POCSO CASE : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, दो बार दुष्कर्म करने वाले आरोपी को नहीं मिली राहत, दोनों मामलों में अलग-अलग भुगतनी होगी सजा

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POCSO CASE : Historical decision of Chhattisgarh High Court, accused of raping twice did not get relief, will have to suffer punishment separately in both the cases

बिलासपुर, 16 मई 2025। POCSO CASE छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दुष्कर्म के दो अलग-अलग मामलों में सजायाफ्ता आरोपी संजय नागवंशी की याचिका को खारिज करते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि आरोपी को दोनों मामलों में अलग-अलग सजा भुगतनी होगी, यानी अब उसे कुल 20 साल की कैद काटनी पड़ेगी। यह छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के इतिहास का पहला मामला है, जिसमें दो मामलों में मिली सजा को एकसाथ न चलाकर अलग-अलग चलाने का आदेश दिया गया है।

पहले मामले में सजा, फिर जमानत पर बाहर आकर दोहराया वही अपराध

POCSO CASE सीतापुर (सरगुजा) के चुहीगढ़ाई निवासी संजय नागवंशी ने मार्च 2014 में एक नाबालिग लड़की को शादी का झांसा देकर कुनकुरी ले जाकर तीन महीने तक उसके साथ दुष्कर्म किया था। 20 जून 2014 को पीड़िता ने परिजनों को आपबीती सुनाई, जिसके बाद मामला दर्ज हुआ और पाक्सो कोर्ट ने दिसंबर 2015 में आरोपी को धारा 376 और पाक्सो एक्ट के तहत 10 साल की सजा और अर्थदंड से दंडित किया।

इसके बाद आरोपी ने हाई कोर्ट में अस्थायी जमानत की अर्जी दी, जो उसे मिल गई। लेकिन जेल से छूटते ही उसने फिर एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म कर दिया। इस मामले में वर्ष 2019 में अंबिकापुर पाक्सो कोर्ट ने उसे फिर 10 वर्ष की कठोर सजा सुनाई।

हाई कोर्ट से मांगी थी राहत, लेकिन मिली सख्ती

POCSO CASE आरोपी ने सीआरपीसी की धारा 427(1) के तहत राहत मांगते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी कि दोनों सजाएं एकसाथ चलें। लेकिन न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आरोपी एक आदतन अपराधी है जिसने पहले अपराध के बाद भी सुधरने के बजाय फिर उसी तरह का जघन्य अपराध किया।

कोर्ट ने टिप्पणी की – “किसी भी प्रकार की छूट के लायक नहीं”

POCSO CASE कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “जमानत पर छूटने के बाद भी आरोपी ने एक नाबालिग की अस्मत लूटी, यह उसकी आपराधिक मानसिकता को दर्शाता है। ऐसे अपराधी को किसी भी प्रकार की रियायत नहीं दी जा सकती। दोनों सजाएं अलग-अलग तारीखों पर दी गईं और किसी भी निचली अदालत ने इन्हें एकसाथ चलाने का आदेश नहीं दिया।”

इस ऐतिहासिक फैसले के बाद आरोपी को अब कुल 20 साल की सजा भुगतनी होगी।

 

 

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