The peek of Khabar Chalisa: Benefit of differences of veterans …
रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश के कुछ अफसर राजनीतिक दांव पेंच में राजनेताओं को मात दे रहे हैं। ऐसे ही जिले एक प्रशासनिक मुखिया ने दो दिग्गज नेताओं के अनबन का खूब फायदा उठाया और जमकर बल्लेबाजी की। अफसर के पास एक की सिफारिश आती थी तो वो उसे दूसरे नेता के दबाव होने की बात कहकर सिफारिश से पल्ला झाड़ लिया करते थे। अफसर ने अपना एजेण्डा सेट किया और खूब माल भी बनाया। अफसर का तबादला हुआ तो दोनों दिग्गज नेताओं को वास्तविकता का पता चला, जिनका काम नहीं हुआ और एडवांस ले लिया था। वो भी अब दबाव बना रहे हैं। अफसर अपने खिलाफ बन रहे माहौल को किस अपने पक्ष में करते हैं, यह देखने वाली बात होगी।
अफसर के शौक से कर्मचारी परेशान –
सरकार के एक आयोग में ऊंचे ओहदे पर बैठे एक अफसर से मातहत हलाकान है। अफसर को छत्तीसगढ़ी गाने का खूब शौक है। अफसर ने अपने गाने यू ट्यूब पर भी लोड करवाया है। वो आफिस में ज्यादातर समय मोबाईल पर अपने ही गाने सुनते हैं। यही नहीं, वो अपने मातहतों और मिलने-जुलने के लिए आए लोगों पर गाने को सस्क्राइब करने के लिए भी दबाव बनाते हैं। गाना अच्छा होता और आवाज अच्छी होती, तो कोई बात थी। अफसर की आवाज ऐसी है कि गाना सुनते ही अच्छा खासा मूड बिगड़ जाता है।
पुरानी बातें याद करने का समय नहीं –
भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदर्शन में भीड़ जुटाने संगठन महामंत्री अजय जामवाल ने भाजपा के पदाधिकारियों की बैठक लेकर पूछा कि जिस तरह 2003 में भाजपा ने प्रदर्शन किया। लाठी चार्ज हुआ। कई लोगों के पैर टूटे और सरकार आ गई, उसी तरह उग्र प्रदर्शन करना है कौन-कौन लोग लाठी खाने तैयार है। भाजपा के एक तेज तर्रार प्रवक्ता ने खड़ा होकर कहा भाई साहब लाठी तो हम खाने तैयार हैं लेकिन लाठी मारने वाला अधिकारी कौन होगा? क्योंकि 2003 में जिस अधिकारी ने लाठी बरसाई थी, वह बाद में सरकार में पॉवरफुल हो गया है। भाजपा सरकार में उनकी तूती बोलती थी। इस पर बगल में बैठे नगर सेठ नेता ने यह कहते हुए बैठा दिया कि यह समय पुरानी बातों को फिर से खोलने का नहीं है। किस समय में क्या बात करना है यह मालूम होना चाहिए।
बदलाव पर सवाल भी –
भाजपा ने हाल में बदलाव जातिसमीकरण को देखते हुए किया है अब इन नियुक्तियों पर विशलेषण के बाद भाजपा के भीतर ही सवाल उठने लगे हैं। नेता प्रतिपक्ष नारायण चन्देल गबेल कुर्मी है, इसकी संख्या छत्तीसगढ़ में काफी कम है केवल चांपा-जांजगीर इलाके में रहते है राज्यपाल रमेश बैस के निकट रिश्तेदार है इस लिए परिवारवाद का आरोप भी भीतर खाने में लग रहे हैं साव हाईकोर्ट जज बनते बनते रह गए। भाग्य को शायद सक्रिय राजनीति मंजूर था। प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव जिजोदिया साहू है यह केवल मुंगेली जिले के कुछ गांवो तक सिमित है उनके पिता तीन बार गांव के सरपंच रहे। साहू समाज के अन्य सभी दलो के नेता हरदयिहा साहू है आगामी दिनो इसी तरह के कुछ सवाल अरूण साव व नारायण चन्देल के सामने सवाल उठेगें और चुनौतिया भी हैं।
कर्मचारी नेता परेशान –
कर्मचारी आंदोलन का आगे क्या होगा यह सवाल हर ऑफिसों में गुंज रहा है। कर्मचारी नेता इस आंदोलन को खत्म करने के लिए तरह तरह के प्रस्ताव और विकल्प सुझा रहे है परन्तु उपर में इन प्रस्तावो को सुनने वाला कोई नहीं है। मंत्रालय में कामकाज अच्छे से चल रहा है नीचे के जिम्मेदार अधिकारी अपनी टीम के साथ सरकार के जरूरी काम आफिस में बैठ कर निपटा दे रहे है आंदोलन के बाद भी आधे कर्मचारी घोषित और आधे अघोषित तरीके से काम निपटा रहे है आईएएस अधिकारी आंदोलन कारियों से खासे नाराज है। पिछले दिनो आंदोलन का समर्थन करने धरना स्थल गए भाजपा नेताओ को ही कुछ कर्मचारी नेताओ ने रमन राज में समय पर वेतन वृद्ध नहीं होने की घटना का याद दिलाते हुए खरी खरी सुना दिया।
अडानी की बढ़ती दखल –
छत्तीसगढ़ में अब सबसे ज्यादा इन्वेस्ट करने वाले उद्योगपति गौतम अडानी हो गये। नवीन जिंदल को पीछे करते हुए सबसे बड़े उद्योगपति के रूप में डीबी पॉवर प्लांट, जीएमआर, कोरबा वेस्ट पॉवर प्लांट का अधिग्रहण हो गया। एसीसी सहित तीन सीमेंट कम्पनी के अधिग्रहण की कार्यवाही के साथ सबसे बड़े समूह बनकर उभरे है। पांच से अधिक कोल ब्लॉक कब्जे में होने के कारण कोयले के बड़े खिलाड़ी है। एक और कंपनी खरीदने व कुछ और बड़े काम करने की चर्चा तेज है। बालको जैसे बड़े उद्योगपति अनिल अग्रवाल को दरकिनार कर कमल सारडा ने कांग्रेसराज की मदद से कोल ब्लॉक हासिल कर कई लोगों को चौंका दिया है। कमल सारडा की भाजपा सरकार में एक तरफा चलती थी। रमन सिंह उनके पारिवारिक मित्र माने जाते हैं।
चुनावी सर्वे का दौर –
आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने तीसरे दौर की चुनावी सर्वे शुरू करा दिया है। इस सर्वे में विस्तृत रिपोर्ट खासकर विधानसभावार स्थानीय मुद्दे विधायक की छवि और सरकार की योजनाओं का असर प्रमुख मुद्दा है। पहले के दो सर्वे कांग्रेस पार्टी के लिये संतोषजनक रहा, जिन जगहों में कमजोरी दिखी वहां पर मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों लोगों को आगाह करते कड़ी मेहनत भी की है।