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ATIQ AHMED UPDATE : माफिया डॉन अतीक अहमद को यूपी में एंट्री ! बहन ने जताई एनकाउंटर की आशंका …

ATIQ AHMED UPDATE: Entry of Mafia Don Atiq Ahmed in UP! Sister expressed apprehension of encounter …

रायपुर डेस्क। उमेश पाल हत्याकांड में आरोपी माफिया डॉन अतीक अहमद को यूपी पुलिस गुजरात की साबरमती जेल से प्रयागराज ले जा रही है। डर है कि इस दौरान उसका एनकाउंटर किया जा सकता है। हालांकि शिवपुरी में जब काफिला रुका और मीडियाकर्मियों ने पूछा कि क्या डर लग रहा है तो अतीक ने कहा, काहे का डर। इसी खौफ के बीच रातभर का सफर तय करते हुए यूपी पुलिस का काफिला सोमवार सुबह मध्य प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर गया। यहां शिवपुरी से कुछ पहले काफिला रोका गया। यहां अतीक को भी गाड़ी से उतारा गया। यूरिन करने के बाद वह फिर गाड़ी में सवार हुआ। इस दौरान मीडिया का हुजूम भी मौजूद रहा।

अतीक की बहन ने जताई एनकाउंटर की आशंका –

अतीक के काफिले के साथ उसके परिवार के लोग भी साथ चल रहे हैं। इसी दौरान अतीक की बहन ने आशंका जताई कि उनके भाई का एनकाउंंटर किया जा सकता है। बहन आयशा अपनी दो बेटियों के साथ काफिले के साथ चल रही है।

28 मार्च को अतीक अहमद की पेशी –

बता दें, अपहरण के मामले में अतीक अहमद को 28 मार्च को प्रयागराज की कोर्ट में पेश किया जाना है। यही कारण है कि पुलिस उसे लेकर जा रही है।

इस बीच, बरेली सेंट्रल जेल में भी हलचल तेज हो गई है। यहां अतीक का भाई अशरफ कैद है। अशरफ को भी जेल से निकालकर प्रयागराज ले जाना है। अशरफ को भी एनकाउंटर का डर सता रहा है। यही कारण है कि उसने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की अपील की है।
जानिए क्या है उमेश पाल अपहरणकांड

बतादें, जनवरी 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के गवाह उमेश पाल के अपहरण और प्रताड़ित करने के मुकदमे में माफिया अतीक अहमद, छोटे भाई अशरफ सहित 11 आरोपित हैं। एक आरोपित की मौत हो चुकी है। 28 फरवरी, 2006 को दिनदहाड़े प्रयागराज में उमेश पाल का अपहरण कर लिया गया था।

हथियारों से लैस कार सवार लोग उमेश पाल को अतीक के कार्यालय ले गए, जहां उसकी बेरहमी से पिटाई की गई। इसके बाद कोर्ट में ले जाकर झूठी गवाही दिलवाई गई। उस वक्त उमेश पाल जिला पंचायत सदस्य के सदस्य थे। घटना के बाद पांच जुलाई, 2007 को पुलिस ने तत्कालीन सांसद अतीक अहमद, अशरफ, दिनेश पासी, अंसार और सौलत हनीफ को नामजद किया था।

बता दें, उमेश पाल ने 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री, राज्यपाल, मुख्य सचिव, डीजीपी सहित अन्य अधिकारियों को पत्र लिखा था। इसमें उमेश ने राजू पाल हत्याकांड के केस में बयान बदलने लिए खुद के साथ हुए अत्याचार की शिकायत की थी। शिकायती पत्र में अपहरणकांड का जिक्र भी किया था, जिसके बाद मामले में एफआईआर लिखी गई थी।

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