कांग्रेस पार्टी के मेयर पर कोर्ट मे दर्ज हुआ भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का मामला, इस तारीख को होगी सुनवाई

जगदलपुर। कांग्रेस पार्टी ने मेयर सफीरा साहू के खिलाफ भ्रष्टाचार और दस्तावेजों की धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 175 (1) (4) के तहत वरिष्ठ अधिवक्ता संकल्प दुबे के माध्यम से सीजीएम कोर्ट में मामला दर्ज कराया है। कोर्ट ने सुनवाई के लिए 20 दिसंबर की तारीख तय की है, जिसमें तय होगा कि मामले को आगे बढ़ाया जाए या नहीं।
बता दें कि, मेयर सफीरा साहू की तरफ से कौन पक्ष रखेगा यह अभी तक तय नहीं किया गया है। पूरे राज्य में यह पहला मामला है, जब किसी मेयर के खिलाफ भ्रष्टाचार और दस्तावेजों की धोखाधड़ी से संबंधित आवेदन कोर्ट में पेश किया गया है। वैसे तो राजनीतिक दल पहले भी विभिन्न दलों के मेयरों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन किसी भी दल ने इस तरह से मे खिलाफ कोर्ट में मामला नहीं उठाया है।
FIR के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई
शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुशील मौर्य ने कहा है कि, शहर के विभिन्न वार्डों में मेयर निधि से संचालित कई परियोजनाएं सिर्फ कागजों पर ही स्वीकृत हुई हैं। निगम में विपक्ष के उपनेता राजेश राय ने कई दस्तावेज पेश किए हैं, जिनसे पता चलता है कि जिन वार्डों में मेयर निधि से लाखों रुपए खर्च कर काम किए जाने का दावा किया जा रहा है, वहां कोई वास्तविक काम नहीं हुआ है। इस मामले को लेकर कलेक्टर, बस्तर एसपी और थाने में शिकायत की गई है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
मेयर सफीरा साहू बोली – कांग्रेस पार्टी में नहीं होता महिलाओं का सम्मान
कांग्रेस नेता मेयर सफीरा साहू पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। वे खुद कांग्रेस पार्षद रहते हुए कांग्रेस पार्षद दल के समर्थन से मेयर बनी हैं। भाजपा नेता और निगम में विपक्ष के नेता संजय पांडे समेत अन्य लोगों ने मेयर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, यहां तक कि एक मामला आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) तक भी ले गए हैं। भ्रष्टाचार के इन आरोपों के बीच मेयर हाल ही में भाजपा में शामिल हुई, जिस दौरान उन्होंने कहा कि, कांग्रेस पार्टी में महिलाओं का सम्मान नहीं होता। मेयर सफीरा साहू ने कहा कि, कांग्रेस पार्टी द्वारा उन पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में वे पहले ही सब कुछ स्पष्ट कर चुकी हैं। कांग्रेस एक लिपिकीय त्रुटि को भ्रष्टाचार का नाम देने की कोशिश कर रही है। कोई ठोस मुद्दा न होने के कारण वे जबरन इस मामले को सामने ला रहे हैं। अगर भ्रष्टाचार के आरोपों में कोई सच्चाई होती तो पुलिस ने उनके खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की? सत्य परेशान हो सकता है. लेकिन पराजित नहीं हो सकता।