UNSAFE BUS DESIGN : सार्वजनिक बसों की खतरनाक डिजाइन पर NHRC सख्त, राज्यों को अल्टिमेटम

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UNSAFE BUS DESIGN : NHRC strict on dangerous design of public buses, ultimatum to states

नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने सार्वजनिक परिवहन बसों की असुरक्षित और नियमों के खिलाफ डिजाइन पर गंभीर चिंता जताते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को नोटिस भेजा है। आयोग ने चेतावनी दी कि ऐसी डिज़ाइन यात्रियों की जान के लिए बड़ा खतरा हैं और अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का उल्लंघन करती हैं।

ड्राइवर केबिन अलग होने से बढ़ रहा खतरा

आयोग को मिली शिकायत में आरोप लगाया गया कि कई बसों में ड्राइवर केबिन को पूरी तरह बंद कर दिया जाता है, जिससे आग लगने या आपात स्थिति में ड्राइवर और यात्रियों के बीच संवाद संभव नहीं हो पाता। हाल की कई आगजनी की घटनाओं में इसी कारण यात्रियों की मौत हुई।

CIRT की रिपोर्ट में बड़े खुलासे

आयोग द्वारा मांगी गई रिपोर्ट में केंद्रीय सड़क परिवहन संस्थान (CIRT), पुणे ने गंभीर कमियां उजागर कीं –

घटना वाली बस में बस बॉडी निर्माण के मानकों का उल्लंघन

स्लीपर बस में नियमों के खिलाफ ड्राइवर पार्टिशन डोर

12 मीटर से लंबी बसों में 5 आपात निकास अनिवार्य, लेकिन उपलब्ध नहीं

2019 से अनिवार्य फायर डिटेक्शन एंड सप्रेशन सिस्टम (FDSS) नहीं लगा था

चेसिस एक्सटेंशन व स्लाइडर जैसी अनधिकृत फिटिंग

14 अक्टूबर की बस आग घटना को बताया ‘क्रिमिनल नेग्लिजेंस’

NHRC ने कहा कि बस हादसा पूरी तरह नियमों की अनदेखी का परिणाम था। न केवल निर्माता व बॉडी बिल्डर, बल्कि फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने वाले अधिकारी भी गंभीर लापरवाही के दोषी हैं।

NHRC के निर्देश

सड़क परिवहन मंत्रालय सभी राज्यों को कड़े नियम लागू कराने के लिए एडवाइजरी जारी करे।

ड्राइवर पार्टिशन को तुरंत हटाया जाए और FDSS अनिवार्य रूप से लगाया जाए।

असुरक्षित बस बॉडी डिज़ाइन को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित किया जाए।

दोषी अधिकारियों और निर्माताओं पर तुरंत कार्रवाई हो।

पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए।

सभी राज्यों को 2 सप्ताह में ATR भेजने का आदेश।

NHRC ने साफ कहा कि यात्रियों की सुरक्षा से समझौता करने वालों को किसी भी तरह की ढील नहीं दी जाएगी।

 

 

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