावधान को मंजूरी मिल सकती है। दरअसल उच्च एवं तकनीकी शिक्षा और रोजगार मंत्री उमेश पटेल के विभागों की बजट चर्चा मुख्यमंत्री के साथ है । लिहाजा आज बजट चर्चा में बेरोजगारी भत्ता को लेकर प्रस्तावों पर विस्तार से चर्चा होगी। सीएम बघेल ने एक अप्रैल से बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा की है।

2018 के जन घोषणा पत्र के मुताबिक यह भत्ता चार वर्षों से मिलना था। इसे लेकर तकनीकी शिक्षा और रोजगार विभाग ने 2019-20 के बजट से ही शुरू करने का प्रस्ताव दिया था। कैबिनेट के लिए तैयार संक्षेपिका के अनुसार 2019-20 में प्रदेश में 25 लाख बेरोजगार बताए गए और हरेक को 2500 रूपए भत्ता देने पर 250 करोड़ का व्यय भार आंका गया था। वहीं पिछले चुनाव से पहले युकां एनएसयूआई ने सर्वे कर 34 लाख बेरोजगार बताए थे। यदि इन सभी को भत्ता दिया जाएगा तो सरकार को 340 करोड़ रुपए लगेंगे।इस बीच सरकार का यह भी दावा है कि पिछले तीन वर्षों के दौरान बेरोजगारी दर प्रदेश में 1% से भी कम रह गई है। और देश में 8% इस दावे के साथ भता देने में खेला कर सकती है। हो सकता है बेरोजगारी भत्ता के लिए क्राइटेरिया ऐसे तय करे कि बेरोजगारों की संख्या 17–20 लाख के बीच सिमट आए। ताकि इससे व्यय भार में कमी आए। यानी अपने ही दावे और उपलब्धि में सरकार फंस सकती है।

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