HC PROBATION EPLOYEE JUDGMENT : परिवीक्षाधीन कर्मचारी को सेवा समाप्ति के लिए ठोस कारण जरूरी: बिलासपुर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

HC PROBATION EPLOYEE JUDGMENT : Solid reason is necessary for termination of service of probationary employee: Big decision of Bilaspur High Court
बिलासपुर। HC PROBATION EPLOYEE JUDGMENT बिलासपुर हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी नियमित या स्वीकृत पद पर कार्यरत परिवीक्षाधीन कर्मचारी को केवल यह कहकर सेवा से नहीं हटाया जा सकता कि “उसकी सेवाओं की आवश्यकता नहीं है”। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसा करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 311(2) का उल्लंघन है।
HC PROBATION EPLOYEE JUDGMENT मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति पी.पी. साहू की खंडपीठ ने स्टेनोग्राफर दीशान सिंह की याचिका पर यह फैसला सुनाया। दीशान सिंह को 2018 में दुर्ग जिला एवं सत्र न्यायालय में स्टेनोग्राफर (हिंदी) पद पर नियुक्त किया गया था।
क्या था मामला –
HC PROBATION EPLOYEE JUDGMENT याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि एक न्यायिक अधिकारी द्वारा दुर्व्यवहार किए जाने की शिकायत की कॉपी कर्मचारी संघ के माध्यम से वायरल हो गई, जिसे बाद में बिना उनकी जानकारी के हाई कोर्ट भेज दिया गया। इस आधार पर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और जवाब देने के बावजूद 24 दिसंबर 2019 को “सेवाओं की आवश्यकता नहीं” बताकर नौकरी से हटा दिया गया।
सिंगल बेंच ने याचिका खारिज की थी –
दीशान सिंह की याचिका पहले हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने खारिज कर दी थी, जिसे डिवीजन बेंच में चुनौती दी गई। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि बिना जांच और आरोप सिद्ध किए सेवा समाप्त करना गलत और दंडात्मक है।
डिवीजन बेंच का फैसला –
कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता को नियमित प्रक्रिया से नियुक्त किया गया था और उसके खिलाफ कोई जांच नहीं की गई। ऐसी स्थिति में उसे केवल यह कहकर हटाना कि उसकी सेवाओं की आवश्यकता नहीं, वैध नहीं है।
HC PROBATION EPLOYEE JUDGMENT अदालत ने यह भी कहा कि जब सेवा समाप्ति गैरकानूनी है, तो अपीलकर्ता अपने बकाया वेतन का 50 प्रतिशत पाने का हकदार है।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया –
प्रतिवादी (डीजे दुर्ग) ने अनुच्छेद 311(2) का उल्लंघन किया
यदि आरोप थे, तो जांच कराई जानी चाहिए थी
याचिकाकर्ता को आरोपों का जवाब देने और खुद को निर्दोष साबित करने का अवसर दिया जाना चाहिए था
सेवा समाप्ति आदेश टिकाऊ नहीं है