
नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अपर सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी की अध्यक्षता में नई दिल्ली के कृषि भवन में शहद के भौगोलिक संकेतक (जीआई) के प्रचलन और उपयोग पर एक बैठक आयोजित की गई।
डॉ. लिखी ने उल्लेख किया कि राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के समर्थन से विभिन्न प्रकार के शहद के लिए जीआई टैग प्राप्त करने के लिए हितधारकों का सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि जीआई टैगिंग से मधुमक्खी पालन समुदाय के उत्थान में काफी मदद मिलेगी क्योंकि टैग के बाद मधुमक्खी पालक शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों में मूल्यवर्धन की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। एक भौगोलिक संकेत (जीआई) उन उत्पादों पर उपयोग किया जाने वाला एक संकेत है, जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है और इस क्षेत्र में उत्तम गुणों या प्रतिष्ठा को सुनिश्चित करता है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए जीआई टैग महत्वपूर्ण है।
डॉ. लिखी ने कहा कि सरकार ने आत्मनिर्भर भारत घोषणा के अंतर्गत तीन वर्ष 2020-21 से 2022-23 के लिए 500 करोड़ परिव्यय के साथ राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) नामक एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना (सीएसएस) शुरू की है। देश में शहद क्षेत्र को समग्र रूप से बढ़ावा देने और समर्थन देने के लिए एनबीएचएम के अंतर्गत 100 शहद किसान उत्पादक संघ-एफपीओ/समूहों की पहचान की गई है। “मधुक्रान्ति पोर्टल” एनबीएचएम के अंतर्गत एक और पहल है जिसे शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के स्रोत का पता लगाने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण और ब्लॉकचेन प्रणाली विकसित करने के लिए शुरू किया गया है। वर्तमान में मधुक्रांति पोर्टल पर 20 लाख से अधिक मधुमक्खी बस्तियों ने एनबीबी के साथ पंजीकरण कराया है। एनबीएचएम भारत में मधुमक्खी पालन गतिविधियों की प्रभावी निगरानी कर रहा है।