UTTAR BHARAT HEAVY RAIN : September rains break all records, wreak havoc in Himalayan states
देहरादून/शिमला। सितंबर का महीना इस बार उत्तर भारत के लिए भारी बारिश और आपदाओं का सबक लेकर आया है। उत्तराखंड के देहरादून में 24 घंटे में 264 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में 141 मिमी बारिश हुई। लगातार बारिश ने घरों, दुकानों और सड़कों को डुबो दिया। देहरादून में तो 100 मीटर लंबी सड़क तक बह गई।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इसे क्लाउडबर्स्ट नहीं माना, लेकिन वैज्ञानिक मान रहे हैं कि यह असामान्य बारिश जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का नतीजा है।
क्यों हो रही है इतनी बारिश?
पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) इस बार अगस्त और सितंबर तक सक्रिय रहे।
बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमी भरी हवाएं भी हिमालय से टकराकर भारी बारिश ला रही हैं।
अरब सागर का तापमान 1.2-1.4 डिग्री बढ़ गया, जिससे विक्षोभ ज्यादा नमी लेकर आए।
बदला हुआ बारिश का पैटर्न
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की वैज्ञानिक स्वप्नमिता चौधरी के मुताबिक –
अब बारिश वाले दिन कम हो रहे हैं, लेकिन हर घटना ज्यादा तीव्र होती है।
पहाड़ों में 4000 मीटर से ऊपर भी अब भारी बारिश हो रही है, जहां पहले बर्फ पड़ती थी।
इससे बाढ़, भूस्खलन और फ्लैश फ्लड जैसी आपदाएं लगातार बढ़ रही हैं।
2025 में बारिश का असर
हिमाचल प्रदेश में 431 मिमी बारिश (1949 के बाद सबसे ज्यादा) हुई, जिससे 308 मौतें दर्ज की गईं।
पंजाब, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में भी 50% ज्यादा बारिश ने बाढ़ ला दी।
उत्तर भारत में सितंबर के लिए 109% ज्यादा बारिश दर्ज हुई है।
सरकार और लोगों के सामने चुनौती
आपदा प्रबंधन को मजबूत करने की जरूरत है।
किसानों को फसल बचाने के लिए समय पर चेतावनी और सलाह जरूरी है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि ग्लोबल वॉर्मिंग से सबट्रॉपिकल जेट स्ट्रीम ज्यादा मजबूत हो रही है, जिससे बारिश और विक्षोभ दोनों ही चरम रूप ले रहे हैं।
2025 का सितंबर साफ दिखा रहा है कि जलवायु परिवर्तन अब भविष्य नहीं, बल्कि वर्तमान की हकीकत है।
