सामने आया सच : 300 साल पुराने मंदिर को तोड़ने का किसने लिया फैसला ?, भाजपा के दावों में कितना दम, जानें यहां …

Who took the decision to demolish 300 year old temple?, How much power is there in BJP’s claims, know here…
डेस्क। राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव है। चुनाव से पहले अलवर में 300 साल पुराने मंदिर को तोड़े जाने को लेकर राज्य की राजनीति में तूफान खड़ा हो चुका है।
बीजेपी इस मंदिर को तोड़े जाने पर आग बबूला है, और बीजेपी पर हिन्दुओं की भावनाओं को कुचलने का आरोप लगाया है। जबकि कांग्रेस का आरोप है कि अलवर में मंदिर तोड़ने का फैसला उस नगरपालिका ने लिया है जहां बीजेपी प्रचंड बहुमत में हैं। अलवर के जिस राजगढ़ शहर में 300 साल पुराना मंदिर तोड़ा गया है वहां की नगर पालिका में 34 सदस्य बीजेपी के हैं और एक सदस्य कांग्रेस का है।
अलवर में मंदिर टूटने की कहानी समझने और कांग्रेस बीजेपी के आरोपों में कितना दम है इससे जानने से पहले तथ्यों का जानना जरूरी है …
सर्वसम्मति से हुआ मंदिर तोड़ने का फैसला –
अलवर जिला प्रशासन का दावा है कि नगरपालिका की बैठक में सर्व सम्मति से अवैध अतिक्रमण हटाने का फैसला लिया गया था। डीएम शिव प्रसाद नाकटे ने कहा है कि 8 सितंबर 2021 को राजगढ़ नगरपालिका की बैठक में सर्वसम्मति से मास्टर प्लान को लागू करने में आ रही बाधाओं को हटाने का फैसला लिया गया था। ये फैसला नगर पालिका के चेयरमैन सतीश दुहारिया की अध्यक्षता में हुई बैठक में किया गया था।
वही, इस मामले में जिला प्रशासन का दावा है कि 4 अप्रैल को सभी अतिक्रमणकारियों को व्यक्तिगत रूप से नोटिस दिया गया। 12 अप्रैल को जिला प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के लिए जिला पुलिस से 250 जवानों की मांग की। जिला प्रशासन के अनुसार अतिक्रमण 17 और 18 अप्रैल को हटाया गया। इस दौरान किसी तरह का विरोध नहीं हुआ। न ही कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हुई।
अलवर जिला प्रशासन का कहना है कि अतिक्रमण हटाने के दौरान दो मंदिरों पर कार्रवाई हुई। इसमें से एक मंदिर हाल ही में बना था और नाले के ऊपर बना दिया गया था। इस मंदिर से स्थानीय लोगों ने मूर्तियां खुद हटा ली थी। जिला प्रशासन का कहना है कि दूसरा मंदिर अवरोधक था, हालांकि इस मंदिर का भी आंशिक हिस्सा ही हटाया गया। मंदिर का गर्भगृह सुरक्षित है, जिन मूर्तियों को हटाया गया है उसे पूरे विधि विधान के साथ हटाया गया है।
सराय मोहल्ला में तोड़ी गई 300 साल पुरानी मंदिर –
बता दें कि राजगढ़ के सराई मोहल्ला में 300 साल पुराने मंदिर को प्रशासन ने बुलडोजर से ढहा दिया है। इस मामले में राजगढ़ पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई है। इस मामले में SDM और EO राजगढ़ नगरपालिका के खिलाफ भाजपा नेता महंत प्रकाश दास शिकायत दर्ज कराई है। इस शिकायत में 3 मंदिरो की मूर्तियों को तोड़ने का आरोप लगाया गया है।
नगर पालिका ने नहीं लिया मंदिर तोड़ने का फैसला –
अलवर जिला प्रशासन भले ही कह रहा हो कि मंदिर तोड़ने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है लेकिन नगर पालिका चेयरमैन सतीश दुहारिया की माने तो नगर पालिका बोर्ड ने कभी भी मंदिर तोड़ने के फैसले को हरी झंडी दी नहीं। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “मेरे और नगरपालिका बोर्ड के खिलाफ आरोप आधारहीन है, बोर्ड ने अपने प्रस्ताव में कभी भी मंदिर को तोड़ने की चर्चा ही नहीं की। सब कुछ प्रशासन द्वारा किया गया है। राजगढ़ नगरपालिका में कभी भी कांग्रेस का बोर्ड नहीं बना है और यहां अपना बोर्ड बनाना उनका सपना है।”
सतीश दुहारिया ने कहा कि मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से गलत हैं, उन्होंने मेरे खिलाफ जांच शुरू किया है तो देखते हैं कि इससे क्या निकलकर आता है। अगर मैं दोषी हूं तो मेरे खिलाफ एक्शन लिया जाए। इस मामले में पूरी तरह से प्रशासन की मिली भगत है, इसलिए ये घटना हुई है।
मंदिर तोड़ने के लिए बीजेपी को माफी मांगनी चाहिए- डोटासरा –
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि वहां से अतिक्रमण हटाने का निर्णय पिछली वसुंधरा सरकार का था। उन्होंने कहा कि राजगढ़ में दो बार से बीजेपी का बोर्ड रहा है। बीजेपी के चेयरमैन ने प्रस्ताव पारित कर बुलडोज़र चलाया है और आरोप कांग्रेस पर लगा रहे हैं। राजगढ़ में मंदिर तोडने के लिए बीजेपी को माफ़ी मांगनी चाहिए, उन्होंने कहा कि बीजेपी के स्थानीय नेताओं ने मंदिर तुड़वाया, जिसके लिए उनके नेताओं ने उन्हें डांट लगाई है। बीजेपी की हटाई गई मंदिर कांग्रेस सरकार वापस लगाएगी।
बीजेपी का बोर्ड है, बीजेपी वाले मंदिर तोड़ रहे हैं- MLA जोहरी लाल मीणा –
एमएलए जोहरी लाल मीना ने बताया कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नही है। उन्होंने कहा कि राजगढ़ नगरपालिका में बीजेपी का बोर्ड है। बीजेपी वाले ही मंदिर तोड़ रहे हैं तो क्या कह सकते हैं। सभी आरोप बेबुनियाद है, उन्होंने बताया कि इस संबंध में प्रशासन ने उनसे कोई संपर्क नहीं किया है। राजगढ़ नगर पालिका में 34 पार्षद भारतीय जनता पार्टी के हैं जबकि एक पार्षद कांग्रेस का है और उन्होंने ही फैसला लिया है। राजगढ़ में अतिक्रमण हटाने और मंदिर तोड़ने में कांग्रेस का या व्यक्तिगत उनका कोई लेना देना नहीं है, उन्होंने बताया कि यह भाजपा वाले ही राम के नाम को बदनाम कर कर ओछी राजनीति कर रहे हैं।