DELHI MCD EXIT POLL : क्या दिल्ली का अगला मेयर आम आदमी पार्टी से होगा ? एग्जिट पोल का सीधा इशारा, भाजपा का सफाया
DELHI MCD EXIT POLL: Will the next mayor of Delhi be from Aam Aadmi Party? Direct indication of exit polls, elimination of BJP
क्या दिल्ली का अगला मेयर आम आदमी पार्टी से होगा? एमसीडी चुनाव के एग्जिट पोल के नतीजे तो कम से कम यही इशारा कर रहे हैं. एग्जिट पोल में एमसीडी में आम आदमी पार्टी को बढ़त मिलने के आसार हैं. अगर ये एग्जिट पोल नतीजों में तब्दील होता है तो 8 साल पुरानी पार्टी पहली बार अपना मेयर बनाने में कामयाब होगी.
इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल में एमसीडी के 250 वार्डों में से आम आदमी पार्टी को 149 से 171 में जीत मिलने का अनुमान है. वहीं, बीजेपी को 69 से 91 वार्डों में जीत मिल सकती है. जबकि, कांग्रेस के खाते में महज 3 से 7 वार्ड ही आने की संभावना नजर आ रही है. अन्य को 5 से 9 वार्डों पर जीत मिल सकती है.
एग्जिट पोल में जो अनुमान लगाया गया है, अगर वो नतीजों में तब्दील होता है तो 15 सालों से एमसीडी पर काबिज बीजेपी इस बार विपक्ष में बैठेगी. वहीं, आम आदमी पार्टी का मेयर बनेगा.
शीला दीक्षित के दबदबे वाली दिल्ली में क्यों हो गया कांग्रेस का सफाया?
एग्जिट पोल के नतीजों में एक बड़ी बात ये भी निकलकर आ रही है कि सारे सियासी मुद्दों पर इस बार साफ-सफाई का मुद्दा हावी रहा. बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को घेरने के लिए कभी सत्येंद्र जैन के जेल में मसाज वाले वीडियो को मुद्दा बनाया तो कभी कथित शराब घोटाले के जरिए मनीष सिसोदिया को घेरने की कोशिश की तो कभी केजरीवाल पर टिकट बेचने का आरोप भी लगाया. लेकिन आम आदमी पार्टी ‘कूड़े के पहाड़’ को लेकर बीजेपी को घेरती रही.
कितनी बड़ी है कूड़े की पहाड़ की समस्या?
राजधानी दिल्ली में अभी तीन लैंडफिल साइट हैं. ओखला, गाजीपुर और भलस्वा में. इन तीनों साइट में लगभग 14 मीट्रिक टन कचरा जमा है. इनमें गाजीपुर में 14 मीट्रिक टन, भलस्वा में 8 मीट्रिक टन और ओखला में 6 मीट्रिक टन कचरा है.
तीनों ही साइट पर कूड़े का पहाड़ बना है. गाजीपुर, भलस्वा और ओखला, तीनों ही साइटों पर 50 मीटर से ज्यादा ऊंचा पहाड़ बन गया है.
नगर निगम ने गाजीपुर लैंडफिल साइट को समतल करने की डेडलाइन दिसंबर 2024 तय कर रखी है. वहीं, भलस्वा साइट को अगले साल जुलाई तक समतल कर दिया जाएगा. जबकि, ओखला साइट के दिसंबर 2023 तक समतल हो जाने की उम्मीद है.
2019 में गाजीपुर लैंडफिल साइट की ऊंचाई 65 मीटर तक पहुंच गई थी. यानी, यहां कूड़े का पहाड़ इतना ऊंचा हो गया था कि वो कुतुब मीनार से बस 8 मीटर छोटा रह गया था. 2017 में गाजीपुर लैंडफिल साइट का कुछ हिस्सा सड़क पर गिर गया था, जिससे दो लोगों की मौत हो गई थी.
केजरीवाल ने कैसे भुनाया कूड़े के पहाड़ का मुद्दा?
एमसीडी चुनावों में दो बड़े मुद्दे थे. पहला- साफ-सफाई और दूसरा- प्रदूषण. दोनों ही मुद्दों को लेकर जमकर सियासत हुई. इसमें भी कूड़े के पहाड़ को लेकर राजनीति ज्यादा हुई.
आम आदमी पार्टी के कूड़े के ढेर को लेकर बीजेपी को घेरती रहती है. पार्टी ने दावा किया कि इन कूड़े के पहाड़ के लिए बीजेपी जिम्मेदार है, क्योंकि 15 साल से एमसीडी की सत्ता पर वही काबिज है. जबकि, बीजेपी फंड को लेकर आम आदमी पार्टी को घेरती रही.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया था कि अगर उनकी पार्टी को जीत मिलती है तो विदेश से एक्सपर्ट बुलाकर कूड़े का ढेर साफ करवा दिया जाएगा.
बीजेपी ने केजरीवाल पर टिकट बेचने और जगह-जगह शराब के ठेके खोलने का आरोप लगाया, लेकिन ये सारे मुद्दे ‘कूड़े के पहाड़’ के आगे बौने साबित होते नजर आ रहे हैं.
पिछली बार क्या रहे थे नतीजे?
2017 में आखिरी एमसीडी चुनाव हुए थे. तब यहां 272 वार्ड थे और नगर निगम तीन हिस्सों में बंटा था. इन 272 में से बीजेपी ने 181, आम आदमी पार्टी ने 48, कांग्रेस ने 30 और अन्य ने 11 वार्डों में जीत हासिल की थी.
एमसीडी के चुनाव में बीजेपी की ये तीसरी जीत थी. 2017 में तीनों नगर निगमों के मेयर बीजेपी के ही थे. 2007 और 2012 के चुनाव में भी बीजेपी ने ही जीत दर्ज की थी. तब मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच हुआ करता था. लेकिन अब कांग्रेस लगभग गेम से बाहर ही हो गई है, जबकि आम आदमी पार्टी मैदान में आ गई है.
कितनी बड़ी है दिल्ली नगर निगम?
पहले दिल्ली में एक ही नगर निगम हुआ करती थी. लेकिन 2012 में तब की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने नगर निगम को तीन हिस्सों में बांट दिया था.
दिल्ली में पहले 272 वार्ड थे. इनमें से 104-104 वार्ड साउथ और नॉर्थ दिल्ली में थे, जबकि 64 वार्ड ईस्ट दिल्ली में थे. अब सब मिलाकर 250 वार्ड ही हैं.
दिल्ली का 97 फीसदी इलाका एमसीडी के अंडर में आता है. जबकि, बाकी का तीन फीसदी इलाका नई दिल्ली नगर परिषद (NDMC) और दिल्ली कंटेन्मेंट बोर्ड (DCB) के पास है.