BASTAR NAXALISM END : बस्तर में माओवाद के खात्मे और विकास के लिए देश के बुद्धिजीवियों का आह्वान

BASTAR NAXALISM END : Call of intellectuals of the country for the end of Maoism and development in Bastar
रायपुर, 29 मई 2025। BASTAR NAXALISM END बस्तर क्षेत्र में माओवादी आतंकवाद के समूल नाश और समग्र विकास की मांग को लेकर आज रायपुर में एक अहम पत्रकार वार्ता आयोजित की गई। इस दौरान देशभर के कई प्रतिष्ठित बुद्धिजीवियों और संगठनों ने माओवादी हिंसा के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की।
इस पत्रकार वार्ता को प्रोफेसर एस.के. पांडे (पूर्व कुलपति), अनुराग पांडे (सेवानिवृत्त आईएएस), बी. गोपा कुमार (पूर्व उप-सॉलिसिटर जनरल) और शैलेन्द्र शुक्ला (पूर्व निदेशक, क्रेडा) ने संबोधित किया।
BASTAR NAXALISM END बस्तर पिछले चार दशकों से माओवादी हिंसा की चपेट में है, जिसमें हजारों निर्दोष आदिवासी, सुरक्षाकर्मी, शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि मारे जा चुके हैं।
प्रोफेसर एस.के. पांडे ने बताया कि साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार केवल छत्तीसगढ़ में माओवादी हिंसा के चलते एक हजार से अधिक आम नागरिकों की मौत हुई है, जिनमें अधिकांश बस्तर के आदिवासी हैं।
BASTAR NAXALISM END अनुराग पांडे ने कहा कि माओवादी हिंसा के बिना किसी भी प्रकार की शांति वार्ता असंभव है। माओवादियों के फ्रंटल संगठनों की पहचान कर उन पर वैधानिक कार्रवाई होनी चाहिए।
बी. गोपा कुमार ने कहा कि माओवादी हिंसा के चलते हुई पुरानी वार्ताओं की असफलता से सबक लेना चाहिए। 2010 के ताड़मेटला नरसंहार की घटना एक चेतावनी है जिसे भूलना नहीं चाहिए।
शैलेन्द्र शुक्ला ने कहा कि शांति, विकास और न्याय की राह माओवाद के निर्णायक खात्मे से ही संभव है।
प्रमुख मांगे –
माओवाद और उनके समर्थक संगठनों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई को और मजबूत किया जाए।
माओवादी हिंसा और हथियारों के त्याग के बिना किसी भी प्रकार की वार्ता को अमान्य घोषित किया जाए।
माओवादी समर्थक व्यक्तियों और संगठनों पर वैधानिक कार्रवाई की जाए।
बस्तर की जनता की सुरक्षा, विकास और न्याय के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाए जाएं।
BASTAR NAXALISM END पत्रकार वार्ता के दौरान एक सार्वजनिक पत्र भी जारी किया गया, जिसमें इंटेलेक्चुअल फोरम ऑफ छत्तीसगढ़, भारत लॉयर्स फोरम, बस्तर शांति समिति, शक्ति विज्ञान भारती, छत्तीसगढ़ सिविल सोसाइटी, राइटर्स फॉर द नेशन, जनजाति सुरक्षा मंच, अवसर फाउंडेशन सहित 15 से अधिक मंचों ने हस्ताक्षर किए।
BASTAR NAXALISM END पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख व्यक्तित्वों में जस्टिस राकेश सक्सेना, मेजर जनरल मृणाल सुमन, ब्रिगेडियर राकेश शर्मा, डॉक्टर टी.डी. डोगरा, राकेश चतुर्वेदी (सेवानिवृत्त आईएफएस), डॉक्टर वर्णिका शर्मा, प्रोफेसर बी.के. स्थापक, श्याम सिंह कुमरे (सेवानिवृत्त आईएएस), अधिवक्ता संघर्ष पांडे, अधिवक्ता कौस्तुभ शुक्ला, किरण सुषमा खोया, प्रोफेसर दिनेश परिहार, विक्रांत कुमरे जैसे कई शिक्षाविद, अधिवक्ता और नीति विशेषज्ञ शामिल हैं।
बुद्धिजीवियों ने एक स्वर में यह स्पष्ट किया कि बस्तर की शांति और विकास के लिए माओवाद का निर्णायक रूप से समाप्त होना अनिवार्य है। उन्होंने सरकार से माओवाद के खिलाफ सतत और सशक्त कार्रवाई की मांग की।