CONGRESS INTERNAL CONFLICT : CG कांग्रेस में उल्टी प्रक्रिया से संगठन में घमासान, पुराने नेताओं का पकड़ बरकरार

CONGRESS INTERNAL CONFLICT : Ruckus in CG Congress due to reverse process, old leaders retain hold
रायपुर, 4 अगस्त 2025। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा पुरानी निष्क्रिय कांग्रेस को हटाकर नई कांग्रेस के गठन की दिशा में सृजन अभियान की शुरुआत की गई है। लेकिन छत्तीसगढ़ में इस अभियान की शुरुआत ही विवादों में घिर गई है। यहां संगठन निर्माण की प्रक्रिया में पारदर्शिता की बजाय गुटबाजी, जोड़तोड़ और पद लोलुपता हावी होती नजर आ रही है।
चुनाव प्रक्रिया में पद के दावेदार ही बने संचालक
पार्टी ने जिस तरह चुनावी प्रक्रिया को संचालित किया है, उसमें जिन नेताओं की दावेदारी है, उन्हीं को चुनाव प्रक्रिया की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। इसका नतीजा यह है कि वे अपनी पसंद के पर्यवेक्षक नियुक्त करवा कर ब्लॉक और मंडल अध्यक्ष जैसे पदों पर अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।
मंडल अध्यक्ष पद बना नया केंद्र
नए सिस्टम में मंडल अध्यक्ष को पावरफुल बना दिया गया है। एक मंडल के अंतर्गत शहर के चार से पांच वार्ड होंगे। इससे इस पद को लेकर खासी रस्साकशी चल रही है। पुराने जिला अध्यक्षों के माध्यम से जोड़तोड़ का सिलसिला अब भी जारी है।
पर्यवेक्षक भी पक्षपाती!
जिलों में पर्यवेक्षक के रूप में अधिकतर पूर्व मंत्री या वरिष्ठ विधायक नियुक्त किए गए हैं, लेकिन इनमें से कई पर आरोप है कि उन्होंने खुद को पसंद करने वाले नेताओं के कहने पर पर्यवेक्षक बनवाया है। अब यही पर्यवेक्षक वर्तमान जिला अध्यक्षों के जरिए चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहे हैं।
रायपुर-बिलासपुर में गुटबाजी चरम पर
रायपुर और बिलासपुर जैसे जिलों में कांग्रेस की गुटबाजी सबसे तीव्र है। रायपुर में आर्थिक नाकेबंदी के समय ही आपसी खींचतान सड़कों तक आ चुकी थी। वहीं, बिलासपुर में वार्ड स्तर से लेकर मंडल स्तर तक चयन प्रक्रिया में पक्षपात और अनुशासनात्मक कार्रवाइयों की खुली राजनीति चल रही है।
उलटी प्रक्रिया से विवाद तय
राज्य में पहले प्रदेश अध्यक्ष और जिला अध्यक्षों को बदलने की जरूरत थी, उसके बाद ही ब्लॉक और मंडल स्तर की नियुक्तियां की जानी चाहिए थीं। लेकिन जब पुरानी टीम ही नई संरचना की जिम्मेदारी निभा रही है, तो निष्पक्षता की उम्मीद मुश्किल दिख रही है।