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CG DIWALI SPECIAL : दीपावली में देवी दंतेश्वरी को जड़ी-बूटियों से बने औषधीय काढ़े से किया जाता है स्नान

CG DIWALI SPECIAL: During Diwali, Goddess Danteshwari is bathed with medicinal decoction made from herbs.

दंतेवाड़ा। दक्षिण बस्तर स्थित शक्तिपीठ दंतेश्वरी मंदिर में दीपावली पर देवी दंतेश्वरी को जड़ी-बूटियों से बने औषधीय काढ़े से स्नान कराया जाता है। सप्ताह भर चलने वाले विशेष पूजन तुलसी पानी की रस्म के अंतिम दिन यह विशेष अनुष्ठान होता है।

दीपावली पर देवी-दंतेश्वरी की पूजा लक्ष्मी स्वरूप में होती है, जबकि नवरात्र व अन्य अवसरों पर आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों में इनकी पूजा होती है। यहां दीवाली पर अनूठी परंपरा औषधीय काढ़े से कराते हैं। देवी दंतेश्वरी को स्नान पूजन का पौराणिक आधार है। प्रधान पुजारी हरेंद्र नाथ जिया के मुताबिक पौराणिक आख्यान के अनुसार भगवान विष्णु कार्तिक माह में मत्स्य स्वरूप में रहते हैं। कार्तिक माह में ही उन्होंने जलंधर का वध करने उसकी पत्नी तुलसी का पतिव्रत धर्म भंग किया था। इसके बाद से तुलसी को भगवान विष्णु की पत्नी के रूप में पूजा करने का वर दिया था, जिसके बाद से ऐसी परंपरा चली आ रही है। इस शक्तिपीठ में देवी, नारायणी स्वरूप में विराजित हैं। यही वजह है कि यहां पर मंदिर के सामने गरूड़ स्तंभ स्थापित है, जो अन्यत्र किसी भी देवी मंदिर में नहीं मिलता। तुलसी पूजन में कार्तिक चतुर्दशी तक 7 दिनों तक लगातार दंतेश्वरी सरोवर से पानी लाकर देवी को स्नान कराया जाता है।

ऐसे बनता है काढ़ा

लक्ष्मी पूजा की पूर्व संध्या पर मंदिर में सेवा देने वाले कतियार काढ़ा तैयार करने जंगल से तेजराज, कदंब की छाल, छिंद का कद और अन्य जड़ी बूटियां लेकर आते हैं। इस मौके पर पारंपरिक रायगिड़ी वाद्य और बाजा-मोहरी के वादन के बीच औषधियों को खास थाल में रखकर मंदिर तक पहुंचाया जाता है। इसके मंदिर के भोगसार यानी भोजन पकाने के कक्ष में उबालकर काढ़ा तैयार करते हैं। अगली सुबह यानी दीपावली की सुबह ब्रह्ममुहूर्त में देवी को इसी काढ़े से स्नान कराते हैं और लक्ष्मी स्वरूप में पूजन करते हैं। इसके साथ ही सप्ताह भर तक ब्रह्म मुहूर्त में होने वाली तुलसी पानी पूजा का समापन हो जाता है।

दंतेश्वरी मंदिर में हर त्योहार की अलग है परंपरा

दंतेश्वरी मंदिर में रक्षाबंधन हो या होली, दीवाली पर अलग रस्म ही निभाई जाती है, परंपराओं के लिए आज भी दंतेश्वरी मंदिर को जाना जाता है।

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